विशेष

यात्रा :
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पिछले दिनों मैंने अहमदाबाद की यात्रा की मेरे किसी रिस्तेदार के गृह प्रवेश का प्रोग्राम था। जिसका उल्लेख ज्यादा न कर इस यात्रा में अन्य गतिविधियों पर फोकस किया जा रहा है ;
दिल्ली का हवाई अड्डा ;

गज यह काष्ठशिल्प दक्षिण भारत की धरोहर है। 

यात्रा आरम्भ के लिए जब दिल्ली एयरपोर्ट पहुँच तो यहाँ यह काष्ठशिल्प देखकर जो हमें भारतीय कला की गौरवशाली अनुभूति होती है उसे वयां करना कितना मुश्किल काम है।
यह सब तो राष्ट्रीय गरिमा की वस्तुएं हैं लेकिन जिसे इतिहास ने जगह नहीं दी है उसे मैं यहाँ आपको यहां दीखाता हूँ।  आज के गुजरात और तब के गुजरात में कितना फर्क रहा होगा








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वेद प्रताप वैदिक
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वैदिक जी "भाषा" के कुशल खिलाड़ी है जाती धर्म और समाज के कुशल 'शिल्पी' जिस तरह से वे एक समुदाय विशेष के रक्षक हैं निरंतर उनकी कोशिस रहती है की उस तरह से वे नज़र न आएं, क्या मजाल कोई दलित पिछड़ा उनसे बच ले (राजनेताओं की तो दिमाग की उस सतह में विराजमान जहाँ से उसे भयंकर रूप से डराया जाता हो) क्या वी पी सिंह, मुलायम, बाबा रामदेव सबके प्रिय और उनके वास्तविक शत्रु उनकी इमेज के ऊपर ईम्बोस्ड ....
क्या खेल किया है RSS के लिए 'मोदी खतरनाक और यह बात हाफ़िज़ सईद से कहलवाना !
ज़रा पूरी बातचीत को गौर से पढियेगा -

http://www.bbc.co.uk/hindi/india/2014/07/140714_vaidik_bbchindi_intv_ar.shtml

'बहुत ख़तरनाक़ आदमी को पीएम चुना'

फ़ैसल मोहम्मद अली

बीबीसी संवाददाता, नई दिल्ली

 सोमवार, 14 जुलाई, 2014 को 15:45 IST तक के समाचार
पाकिस्तानी संगठन जमात उद दावा के प्रमुख हाफ़िज़ सईद
पाकिस्तानी संगठन जमात उद दावा के प्रमुख हाफ़िज़ सईद से मुलाक़ात की वजह

से विवादोंमें घिरे भारतीय पत्रकार वेद प्रताप वैदिक का दावा है कि उन्होंने अपनी 

जान पर खेलकर भारत के लिए बहुत बड़ा काम किया है.


