गुरुवार, 27 अगस्त 2020

डा मनराज शास्त्री जी के विचार :

डा मनराज शास्त्री जी के विचार : 

Economically weaker sectionको १०% आरक्षण दिया गया।मैं इन शब्दों को संविधान की किताब में ढ़ूढ़ रहा था। मुझे नीति निदेशक सिद्धांतों वाले संविधान के चतुर्थ भाग में अनुच्छेद ४६ में weaker section मिला,लेकिन उसके विशेषण के रूप में प्रयुक्तeconomically शब्द नहीं मिला,यद्यपि इस अनु्च्छेद में economic शब्द अवश्य मिला। क्या है अनुच्छेद४६ ।" promotion of educational and economic interest of Scheduledcastes, scheduled Tribes and other weaker  sections".लगता है कि खींचतान कर इसी अनुच्छेद से " economically weaker section" को गढ़ा गया है और संविधान सभा में भी की गई आर्थिक आधार और संविधान लागू होने के बाद भी सवर्णों तथा संघी मनोवृत्ति कै लोगों की मांग को बलात्कर,संविधान की मर्यादा का उल्लंघन करते हुयेEWS को १०% आरक्षण आनन- फानन में दे दिया गया।इस अनुच्छेद में weaker section की परिभाषा नहीं की गई  है।  पहली बात तो यह है कि इसमें आरक्षण का कोई प्रावधान नहीं है।

Dr.Manraj Shastree

आरक्षण/ प्रतिनिधित्वशासन- प्रशासन में भागीदारी का मामला है,आर्थिकibterst का नहीं। और वह भी जिनका प्रतिनिधित्व प्रर्याप्त नहीं है। लेकिन यहां आरक्षण किसी भी तरह अभिप्रेत नहीं है।जब इसweakwr section का प्रयोग अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के साथ किया गया है तो इससे अभिप्रेत अर्थ भी इन्हीं के समकक्ष ढ़ूढ़ना चाहिये कि weaker section of peopleकौन हो सकते हैं। इसी अनुच्छेद में आगे लिखा है कि" shall protect them from social injustice and from all the forms of exploitation".यहां देखना‌ यह चाहिये  कि SC/ ST की तरहsocial injustice किसके साथ होती है? क्या सवर्णों के साथ वैसा ही सामाजिक अन्याय होता है। समाज में गरीब और अपढ़ भी ब्राह्मण इनकी अपेक्षा कहीं अधिक सम्मान पाता है,कभी कभी इनके बहुत पढ़े-लिखों से भी अधिक। अन्य द्विजों के साथ भी यही होता है। और यह भी कहा गया है कि weaker section में वही आयेंगे जो किसी तरह के आरक्षण से आच्छादित नहीं होंगे ।इसका मतलब सवर्ण से ही होगा,क्रीमीलेयर वाले भी। लेकिन दूसरी बात जो कहीं गयी है ,वह भी यही साबित करती है किweaker section की शासन की यह  मान्यता ठीक नहीं है।all forms of exploitation में सामाजिक,शैक्षिक,आर्थिक,धार्मिक और राजनीतिक शोषण भी आयेगा ,जो सवर्णों का नहीं होता,अशराफ मुसलमानों का भी नहीं होता,धर्मांरित बड़ी जातियों का भी।इस लिये अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के साथ जो इन मानदंडों--:social injustice and all forms of exploitation  की सांसत जिन्हें झेलनी पड़ती हो ,उन्हीं को weaker section of people में‌शामिल करना चाहिये,न कि सवर्णों को। अब देखना होगा कि क्या वे ओबीसी हैं या ओबीसी की कुछ कमजोर जातियां जिनका शैक्षिक और आर्थिक हित सरकार को special careके साथ‌ देखना चाहिये,विशेष रूप से अजा और अजजा का। माननीय सुप्रीम कोर्ट को १०% आरक्षण पर निर्णय देते समय इस अनुच्छेद का भी  पोस्टमार्टम करना चाहिये। यह देखना चाहिये कि संविधान की मंशा को तोड़ामरोड़ा न जाय।

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सुप्रीम कोर्ट के माननीय न्यायाधीशगण! विगत २ फरवरी,२०१९ को  आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग कै लिये नौकरियों और शिक्षण संस्थानों में १० % आरक्षण दिया गया। आप सब को विदित है कि आरक्षण के लिये आर्थिक आधार का संविधान में कहीं उल्लेख नहीं है। इसलिेए यह प्रावधान असंवैधानिक है।इसको सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई।आज तक न तो " स्टे" दिया गया और न सुनवाई हुई,कोई तारीख भी नहीं पडी।क्या  इससे यह न मान लिया जाय कि इस पर चुप्पी साध कर सुप्रीम कोर्ट ने इसे लागू करने का अबाध अवसर प्रदान कर दिया है? संविधान में आरक्षण का जो प्रावधान है,वह उन लोगों के लिये है ,जिनका सरकारी सेवाओं में पर्याप्त प्रतिनिधित्व नहीं है।यद्यपि आर्थिक कमजोर‌ वर्ग के अन्तर्गत जाति- धर्म का विचार न करने का दावा संसद् में किया गया है,लेकिन व्यवहार में यह सवर्णों के लिये होगा,जिनका प्रतिनिधित्व पर्याप्त से कहीं अधिक है,लगभग७०- ८०%] फिर इनके‌ लिये १०% आरक्षण का क्या मतलब है?weaker section कौन हैं,इसको इस तरह से व्याख्यायित किया जा रहा है कि जो ओबीसी/ एससी/ एसटी/ एमबीसी( तमिलनाडु में) से आच्छादित न हो रहे हों। जो आर्थिक आधार दिया जा रहा है,उससे लगभग९५% सवर्ण( सामान्य) आ जायेंगे! फिर इसका औचित्य क्या रह जायेगा। मा० न्यायमूर्ति गण! सुप्रीम कोर्ट ने आरक्षण की सीमा ५०% तय की है।इसी कारण बहुत सी राज्य सरकारों द्वारा कुछ जातियों को दिये गये आरक्षण को निरस्त कर दिया गया ।क्या यह १०% का आरक्षण सुप्रीम कोर्ट की इस सीमा के साथ बलात्कार नहीं है? क्याआप लोगों का यह मौन संविधान,लोकतंत्र,जनकल्याणकारी राज्य,जनहित का खुला अपमान न समझा जाय।




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