शनिवार, 1 जनवरी 2011

ये कैसी लडाई है ?- क्या ये गुर्जर न पिछड़े न दलित फिर क्या हैं ?

ये देश की सरकारें इसी तरह के आन्दोलन से बात समझती हैं ?
(डॉ.लाल रत्नाकर)

ओबीसी के 3 हिस्से कराना चाहता था वर्मा आयोग

Source: अजीतसिंह   |   Last Updated 02:03(02/01/11)
 
 
 
 
 
 
 
जयपुर. पिछड़ा वर्ग आयोग ने दस साल पहले राज्य सरकार को दी अपनी रिपोर्ट में गुर्जरों को जाट, बिश्नोई, सुनार, यादव, चारण, धाकड़ आदि 15 जातियों की श्रेणी में रखा था और इनके लिए छह प्रतिशत नौकरियां आरक्षित की थीं।

आयोग ने वर्ष 2001 में सरकार को भेजे इस प्रतिवेदन में ओबीसी की 79 जातियों को पिछड़ेपन के आधार पर तीन श्रेणियों में बांटा था। उस समय गुर्जरों को पिछड़ा वर्ग की ए श्रेणी में रखा गया था, हालांकि बाद में चौपड़ा आयोग की रिपोर्ट में गुर्जरों को अति पिछड़ा हालात वाली जातियों की श्रेणी में रखा गया। भास्कर को मिले जुलाई 2001 के नवें प्रतिवेदन के अनुसार रैबारी, कुम्हार, बढ़ई आदि 26 जातियों को अति पिछड़ा वर्ग में 7 फीसदी आरक्षण का सुझाव दिया गया।

आयोग ने बंजारा, गाड़िया लोहार और गड़रिया आदि 38 जातियों को ओबीसी की सबसे ज्यादा पिछड़ी जातियां मानते हुए 8 फीसदी आरक्षण देने की सिफारिश की थी। गुर्जर आंदोलन और जस्टिस जसराज चोपड़ा आयोग की रिपोर्ट के बाद हालात कुछ ऐसे बदले कि सबसे कम पिछड़े वर्ग के गुर्जर और सबसे ज्यादा पिछड़े वर्ग के गाड़िया-लोहार और बंजारा को एक साथ रखकर विशेष पिछड़ा वर्ग बनाया गया।

आयोग के तत्कालीन अध्यक्ष रणवीर सहाय वर्मा बताते हैं, उस समय सरकार ने न तो ओबीसी वर्गीकरण का सुझाव माना और न ही ओबीसी जातियों के अध्ययन के लिए चाहा गया फंड दिया। अगर दस साल पहले जातियों का अध्ययन होता तो आज सरकार के पास सभी जातियों के पिछड़ेपन के आंकड़े मौजूद होते और गुर्जरों के आंदोलन का समय रहते समाधान भी करना आसान होता।

विधि सम्मत नहीं था वर्गीकरण: हालांकि राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग के पूर्व सदस्य सचिव सत्यनारायण सिंह ने कहा है कि आयोग के नौवे प्रतिवेदन में ओबीसी विभाजन की सिफारिश विधि सम्मत नहीं थी। आयोग का काम ओबीसी सूची में जातियों को जोड़ने या हटाने के बारे में सरकार को सुझाव देना है। आयोग ने अपने क्षेत्राधिकार से बाहर जाकर बिना किसी वैज्ञानिक आधार के ओबीसी का वर्गीकरण किया था, लेकिन वर्मा आयोग के इस काम को सही बताते हैं।

खर्चा डेढ़ करोड़, नतीजा शून्य: फिलहाल राज्य में जो पिछड़ा वर्ग आयोग काम कर रहा है, उसका गठन जुलाई 2007 में हुआ था। पिछले तीन साल में आयोग ने क्या किया इस सवाल पर वर्तमान अध्यक्ष पीके तिवाड़ी कहते हैं कि आयोग की रिपोर्ट गोपनीय होती है, पब्लिक नहीं कर सकते। हम जो भी करते हैं सिर्फ सरकार को बताएंगे। सूत्रों का कहना है कि पिछले तीन साल में करीब डेढ़ करोड़ का बजट मिला है। यहां अध्यक्ष और सदस्य समेत कुल 19 पद स्वीकृत हैं।