इस महीने की शुरुआत में वैदिक, 26/ 11 मुंबई हमलों के कथित मास्टरमाइंड 

हाफ़िज़ सईद से लाहौर में मिले थे जिस पर सोशल मीडिया में काफ़ी चर्चा हो रही 

है.
उल्लेखनीय है कि पिछले दिनों अमरीका ने 
वेद प्रताप वैदिक को योग गुरु बाबा रामदेव का क़रीबी बताया जाता है. ख़बरों के मुताबिक रामदेव ने इस मुलाक़ात का बचाव किया है.
बीबीसी हिंदी से बातचीत में वैदिक ने कहा, "मैंने कौन सा अपराध किया है कि कोई मेरा बचाव करेगा? मैं तो समझता हूं कि मैंने अपनी जान पर खेलकर भारत के लिए बहुत बड़ा काम किया है. दोनों देशों के बीच अच्छे संबंध बनाने के लिए नेक काम किया है. मेरा बचाव करने की किसी को ज़रूरत नहीं है."
वेद प्रताप वैदिक ने इस बात से भी इंकार किया है कि 26/ 11 मुंबई हमलों के कथित 
मास्टरमाइंड हाफ़िज़ सईद से उनकी मुलाक़ात भारत सरकार की पहल पर हुई थी.
हाफ़िज़ सईद और वेद प्रताप वैदिक
भारतीय पत्रकार वेद प्रताप वैदिक(दाएं) और हाफ़िज़ सईद की मुलाक़ात पर विवाद उठ खड़ा हुआ है.
उनका कहना है कि कि 'भारत सरकार तो क्या, ख़ुद उनको भी पहले से इस मुलाक़ात के बारे में कोई जानकारी नहीं थी.'
"
मैंने उनसे (हाफ़िज़ सईद) से कहा कि मोदी ने चुनाव प्रचार के दौरान एक बार भी मुसलमानों, पाकिस्तान या इस्लाम के ख़िलाफ़ कभी कुछ नहीं कहा. इसलिए आपको उनसे अच्छी उम्मीद करनी चाहिए."
वेद प्रताप वैदिक, भारतीय पत्रकार
बीबीसी हिंदी से फोन पर बातचीत में वैदिक ने बताया कि एक टीवी इंटरव्यू के दौरान उनसे हाफ़िज़ सईद से मुलाक़ात के बारे में पूछा गया और उनके ऐतराज़ न होने पर ये मुलाक़ात आयोजित करवाई गई.
वेद प्रताप वैदिक ने कहा, "भारत सरकार ही क्या, ख़ुद मुझे भी इस बारे में जानकारी नहीं थी. एक जुलाई की रात को मुझे बताया गया और दो जुलाई को उनसे मिलकर मैं भारत वापस आ गया. और भारत सरकार से मेरा क्या लेना-देना है?"
वैदिक ने कहा कि सईद से मुलाक़ात की शुरूआत तनावपूर्ण थी लेकिन फिर धीरे धीरे बातचीत का सिलसिला चल निकला.
वैदिक के मुताबिक़ हाफ़िज़ सईद ने उनसे भारत के प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी के बारे में कई सवाल किए.
उन्होंने बताया कि सबसे पहले हाफ़िज़ सईद ने कहा कि 'नरेंद्र मोदी एक ख़तरनाक़ व्यक्ति हैं और भारत ने उन्हें अपना प्रधानमंत्री चुन लिया है.'
अपने जवाब में वैदिक ने कहा, "मैंने उनसे (हाफ़िज़ सईद) कहा कि मोदी ने चुनाव प्रचार के दौरान एक बार भी मुसलमानों, पाकिस्तान या इस्लाम के ख़िलाफ़ कभी कुछ नहीं कहा. इसलिए आपको उनसे अच्छी उम्मीद करनी चाहिए."
वैदिक के मुताबिक़ उन्होंने सईद का ध्यान इस तरफ़ इंगित करवाया कि ये पहली बार है कि भारत की किसी सरकार ने इतने अहम मौक़े - सरकार के शपथ ग्रहण समारोह में पाकिस्तान के प्रधानमंत्री को आमंत्रित किया था जिससे ही ये साबित होता है कि वो पाकिस्तान के साथ किस तरह के संबंध रखना चाहती है.
उसपर हाफ़िज़ सईद ने जवाब दिया कि पाकिस्तानी प्रधानमंत्री को तो भारत बेइज्ज़त करने के लिए बुलााया गया था.
वैदिक के मुताबिक़ उनका जवाब था कि ये सब मीडिया के भीतर कहा जा रहा है कि शरीफ़ पर भारत की तरफ़ से दबाव बनाया गया लेकिन इस तरह की कोई बात नहीं थी.

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महिषासुर जयंती पर शो करने के लिए एंकर को 2000 धमकी भरे कॉल्स

नई दिल्‍ली, लाइव हिन्दुस्तान टीमFirst Published:01-03-2016 12:16:57 PMLast Updated:01-03-2016 12:20:32 PM
महिषासुर जयंती पर शो करने के लिए एंकर को 2000 धमकी भरे कॉल्स
एक मलयालम टीवी न्यूज चैनल पर शुक्रवार को प्रसारित हुए शो में महिषासुर जयंती और जेएनयू विवाद पर चर्चा के बाद से महिला एंकर को 2000 धमकी भरे फोन कॉल्स आए हैं।
एंकर सिंधु सूर्य कुमार की शिकायत पर पुलिस ने सोमवार को 5 लोगों को गिरफ्तार किया, जिनके संबंध आरएसएस, भाजपा और अन्य हिन्दू संगठनों से बताए जा रहे हैं।
उस टॉक शो में एक विषय था - क्या महिषासुर जयंती मनाने को राष्ट्रद्रोह कहा जा सकता है? शो के दौरान एंकर ने एचआरडी मंत्री स्मृति ईरानी के उस बयान को भी पढ़ा, जो उन्होंने संसद में दिया था। ईरानी ने कहा था कि उनके पास एक पर्चा है, जिसमें मां दुर्गा के लिए अपशब्‍द कहे गए हैं, जबकि महिषासुर की तारीफ की गई है। इसकी पुष्टि रजिस्‍ट्रार ने किया है।
एंकर का कहना है कि कॉल करने वाले उनको गालियां और धमकियां दे रहे हैं और शो के दौरान मां दुर्गा के लिए अपशब्द का प्रयोग करने का आरोप उन पर लगा रहे हैं।   
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महिषासुर जयंती पर चर्चा करवाने वाली टीवी एंकर को गालियों से 

भरे 2,000 से ज़्यादा कॉल

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महिषासुर जयंती पर चर्चा करवाने वाली टीवी एंकर को गालियों से भरे 2,000 से ज़्यादा कॉल

