
अल्लाह बक्श सोमोर
अल्लाह बक्श सोमोर जो सिंध के वजीरे आज़म थे | उन्होंने आल इंडिया आज़ाद मुस्लिम नामक संघटन बनाया था | वो उसके संस्थापक अध्यक्ष थे | उनका कहना था की इंडिया किसी के बाप की जागीर नहीं है और इसका बंटवारा वो नहीं होने देंगे | वो भी अपने पंजाब के साथियों के भाँति बंटवारे के खिलाफ थे | वो आनुपातिक प्रणाली के यानि मेक्डोनाल्ड कमिटी की सिफारशों के समर्थक थे | यानि जिसकी जितनी हिस्सेदारी उसको उतनी भागेदारी देना |
यह घटनाक्रम 1939 के पास का है | यानि उस वक़्त बंटवारे की ज़मीन तैयार हो गयी थी | सताईस अप्रैल 1940 को दिल्ली में आल इंडिया आज़ाद मुस्लिम की मीटिंग की थी जिसमे लगभग चौदह सौ प्रतिनिधि शामिल हुए थे | इस मीटिंग के तुरंत बाद क्या आप जानते है उनके खिलाफ हिन्दू महासभा, मुस्लिम लीग और इंडियन नेशनल कांग्रेस ने अविश्वास प्रस्ताव पेश किया | इस प्रस्ताव में उनको विभाजन का विरोध करने के लिए जन विरोधी तक कहा गया | उनकी सरकार मई १९४० में गिर गयी | जनता ने दुबारा चुन लिया |
कहते है ना कबीलाई सहृदय होता है इसीलिए सभी कड़ुवाहट भुला कर वो क्विट इंडिया मूवमेंट में शामिल हुए थे | वो एक मात्र नेता थे जिन्होंने न केवल अपने पद त्यागे बल्कि अंग्रेजों द्वारा दी गयी उपाधियां भी लौटा दी थीं |
उनकी इस आन्दोलन में भी लोकप्रियता बढ़ने लगी तो हिन्दू महासभा ने उनको अंजाम भुगतने की धमकी दी थी तो उसको अंजाम तक मई १९४३ में उनके गृहनगर शिकार पुर में तांगें से लौट रहे थे तो मुस्लिम लीग के कार्यकर्ताओं ने उनकी हत्या कर दी थी |
उनकी हत्या के बाद मुस्लिम लीग और हिन्दू महासभा ने सयुंक्त सरकार बनायीं जिसको कांग्रेस का भी समर्थन हासिल था |
अब इसको आप क्या कहेंगे !

(साभार : Mr Kailash Saran)
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2019 के लोकसभा चुनाव के दौरान बंगाल में यह तस्वीर काफी प्रसिद्द हुई थी जिसमे रानाघाट में जग्गनाथ सरकार के हनुमान बने दिखाई दे रहे है और ये सरकार महोदय ने अमित शाह की NRC की घोषणा के बाद डर से खुदकुशी कर ली,
देखा ये मुल्लों को नहीं छोड़ेंगे..
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पाकिस्तान बनाने की मांग सबसे पहले हिन्दू महासभा ने रखी और इसको मुस्लिम लीग के साथ बंगाल में सयुंक्त सरकार बनाने के बाद इसको पुरजोर तरीके से उठाया,
अब मांग रखी कहाँ पूर्व में और ज़मीन मांगी पश्चिम में क्यूँ ? जबकि पश्चिम में मुस्लिम बाहुल्य अविभाजित पंजाब में विधायकों की संख्या आनुपातिक थी, मांगते तो पूर्व में ही मांग लेते पर इन्होने पश्चिम में ही क्यूँ मांगी ?
सिंध में इतेहाद पार्टी के किसान नेता अल्लाह बख्श की सरकार थी, इत्तेहाद पार्टी के नेतृत्व में गठित इस सरकार में हिंदू, मुस्लिम और सिख सभी शामिल थे और सबको उनकी आबादी के अनुसार प्रतिनिधित्व मिला हुआ था (रामसे मेक्डोनाल्ड अवार्ड के अनुसार ),
लेकिन मुस्लिम लीग के कार्यकर्ताओं ने 1943 में अल्लाह बख्श की हत्या धोखे से कर दी,फिर उसके बाद सिंध में मुस्लिम लीग और सावरकर के नेतृत्व वाली हिंदू महासभा के गठबंधन की संयुक्त सरकार बनी,
क्या आप जानते है की उस हत्या का समर्थन किसने किया था ?