यह था फार्मूला

अत्यधिक पिछड़ा वर्ग: 38 जातियां: 8% आरक्षण: बागरिया-बंजारा-बालदिया-लबाना, भड़भूजा, डाकोत-देशान्तरी-रंगासामी (अड़भोपा), नगारची-दमामी-राणा-बायती (बारोठ), दरोगा—रावणा राजपूत—हजूरी—वजीर, गडरिया (गाडरी, गायरी)—घोसी (ग्वाला), गाड़िया लोहार—गाडोलिया, गिरी—गोसाई(गुशांई), हेला, जुलाहा, जोगी—नाथ— सिद्ध, काछी (कुशवाहा, शाक्य), कण्डेरा—पिंजारा, खारोल (खारवाल), किरार (किराड़), महा ब्राह्मण(अचारज), फकीर (कब्रिस्तान में कार्य करने वाले), मिरासी—ढाडी—लंग—मंगनियार, मोगिया—मोग्या, न्यारिया (नयारगर), साद—स्वामी—बैरागी—जंगम, सिकलीगर—बंदूकसाज (उस्ता), सिरकीवाल, जागरी, हलाली—कसाई, फारूकी भटियारा, खेरवा, धोबी (मुस्लिम), कुंजड़ा—राइन, सपेरा (गैर हिंदू जाति), मदारी—बाजीगर (गैर हिंदू जाति), नट (गैर हिंदू जाति), मुल्तानीज, अनाथ बच्चे, मोची (गैर हिंदू जाति), राठ, सिंधी मुसलमान, खेलदार।

अति पिछड़ा वर्ग: 26 जातियां: 7% आरक्षण: बढ़वा-जाचक-भाट-जागा-राव, बढ़ई, जांगिड़, खाती-सुथार-तरखान, छीपा (छीपी)-भावसार-नामा-खट्टी छीपा-रंगरेज—नीलगर, धीवर—कहार—भोई—सगरवंशी माली—कीर—मेहरा—मल्लाह (निषाद)—बारी—भिश्ती—मछुआरा, दर्जी, घांची, तेली, कुम्हार (प्रजापति)—कुमावत—सुआरा, लखेरा (लखारा)—कचेरा—मनिहार, लोधी (लोधा), लोहार—पांचाल, मेर (मेहरात काठासत, मेहरात घोडात, चीता), नाई, ओड, पटवा (फदाल), राईका—रैबारी (देवासी), रावत, सतिया सिंधी, ठठेरा—कन्सारा (भरावा), चूनगर, तमोली (तम्बोली), राय सिख, दांगी, लोढे तंवर, सिलावट (सोमपुरा, मूर्तिकार के अतिरिक्त), चेजारा, गाडीत नागौरी

पिछड़ा वर्ग: 15 जातियां: 6% आरक्षण: अहीर (यादव), चारण, धाकड़, गूजर-गुर्जर, कलाल (टाक), कनबी-कलबी-पटेल-पाटीदार, आंजणा-डांगी पटेल-कुलमी, माली—सैनी—बागवान, स्वर्णकार—सुनार—सोनी—जड़िया, जाट, सोंधिया, कायमखानी, मेव, विश्नोई, जणवा—खारडीया (सीरवी), गद्दी।

गुर्जर आंदोलन- सरकार आरक्षण देने को कृतसंकल्पः सचिन पायलट

Source: Giriraj Agrawal   |   Last Updated 18:41(01/01/11)
 
 
 
 
 
 
 
 
केंद्रीय संचार राज्य मंत्री सचिन पायलट ने की गुर्जर प्रतिनिधियों से बात, कहा, सरकार गुर्जरों को आरक्षण देने को कृतसंकल्प,  डेढ हजार आंदोलनकारियों के खिलाफ मामला दर्ज 