महिषासुर जयंती के अवसर पर जश्न मनाना देशद्रोह है या नहीं, इस विषय पर टीवी शो के दौरान चर्चा करना केरल की एक महिला टीवी पत्रकार को काफी महंगा पड़ा, क्योंकि शो के बाद उन्हें लगातार फोन पर धमकियां मिल रही हैं, और गंदी गालियां दी जा रही हैं।

अंग्रेज़ी दैनिक 'इंडियन एक्सप्रेस' में प्रकाशित एक ख़बर के मुताबिक, मलयालम भाषा के एशियानेट न्यूज़ टीवी की चीफ को-ऑर्डिनेटिंग एडिटर सिंधु सूर्यकुमार ने पिछले शुक्रवार को अपने शो के दौरान चर्चा करवाई थी, जिसके बाद से उनके मोबाइल फोन पर अब तक 2,000 से भी ज़्यादा कॉल आ चुकी हैं, जिनमें कथित रूप से विभिन्न हिन्दू संगठनों के कार्यकर्ताओं और समर्थकों द्वारा उन्हें गालियां दी जा रही हैं, और उन पर आरोप लगाया जा रहा है कि उन्होंने देवी दुर्गा को 'वेश्या' कहा था।

'सिंधु ने कहे ही नहीं थे अपशब्द...'
'इंडियन एक्सप्रेस' का कहना है कि उन्होंने शो का वीडियो देखा है, और इस सिलसिले में सबसे बड़ी विडंबना यह है कि देवी दुर्गा के बारे में जिन अपशब्दों को कहने का आरोप सिंधु पर लगाया जा रहा है, वे दरअसल बीजेपी के प्रदेश सचिव वीवी राजेश ने एक पैम्फ्लेट पढ़कर सुनाते वक्त कहे थे, जिनके बारे में उनका दावा था कि वे पैम्फ्लेट जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) में बांटे गए थे, और उन्हें ही बाद में मानव संसाधन एवं विकास मंत्री स्मृति ईरानी ने संसद में भी पेश किया था।

अंग्रेज़ी दैनिक ने तिरुअनंतपुरम शहर के पुलिस कमिश्नर जी. स्पर्जन कुमार के हवाले से बताया है कि पुलिस ने सिंधु सूर्यकुमार द्वारा फोन पर धमकियां और गालियां दिए जाने की शिकायत दर्ज कराने के बाद सोमवार को पांच लोगों को गिरफ्तार किया। पुलिस कमिश्नर के अनुसार, "गिरफ्तार किए गए पांचों लोग बीजेपी, आरएसएस और श्रीराम सेना सहित अन्य हिन्दू-समर्थक गुटों से संबंधित हैं..."

व्हॉट्सऐप ग्रुप पर सिंधु को कॉल करने की अपील की गई...
'इंडियन एक्सप्रेस' का कहना है कि गिरफ्तार किए गए लोगों में से एक ने पुलिस को बताया है कि वह तिरुअनंतपुरम का ही रहने वाला है, और उसे सिंधु का फोन नंबर 'संगध्वनि' नामक व्हॉट्सऐप (WhatsApp) ग्रुप से मिला था, जहां एक सदस्य ने सिंधु के नंबर को सार्वजनिक करते हुए साथी सदस्यों से उस नंबर पर कॉल कर 'फेसबुक पर दुर्गा के बारे में' डाली गई एक पोस्ट के लिए गालियां देने का आग्रह किया था।

कन्नूर से पकड़े गए तीन अन्य लोग श्रीराम सेना के सदस्य हैं, जो हिन्दू-समर्थक गुट है, और यह गुट वर्ष 2009 में मैंगलोर के एक पब पर हुए हमले तथा मॉरल पुलिसिंग के कई अन्य मामलों में शामिल रहा है।

'कुछ लोगों को तो मुझे गालियां देने की वजह भी पता नहीं...'
उधर, सिंधु ने 'इंडियन एक्सप्रेस' को बताया, "मुझे हर मिनट कॉल आ रही हैं... मुख्य आरोप है कि मैंने दुर्गा को गाली दी, उन्हें वेश्या कहा... कॉल करने वाले ज़्यादातर लोगों ने मुझे वेश्या कहा और गालियां दीं... कुछ ने मुझे धमकियां भी दीं, लेकिन कुछ को तो यह भी मालूम नहीं कि मुझ पर क्या आरोप लगे हैं... आज ही सुबह मुझे एक कॉल आया, जिसमें किसी ने पूछा, क्या मैं दुर्गा हूं... कुछ समय पहले एक और व्यक्ति ने कॉल किया और कहा कि मैंने फेसबुक पर दुर्गा के खिलाफ कुछ पोस्ट किया है, और इसीलिए वह मुझे गालियां देना चाहता है..."