जी हाँ सावरकर ने, उस समय सावरकर ने इसे व्यावहारिक राजनीति की जरूरत करार दिया था यानि इनका प्रत्यक्ष साथ उस हत्या में भी था,
यह हत्या सिर्फ अल्लाह बक्श की नहीं बल्कि रामसे मेक्डोनाल्ड अवार्ड की भी हत्या थी..
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असाम
की राष्ट्रवादी सरकार






राष्ट्रवादी सरकार है असाम में और वहां के बुरी गोसानी मंदिर गुवाहाटी के दुर्गा मंदिर में यह क्या हो रहा है ..
फोटो सोर्स : AFP
Mr Kailash Saran
Mr Kailash Saran
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छत्तीसगढ़ की जेलों में हजारों आदिवासी बिना किसी गुनाह के बंद है जेल में जितने कैदियों को रखने की जगह है उससे पांच पांच गुना आदिवासियों को ठूंस दिया गया है आदिवासियों को रात में सोने की जगह नहीं मिलती वे दो-दो घंटे की शिफ्ट में सो रहे हैं मुझे एक जेल अधिकारी ने बताया कि इन आदिवासियों को कम खाना दिया जाता है ताकि ये जल्दी मर जाए दंतेवाड़ा जेल में कई आदिवासी एनीमिया से मर जाते हैं और वह इसलिए होता है क्योंकि उन्हें कम खाना दिया जाता है उन्हें एक्सपायरी डेट की दवाई दी जाती है ताकि आदिवासी मर जाए सरकार योजना बनाकर आदिवासियों की हत्या कर रही है बस्तर के आदिवासी इन सब बातों का विरोध करने के लिए इकट्ठा हुए सोनी सोरी को आदिवासियों ने सभा में बुलाया सोनी सोरी अपने घर में बैठी हुई थी तभी पुलिस वाले आए और सोनी सोरी को घसीटते हुए जीप में डालकर ले गए आप वह वीडियो नीचे देख सकते हैं आदिवासी अभी भी डटे हुए हैं वह घर नहीं गए हैं कल पुलिस ने बुरी तरह आदिवासियों को लाठियों से पीटा लेकिन आदिवासी डटे हुए हैं आस-पास के गांव के लोग दाल चावल लाकर पकाकर खिला रहे हैं एक क्रांतिकारी घटना घट रही है आदिवासियों ने न कभी लड़ना छोड़ा है ना कभी छोड़ेंगे सरकारें कितना भी अडानी और दूसरे पूंजीपतियों की चाकरी करें लेकिन वह आदिवासियों से कभी नहीं जीत पाएगी
आदिवासी ने बड़े-बड़े सत्ता को धूल चटाई है इस लड़ाई में भी आदिवासी जीतेंगे
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अम्बानी के साथ अपने संबंधों की खातिर कैसे राष्ट्रहित से खिलवाड किया है भारतीय प्रधानमंत्री मोदी ने...
विक्रम सिंह चौहान की पूरी रिपोर्ट पढ़े

जिस रिलायंस के 1400 पेट्रोल पंप मनमोहन सिंह के दौर में बंद पड़े थे.3000 पेट्रोल पंप को मनमोहन सिंह सरकार ने लाइसेंस देने से मना कर दिया था वह रिलायंस अब देश की 1.11 लाख करोड़ रुपये मार्केट कैप वाली कंपनी भारत पेट्रोलियम कॉरपोरेशन लिमिटेड (बीपीसीएल) की खरीदी के लिए बोली लगाने वाला है.सरकार ने भारत पेट्रोलियम कॉरपोरेशन लिमिटेड (BPCL) में अपनी पूरी 53.29 फीसदी हिस्सेदारी बेचने का फैसला किया है. इसके चलते BPCL को पूरी तरह से प्राइवेट कंपनी बनाने का प्रस्ताव है.