जयपुर.भरतपुर. केंद्रीय संचार राज्य मंत्री सचिन पायलट गुर्जर आंदोलनकारियों की मांग पर शनिवार दोपहर जयपुर पहुंचे और ऊर्जा मंत्री जितेन्द्र सिंह सहित गुर्जर समाज के विभिन्न प्रतिनिधियों से जयपुर में बात की। इसके बाद मीडिया से कहा, कि सरकार, कांग्रेस पार्टी और गुर्जर प्रतिनिधियों की मंशा साफ है कि गुर्जरों को 5 फीसदी आरक्षण मिलना चाहिए। सरकार आरक्षण देने के लिए कृतसंकल्प हैं। लेकिन हाई कोर्ट ने जो आदेश दिया है उसका भी सम्मान करना आवश्यक है। इसलिए बातचीत के जरिए बार्ता को आगे बढ़ाना चाहिए। सचिन पायलट के अब इस मामले में कूद पड़ने से गुर्जरों को संबल मिला है।
इधर, केंद्रीय राज्य मंत्री के बयान के बाद गुर्जर नेता बैसला अपने साथियों के साथ विचार विमर्श कर रहे हैं और इस हिसाब से वे आगे की रणनीति तय करेंगे।


इससे पहले सुबह आंदोलनकारी गुर्जरों ने मांग की थी कि केन्द्रीय संचार राज्यमंत्री सचिन पायलट सहित विभिन्न कांग्रेसी गुर्जर नेताओं को सरकार संतुष्ट करे और ये गुर्जर नेता पीलूपुरा आकर आंदोलनकारियों को सरकार की गारंटी दें, तभी वे आगे बढ़ेंगे। इधर, सरकार ने गुर्जर आंदोलनकारियों से भी दो कदम आगे बढऩे यानी जयपुर प्रतिनिधि मंडल भेजने का आग्रह किया है। इसी कड़ी में सचिन पायलट वार्ता करने के लिए जयपुर आए हैं।
इससे पहले दिन में ऊर्जा मंत्री डॉ. जितेन्द्रसिंह ने भास्कर को बताया कि आंदोलनकारी नेता कर्नल किरोड़ीसिंह बैसला ने जिन गुर्जर नेताओं की सूची दी थी। सरकारी स्तर पर उनसे बात कर ली गई है। इन नेताओं में पूर्व विधायक बृजेन्द्र सूपा, जगनसिंह, गुर्जर समाज के अध्यक्ष देवकीनंदन काका, पूर्व मुख्य सचेतक हरिसिंह महुआ, जी.आर. खटाना, विधायक महेन्द्रसिंह, रामस्वरूप कसाना और वे खुद इस बातचीत में शामिल हैं। सिंह ने कहा कि सरकार गुर्जरों को 5 प्रतिशत आरक्षण देने को कृतसंकल्प है। कोर्ट ने जो रास्ता बताया है, सरकार उसी रास्ते से गुर्जरों को उनका हक देगी।

शुक्रवार को नहीं की वार्ता

शुक्रवार को सरकार वार्ता के लिए दिनभर गुर्जर प्रतिनिधिमंडल का इंतजार करती रही, लेकिन गुर्जर नेता धरनास्थल से नहीं हिले। गुर्जर नेता अड़े हैं कि पहले केंद्रीय संचार राज्य मंत्री सचिन पायलट और राज्य सरकार में ऊर्जा मंत्री डॉ. जितेंद्रसिंह जैसे कांग्रेसी गुर्जर नेता सरकार से आश्वासन लें और सरकार से टेबल पर बातचीत कर गुर्जरों के लिए 5 प्रतिशत आरक्षण लेकर आएं। इसके बाद ही वे बातचीत करेंगे। गुर्जर नेताओं ने कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष सी.पी.जोशी, हरिसिंह महुवा, ब्रिजेंद्रसिंह सूपा और रामचंद्र सराधना आदि नेताओं के नाम भी सुझाए हैं।