सिंधु ने यह भी बताया है कि बीजेपी के वीवी राजेश ने उन्हें मामले की जांच में हर तरह का सहयोग देने का आश्वासन दिया है। 'इंडियन एक्सप्रेस' ने सिंधु के हवाले से बताया, "उन्होंने (राजेश ने) मुझे बताया कि उन्हें कॉल करने वाले पार्टी के लोगों को उन्होंने वास्तविकता समझाई है... हालांकि उनकी पार्टी ने अब तक इन अफवाहों का कोई खंडन नहीं किया है..."
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भारतीय ईसाईयों का कहना है कि मोदी का विरोध
सिर्फ मुस्लिम विरोधी हिंसा के बारे में नहीं है...


    प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पिछले महीने की "होवी मोदी" रैली में मंच को देखने के लिए अपने साथी भारतीय अमेरिकियों में से कुछ 50,000 लोगों को ह्यूस्टन स्टेडियम के बाहर देखते हुए, सारा फिलिप्स बीमार महसूस कर रही थीं।
"एक भारतीय ईसाई के रूप में, जो इस शहर में पले बढ़े ... मैं यहाँ खड़ा हूँ कि एक आदमी जो धार्मिक अल्पसंख्यकों के खिलाफ उत्पीड़न के लिए ज़िम्मेदार है, दलितों के खिलाफ हिंसा और बहुत अधिक बुराई उस स्टेडियम में खड़ी है," फिलिप्स, अज़ाद ऑस्टिन के एक आयोजक दक्षिण एशियाई अमेरिकी नेतृत्व वाले विरोध प्रदर्शन में एक मेगाफोन में घोषित किया गया कि उसने 22 सितंबर को रैली के खिलाफ समन्वय स्थापित करने में मदद की। "आप एक ऐसे व्यक्ति को मना रहे हैं, जिसके पास भारत का एक विलक्षण दृष्टिकोण है: एक हिंदू राज्य। यह दृश्य हिंसक है, और आप हमें मना नहीं रहे हैं। "
मोदी और उनकी पार्टी के हिंदू राष्ट्रवादी एजेंडे का विरोध बड़े पैमाने पर हिंदू और मुसलमानों के बीच संघर्ष के रूप में किया गया है - जिसमें भारत के सबसे बड़े अल्पसंख्यक के साथ-साथ पाकिस्तान और कश्मीर में प्रमुखता शामिल है।
सारा फिलिप्स, केंद्र, ह्यूस्टन, टेक्सास में 22 सितंबर, 2019 को भारतीय प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी का स्वागत करने वाली रैली के खिलाफ विरोध प्रदर्शन का नेतृत्व करने में मदद करता है। सौजन्य से फोटो
लेकिन फिलिप्स का परिवार, जो 1970 के दशक में भारतीय राज्य केरल के ह्यूस्टन में था, कैथोलिक है।
भीड़-भाड़ वाले हिंसा-विरोधी कानूनों से लेकर चर्चों पर धर्म परिवर्तन तक, मोदी के तहत बढ़ते हिंदू राष्ट्रवाद के प्रभाव ने भारत के अनुमानित 28 मिलियन ईसाइयों को छोड़ दिया है - जिनकी आबादी का 2.3% हिस्सा देश के तीसरे सबसे बड़े विश्वास समूह - अपने भविष्य के लिए भयभीत है। , भी।
मोदी का विरोध काफी हद तक उनकी पार्टी, शासी भारतीय जनता पार्टी द्वारा हिंदुत्व की हिंदू राष्ट्रवादी विचारधारा के साथ मुद्दा है। आलोचक उस हिंसा की ओर भी इशारा करते हैं, जिसमें भारत के मुसलमानों ने गायों की रक्षा के नाम पर भीड़-भाड़ से लेकर हमलों तक का सामना किया है; मोदी की कश्मीर की आंशिक स्वायत्तता का हाल ही में निरस्तीकरण, जो अभी भी एक अभूतपूर्व संचार ब्लैकआउट और लॉकडाउन के तहत है जो 60 दिनों तक चला है; साथ ही 2002 के क्रूर दंगों में उनकी भागीदारी में लगभग 2,000 लोग मारे गए, जिनमें से अधिकांश मुस्लिम थे, गुजरात राज्य में।