इस बीच यह भी सामने आया कि सरकार ने चुपके से कंपनी को राष्ट्रीयकृत बनाने वाले कानून को 2016 में रद्द कर दिया. इसके चलते अब कंपनी को प्राइवेट और विदेशी कंपनियों को बेचने से पहले संसद की मंजूरी लेने की जरूरत नहीं रह गई है.रिपीलिंग एंड अमेंडिंग एक्ट ऑफ 2016 ने कई प्रचलित कानूनों को रद्द किया था. इसमें 1976 का वह कानून भी शामिल था, जो पहले बुरमाह शेल के नाम से जानी जाने वाली बीपीसीएल को राष्ट्रीयकृत करता था.सुप्रीम कोर्ट ने सितंबर 2003 में आदेश दिया था कि बीपीसीएल और हिंदुस्तान पेट्रोलियम कॉरपोरेशन लिमिटेड (HPCL) का निजीकरण संसद द्वारा उस कानून में संशोधन होने के बाद ही हो सकता है, जो इन दोनों कंपनियों को राष्ट्रीयकृत करता है. यह फैसला तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की अगुवाई वाली एनडीए सरकार द्वारा दोनों कंपनियों के निजीकरण का प्रस्ताव रखे जाने के बाद आया था.अब सुप्रीम कोर्ट की यह शर्त लागू नहीं रह गई है क्योंकि रिपीलिंग एंड अमेंडिंग एक्ट ऑफ 2016 ने बीपीसीएल को राष्ट्रीयकृत करने वाले कानून को रद्द कर दिया है. रिपीलिंग एंड अमेंडिंग एक्ट ऑफ 2016 को राष्ट्रपति की मंजूरी मिलने के बाद 9 मई 2016 को गजट नोटिफिकेशन जारी किया जा चुका है.
मतलब भारत पेट्रोलियम को बेचने का खेल 2016 में ही खेला जा चूका है.चुपचाप मोदी ने उस कानून को ही बदल दिया जिससे ये कंपनी राष्ट्रीयकृत थी।अब न विरोध होगा न संसद में सवाल उठेगा.लाखों बेरोजगार होंगे.मीडिया तो पहले से पालतू कुत्ता बन चूका है,2016 में जब संशोधन हुआ तब भी देश को नहीं बताया था,अब बिक रहा है तो प्रतिस्पर्धा से दाम कम होंगे ,फायदा होगा,विदेशी निवेश आएगा जैसे न्यूज़ सुनने मिलेंगे.
जब भी मैं मोदी अम्बानी की याराना की कहानी सुनाता हूँ तो ऊपर तस्वीर की याद आ जाती है.मालिक का हाथ नौकर के कंधे में हैं.और नौकर कितनी ईमानदारी से अपना काम कर रहा है,वफादारी निभा रहा है.इतना ईमानदार नौकर आजकल मिलता कहाँ है?
(विक्रम सिंह चौहान के फेसबुक वॉल से)
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वाह "मोदी" वाह
स्त्री को वस्तु में तब्दील कर चुका बाजार और मुनाफ़ा खोर व्यवस्था यौनिकता और यौनिक अभिव्यक्ति का बचाव करती है।


ट्रेन चलेगी । पटरी जनता की है । स्टेशन जनता का । सिंगनल और संचालन व्यवस्था जनता की । ट्रेन का निर्माण भी जनता ने किया । यात्रा जनता करेगी । मगर मुनाफ़ा कमायेगा पूँजीपति । ट्रेन उसकी है । उसने जनता के टैक्स और कर , शुल्क , द्वारा एकत्र धन को हथियाकर , लोन लेकर, मुनाफ़ा कमाने का अधिकार पत्र हासिल कर लिया है ।
वह दो तीन गुना किराया लेगा और आपको देगा आपकी देखभाल के लिए , खूबसूरत लड़कियाँ ? आखिर लड़कियाँ क्यों ?
स्त्री का उपयोग मुनाफ़ा कमाने पैसा लूटने के लिए करना इस मुनफाखोर पूँजीवाद में अनैतिकता नहीं है
क्योंकी उनके लिए स्त्री केवल देह है जो अपनी दैहिक योग्यता से मर्द की जेब से पैसा निकाल सकती है
विज्ञापन में स्त्री का नंगा होना अनैतिकता नही है । कहीं भी नंगा होना अनैतिकता नही है । कहानी कथा कविता चित्र में नंग्न होना नग्नता बेंचना अनैतिकता नही है । क्योंकी वह साधन है पैसा कमाने का । जब देह पैसा नही देगी तब यह पूँजीवाद उसकी हत्या कर देगा । भूखों मरने के लिए छोड़ देगा। जब तक देह है तब तक उपयोगिता है ।
स्त्री को वस्तु में तब्दील कर चुका बाजार और मुनाफ़ा खोर व्यवस्था यौनिकता और यौनिक अभिव्यक्ति का बचाव करती है यह तेजस के इस हथकण्डे से समझा जा सकता है ।
श्री उमाशंकर सिंह परमार द्वारा श्री Santosh Kumar Jha
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