उधर, पीलूपुरा में तेहरवें दिन भी गुर्जर दिल्ली-मुंबई ट्रैक पर जमे रहे। गुर्जर नेता कर्नल किरोड़ीसिंह बैसला ने कहा कि पहले कांग्रेस से जुड़े नेता जयपुर में सरकार से ठोस बात करें। साथ ही आरक्षण के मामले में सरकार द्वारा दिए जाने वाले आश्वासन की गारंटी लें।

सरकार हुई आंदोलनकारियों पर सख्त
आंदोलनकारियों की ओर से वार्ता का प्रस्ताव ठुकराने के बाद अब राज्य सरकार ने सख्ती बढ़ाने का निर्णय किया है। इसके तहत राजमार्ग जाम करने वाले डेढ़ हजार लोगों के खिलाफ महवा थाने में शुक्रवार को मामले दर्ज किए गए हैं। वहीं गृह विभाग की ओर से सुरक्षा व्यवस्था के मद्देनजर केंद्र सरकार से सेना की अतिरिक्त कंपनियों की मांग भी की गई है।

अपनी मांग पर अड़े गुर्जर सीधी भिड़ंत की तैयारियों में जुट गए हैं। इस कड़ी में कल देर रात पाटोली वार्ता करने पहुंचे जिला कलक्टर व एसपी को आंदोलनकारियों ने वापस भेज दिया। पाटोली में गुर्जरों ने संघर्ष की स्थिति को देखते हुए हथियार जमा करना शुरू कर दिया है।

पाटोली को रणक्षेत्र बनाने की तैयारी :
 पाटोली में करीब दो सौ मीटर क्षेत्र में रोड़ी, पत्थर व नुकीले हथियारों को एकत्र करना जारी है। विभिन्न इलाकों में बंद समाप्त कर गुर्जर समुदाय के लोग पाटोली में जमा होना शुरू हो गए हैं। इस कड़ी में दूर तक पत्थर मारने के उपकरण पाटोली लाए गए हैं। इस उपकरण की मदद से काफी दूर तक पांच से दस किलो के पत्थर को फेंका जा सकता है। इसके अलावा सुरक्षा के लिहाज से गुर्जरों ने दिन व रात के लिए अलग-अलग टीम बनाकर सुरक्षा व्यवस्था की है।

डेढ़ हजार के खिलाफ मामले : 
महवा थाने में पुलिस ने पचास लोगों के खिलाफ नामजद व अन्य करीब डेढ़ हजार लोगों के खिलाफ नेशनल हाइवे को जाम कर सरकारी सपति को नुकसान पहुंचाने, दंगा भड़काने का मामला दर्ज किया है । 

गुर्जर आंदोलन: 300 आंदोलनकारियों के खिलाफ मामला दर्ज

Source: Bhaskar news   |   Last Updated 01:39(02/01/11)
 
 
 
 
 
 
 
भरतपुर/बूंदी/अलवर/पीलूपुरा. गुर्जरों ने शनिवार को भी पीलूपुरा के पास दिल्ली-मुंबई ट्रेक पर कब्जा बरकरार रखा।

आंदोलनकारियों ने भरतपुर के हलैना क्षेत्र में झालाटाला के पास चौथे दिन भी हाईवे जाम रहा। इस हाईवे को जाम करने के मामले में पुलिस ने भाजपा विधायक बहादुर सिंह कोली सहित 300 आंदोलनकारियों के खिलाफ मुकदमे दर्ज किए हैं। इसकी जांच सीआईडी सीबी को सौंपी गई है।
भरतपुर में कामां-दिल्ली मार्ग और नगर-डीग मार्ग और बुर्जा-डीग मार्ग भी बंद रहे। बूंदी जिले में जैतपुरा तिराहे पर गुर्जरों का बेमियादी जाम पांचवें दिन भी जारी रहा। गुर्जरों ने अलवर में बहरोड़ मार्ग पर लगाया गया जाम शनिवार को हटा लिया।
 

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