4 अक्टूबर, 2019 को श्रीनगर, भारतीय-नियंत्रित कश्मीर के बाहरी इलाके में धारा 370 के उन्मूलन के खिलाफ शुक्रवार की प्रार्थना के बाद एक विरोध प्रदर्शन के दौरान कश्मीरी महिलाओं ने नारेबाजी की। पिछले दो महीनों से, मोबाइल फोन और इंटरनेट सेवाएं बंद कर दी गई हैं। कश्मीर में नई दिल्ली ने अपनी अर्ध-स्वायत्त शक्तियों के क्षेत्र को छीन लिया और एक सख्त दबदबा लागू किया। संघीय सरकार ने क्षेत्र में दसियों हज़ार अतिरिक्त सैनिक भेजे हैं और हज़ारों लोगों को हिरासत में लिया है। (एपी फोटो / डार यासीन)
“मोदी के हाथ खून में सने हुए थे उन्होंने मुसलमानों के खिलाफ नरसंहार किया, ”ओबेद मानवतकर, भारत के नागपुर के एक ईसाई मिशनरी, जो दो साल पहले शिकागो चले गए थे। "इसलिए जब वह चुने गए तो मैंने कहा, when ओह, हैटमॉन्गर हमारे लिए भी आ रहा है," वे मुसलमानों से अपना बदला ले रहे थे, और आजकल ईसाई भी द्वितीयक लक्ष्य हैं। "
अखिल भारतीय ईसाई परिषद की एक रिपोर्ट के अनुसार, तीन साल पहले, ईसाईयों के खिलाफ एक नया हमला हर 40 घंटे में हुआ था। वर्षों से स्थिति में सुधार नहीं हुआ है। पिछले महीने एलाइस डिफेंडिंग फ्रीडम की एक रिपोर्ट, एक ईसाई वकालत समूह, ने भारत में ईसाई विरोधी हिंसा की 218 घटनाओं का दस्तावेजीकरण किया, जिसमें 2019 के पहले आठ महीनों में सामूहिक हिंसा के 150 से अधिक कार्य शामिल हैं। और पिछले पांच वर्षों में, एडीएफ ने भारतीय ईसाइयों के खिलाफ हिंसा के 1,000 से अधिक कृत्यों का दस्तावेजीकरण किया है।
जनवरी में, ओपन डोर्स इंटरनेशनल नामक संस्था, जो सताए गए ईसाइयों के साथ काम करती है, ने अपनी वार्षिक वर्ल्ड वॉच लिस्ट प्रकाशित की और भारत को ईसाइयों के लिए 10 वें सबसे खतरनाक देश के रूप में स्थान दिया, जो ईरान और सीरिया के बीच सैंडविच है। 2013 में वापस, भारत 31 वें स्थान पर रहा। 2014 में भाजपा के सत्ता में आने के बाद से इसकी स्थिति में लगातार वृद्धि हुई है।
कोलकाता, पश्चिम बंगाल में 2015 में एक नन के साथ बलात्कार के बाद ईसाई महिलाओं ने अपने हाथों और आवाज़ों को अहमदाबाद, गुजरात में उठाया। 2015 में एरियल ड्रेहर द्वारा आरएनएस फोटो
हिंदुत्व के संस्थापक ने एक हिंदू राष्ट्रवादी को "पवित्र भूमि" के साथ "मातृभूमि" की बराबरी करने वाले व्यक्ति के रूप में परिभाषित किया, ने हिंदू फाउंडेशन पर एक आगामी पुस्तक के लेखक, फ्रीडम फ्रॉम रिलीजन फाउंडेशन के अमित पाल को समझाया।
", जो दो प्रमुख धर्मों को समीकरण से बाहर कर देता है," पाल, जिन्होंने खुद को एक सांस्कृतिक हिंदू के रूप में वर्णित किया, ने धर्म समाचार सेवा को बताया। "इसलिए मुस्लिम और ईसाई नंबर 1 दुश्मन हैं, साथ ही धर्मनिरपेक्षतावादी भी हैं, जिसे वे पश्चिमी आयात के रूप में देखते हैं।"
भारत में यहूदी, बहाईस और पारसी बहुत छोटे समुदाय बनाते हैं। सिख, जैन और बौद्ध किसी भी तरह से धार्मिक उत्पीड़न के लिए प्रतिरक्षा नहीं हैं, लेकिन पाल ने उल्लेख किया है कि इन भारतीय धर्मों के अनुयायियों को हिंदू राष्ट्रवादियों द्वारा हिंदू धर्म के लिए ऐतिहासिक संबंधों के कारण "जूनियर हिंदू" के रूप में देखा जाता है।
हालांकि, मुसलमानों और ईसाइयों को एक विशेष "अवमानना" के साथ विदेशी वार्ताकारों के रूप में या उपनिवेशवादी ताकतों द्वारा "ब्रेनवॉश" के रूप में देखा जाता है, मानवाटकर ने कहा।
मोदी के चुनाव के दौरान जनता में एक धारणा थी किरही है, इसलिए हम मुसलमानों और ईसाइयों को सबक सिखाएंगे, '' उन्होंने कहा। "तो अब वे मुसलमानों को भीड़ में मार डालते हैं और वे उन गाँवों में चर्चों पर हमला करते हैं जहाँ ईसाई रह रहे हैं।"
जनवरी 2009 से अक्टूबर 2018 तक, हेट क्राइम वॉच डेटाबेस ने भारत में धार्मिक पूर्वाग्रह से संबंधित हिंसा का दस्तावेजीकरण किया और पाया कि 90% रिपोर्टें भाजपा के मोदी के मई 2014 के चुनाव के बाद सत्ता में आने के बाद हुई और 66% हमलों की रिपोर्ट की गई। भाजपा द्वारा शासित राज्य। जिन घटनाओं में अंतरजातीय जोड़ों से संबंधित हिंसा शामिल है, उनमें मुख्य रूप से मुसलमानों को लक्षित किया गया था, लेकिन 14% घटनाएं ईसाईयों के खिलाफ थीं।

7 जुलाई, 2017 को जर्मनी के हैम्बर्ग में एक बैठक में भारतीय प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी। क्रेमलिन के फोटो शिष्टाचार
भारत में एक पादरी, जो ओपन डोर के साथ भागीदारी करता है, ने आरएनएस को बताया कि ईसाइयों के प्रति दृष्टिकोण 1996 में बदलना शुरू हुआ जब भाजपा भारत की सबसे बड़ी एकल पार्टी के रूप में उभरी। लेकिन 2014 में, जब मोदी सत्ता में आए और भाजपा ने कई राज्यों में नियंत्रण हासिल कर लिया, तो पेंडुलम और भी सही हो गया, उन्होंने कहा।
"धार्मिक अल्पसंख्यकों को हमेशा धमकी दी जाती है और सताया जाता है, और कई घटनाएं हुई थीं जो तब से शुरू हुई थीं," पादरी, सैमुअल ने कहा। (संगठन ने उन्हें और उनके सहयोगियों को बचाने के लिए अपना अंतिम नाम सार्वजनिक नहीं किया।) “धार्मिक असहिष्णुता बढ़ी है और हिंदू कट्टरपंथी समूह मजबूत और हिंसक हो रहे हैं क्योंकि उन्हें सरकार का समर्थन प्राप्त है। पिछले कुछ वर्षों में हिंसा की घटनाओं में भारी वृद्धि हुई है। ”
भारत पर ओपन डोर्स के डोजियर की रिपोर्ट है कि चर्च के सहयोगियों से मिली जानकारी के अनुसार, पिछले साल लगभग 12,512 ईसाईयों पर शारीरिक हमला किया गया और 10 को उनके विश्वास के कारण मार दिया गया।
दक्षिणपंथी राजनेताओं द्वारा "खतरनाक" बयानबाजी के माध्यम से हमलावरों को बड़े पैमाने पर एनिमेटेड किया गया है और भाजपा नेताओं की हिंसा की हल्की निंदा की है, सैमुअल ने कहा, एक नेता की 2014 की घोषणा में कहा गया है कि 31 दिसंबर, 2021, मुसलमानों और ईसाइयों के लिए अंतिम दिन होगा। देश में।
दरअसल, NDTV के एक सर्वेक्षण में पाया गया कि निर्वाचित अधिकारियों के भाषणों में "सांप्रदायिक रूप से विभाजनकारी भाषा" 2014 और 2018 के बीच लगभग 500% थी, जिसमें 90% भाषण भाजपा के अधिकारियों के थे।
अधिवक्ताओं का कहना है कि कानून प्रवर्तन की मौन स्वीकृति के कारण हमलावरों को भी पकड़ लिया गया है।
26 जून, 2019 को नई दिल्ली में विरोध प्रदर्शन के दौरान, झारखंड राज्य में एक मुस्लिम युवक तबरेज़ अंसारी की भीड़ की निंदा करते हुए, भारतीय प्रदर्शनकारियों ने नारेबाजी और मोमबत्तियाँ पकड़कर नारेबाजी की। जब से प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने भारत सरकार की मदद ली है, हिंदू भीड़ ने दर्जनों लोगों को, मुख्य रूप से मुसलमानों और निम्न-जाति के दलितों को पाला है। (एपी फोटो / अल्ताफ कादरी)
मणावतकर ने कहा कि उन्हें अपने स्थानीय ईसाई समुदाय पर घटनाओं के बाद तीन बार शिकायत दर्ज करने के लिए स्थानीय पुलिस और राजनेताओं को धक्का देना पड़ा, क्रिसमस कैरोलिंग पार्टियों पर कई क्रूर हमले हुए।
सैमुअल ने बताया, "जब वे चर्चों पर हमला करते हैं, चर्चों को ध्वस्त करते हैं और पास्टरों को बेरहमी से पीटते हैं, तो पुलिस और सरकारी एजेंसियां ​​ध्यान नहीं देती हैं और कभी भी उनके खिलाफ कोई एफआईआर (पुलिस) रिपोर्ट नहीं लिखती हैं।" "इसके विपरीत, वे पादरी और चर्च के नेताओं और इंजीलवादियों को अपराधियों के रूप में बुक करते हैं जो ईसाईयों के लिए हिंदुओं के धर्म परिवर्तन का अपराध कर रहे हैं।"
अधिवक्ताओं का कहना है कि आठ भारतीय राज्यों में धर्मांतरण विरोधी कानून लंबे समय से ईसाईयों को "जबरदस्ती" करने के लिए व्यक्तियों को ईसाई धर्म में परिवर्तित करने का आरोप लगाते थे। इनमें से कुछ "धार्मिक स्वतंत्रता अधिनियम," जिनमें से दो मोदी के कार्यकाल में पारित हुए, धोखाधड़ी, जबरदस्ती और प्रलोभन द्वारा किए गए धार्मिक रूपांतरण। कुछ राज्यों को नए धर्म में परिवर्तित होने से 30 दिन पहले व्यक्तियों को सरकार से अनुमति के लिए आवेदन करने की आवश्यकता होती है।
अब, रिपोर्टें बताती हैं कि भाजपा के नेतृत्व वाली सरकार भी देशव्यापी धर्मांतरण विरोधी बिल तैयार कर रही है।
विलियम स्टार्क ने कहा, "यह पूरी तरह से गलत कथा है कि देश भर में बुरे ईसाई अभिनेताओं द्वारा हिंदुओं को ईसाई धर्म में परिवर्तित किया जा रहा है, और यह कि भारत - या तो सरकार या जनसंख्या - इस पर रोक लगाने के लिए कुछ करने की जरूरत है," विलियम स्टार्क , जो अंतर्राष्ट्रीय ईसाई चिंता के लिए पूरे दक्षिण एशिया में ईसाइयों के उत्पीड़न से संबंधित मामलों का प्रबंधन करता है।
"अब, इन कानूनों के साथ क्या हो रहा है, क्या वे बहुत व्यापक रूप से दुर्व्यवहार करते हैं और मूल रूप से सभी रूपांतरणों को कवर करने के लिए बहुत व्यापक रूप से व्याख्या की जाती है," बार्क ने कहा। "तो इस आशय की व्याख्या की जा सकती है, 'ठीक है, मैं एक ईसाई हूं, और यदि आप यीशु मसीह में विश्वास करते हैं, तो आप अनन्त जीवन लेंगे।' या 'यदि आप यीशु मसीह पर विश्वास नहीं करते हैं, तो आप विश्वास करेंगे। नरक। ’क्या वह अभियोग है? ये ईसाई धर्म के प्रमुख सिद्धांत हैं। ”
अगस्त में, भाजपा के नेतृत्व वाले उत्तरी राज्य हिमाचल प्रदेश ने एक सख्त धर्मांतरण विरोधी कानून पारित किया, जिसमें सात साल तक की जेल की सजा पाने वालों को दंडित किया जा सकता है। इस तरह के कानून ईसाई समुदायों पर हमलों में शामिल लोगों के लिए एक आसान भागने का मार्ग प्रदान कर सकते हैं, स्टार्क ने कहा।
"एक पादरी को दावा करने की जरूरत है कि वह जबरदस्ती धर्मांतरण में लगा हुआ था," उन्होंने कहा। “एक रिजू के रूप मेंपादरी के हमलावरों को गिरफ्तार करने के बजाय, यह जेल में भेजे गए पादरी हैं। "
अंतर्राष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता पर संयुक्त राज्य आयोग, जिसने बार-बार भारत को अल्पसंख्यक उत्पीड़न में एक टियर 2 देश के रूप में रखा है, ने नोट किया कि बड़े पैमाने पर धर्मांतरण के इस डर ने 2017 को कंपास इंटरनेशनल, एक कोलोराडो-आधारित ईसाई धर्म को बंद कर दिया है जो भोजन प्रदान करता है , लगभग 150,000 भारतीय बच्चों को चिकित्सा देखभाल और अन्य सेवाएँ।
रिपोर्ट में जबरन धर्म परिवर्तन के आरोपों के साथ-साथ ईसाइयों के खिलाफ भीड़ की हिंसा में वृद्धि हुई, साथ ही साथ पुलिस द्वारा की गई जांच और प्रक्रियाओं को नजरअंदाज किया गया और ईसाई विरोधी हमलों के मामलों से निपटने के लिए मुकदमा चलाया गया।
कुछ हिंदू अतिवादी भी धर्म के अनुसार विश्वास समूहों के भवनों के उपयोग को विनियमित करने वाले कानूनों का उपयोग कर रहे हैं और कुछ धार्मिक गतिविधियों के लिए अनुमति की आवश्यकता है, और यहां तक ​​कि चर्चों को धमकाने के लिए भी बंद कर दें। समाचार संगठन के विश्लेषण के अनुसार पिछले वर्ष लगभग 100 चर्च बंद कर दिए गए थे।
लेकिन शमूएल ने जोर दिया कि देश में ईसाईयों की विरासत सेवा से युक्त है, जिसमें कॉन्वेंट स्कूल, अस्पताल और राहत संगठन शामिल हैं जो सभी भारतीयों को सेवाएं प्रदान करते हैं।
"चर्च के काम ने देश को वास्तव में शिक्षा, स्वास्थ्य, सेवा के रूप में आकार और निर्माण किया है," उन्होंने कहा। “लेकिन आज वे एक नकारात्मक कथा को चित्रित कर रहे हैं कि हम जो कुछ भी कर रहे हैं वह रूपांतरण के लिए है। उन कॉन्वेंट स्कूलों से सैकड़ों हजारों बच्चे गुजरे हैं, और कितने ईसाई धर्म में परिवर्तित हुए हैं? बमुश्क़िल कोई।"
इस तरह के आख्यानों का नीति निर्माताओं और आबादी पर समान रूप से प्रभाव पड़ रहा है, स्टार्क ने कहा, ईसाइयों के लिए एक "खतरनाक प्रक्षेपवक्र" का सुझाव है जिसमें अधिक हिंसक घटनाओं और राष्ट्रीय धर्मान्तरण विरोधी कानून जैसी अधिक नीतियां शामिल होंगी।
उन्होंने कहा, "यह यू.एस. और दुनिया भर के ईसाई समुदायों की तरह यहां के जमीनी प्रयासों के लिए भी नीचे आता है," उन्होंने कहा। "जब मैंने उल्लेख किया कि भारत में ईसाइयों को सताया जा रहा है, तो लोग कहते हैं कि कोई रास्ता नहीं है। निश्चित रूप से भारत जैसी जगहों पर उत्पीड़न के मुद्दों के बारे में अज्ञानता है, जो अमेरिकी जनता द्वारा आसानी से मान्यता प्राप्त नहीं है।"
टेक्सास में पली-बढ़ीं 21 वर्षीय कार्यकर्ता फिलिप्स ने कहा कि उन्हें अक्सर भारत में रहने के बिना हिंदू राष्ट्रवाद के प्रभावों के बारे में बोलने के लिए झटका मिलता है। लेकिन उसने कहा कि ईसाईयों के प्रति हिंदू राष्ट्रवादी दृष्टिकोण ने "निंदनीय" वैश्विक प्रवासी भारतीयों के साथ खिलवाड़ किया है।
उन्होंने कहा, "भारतीय होने के बराबर हिंदू होने का विचार, और एक नई चीज या विदेशी प्रभाव के रूप में अब्राहम के विश्वासों की लकीर, जहां बाहर से कोई आया और आपको परिवर्तित किया गया, संयुक्त राज्य अमेरिका में बहुत प्रचलित है," उसने कहा। "भारतीय यहाँ मुझसे ऐसी बातें पूछते हैं,, ओह, क्या आपके माता-पिता अमेरिका में आने पर परिवर्तित हुए थे?" और मेरे मुस्लिम मित्रों के साथ, लोग मानते हैं कि वे भारतीय नहीं हैं क्योंकि भारतीय कुछ भी नहीं देखते हैं लेकिन हिंदू हैं। "
मानवतकर ने माना। सौजन्य से फोटो
मानवाटकर ने कहा कि जब वे शिकागो में भारतीय स्वामित्व वाले किराने की दुकानों और गैस स्टेशनों पर जाते हैं, तो वे अक्सर ऐसे बर्खास्त या शत्रुतापूर्ण विचारों का अनुभव करते हैं। कुछ लोगों ने मुस्लिम-स्वामित्व वाले स्टोरों पर खरीदारी करने से मना किया है, मुस्लिमों को "भयानक लोग" कहा है। हाल ही में एक स्थानीय किराने वाले ने मैनवातकर से उनकी जाति पूछी; जब उसने जवाब दिया कि उसके पास कोई नहीं है, तो आदमी ने अपना धर्म पूछा।
"मैंने कहा,, मैं ईसाई हूँ, श्रीमान," मानवतकर ने कहा। “चाचा ने कहा,, ओह, आप लोगों द्वारा दिमाग लगाया गया है, आपको एक गर्वित हिंदू होना चाहिए, हमें उस जाति पर गर्व होना चाहिए, जिसमें हम पैदा हुए हैं।’ मैंने कहा,, अंकल, आपको भारत में उस कचरे को छोड़ देना चाहिए। आप इस खूबसूरत देश को क्यों निहार रहे हैं? ''
लेकिन मानवतकर ने कहा कि वह भारत के ईसाइयों के भविष्य के लिए आशान्वित हैं।
"ईसाई, हाँ, वे अभी डर में जी रहे हैं," उन्होंने कहा। "उन्हें डर है। कोई भी दूसरा, उन्हें निशाना बनाया जा सकता है। लेकिन राज आएगा। कई मोडिस पहले आ चुके हैं और हम दूर हो जाएंगे। ”

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