नई दिल्ली [राजकिशोर]। जनगणना के साथ ही जाति पूछने के फैसले से केंद्र सरकार ने अब कदम वापस खींचने का फैसला किया है। जातीय जनगणना में व्यावहारिक दिक्कतों पर गृह मंत्रालय की आपत्तियों के मद्देनजर अब जनगणना के बाद जातीय गणना कराई जाएगी। गुरुवार को कैबिनेट में इस नए फैसले को मंजूरी के आसार हैं। अलग से जातीय जनगणना पर करीब 2,000 करोड़ रुपये खर्च होने का अनुमान है।
सरकार का एक वर्ग हालांकि, अलग से जातीय गणना में समय और धन की बर्बादी रोकने के लिए जनगणना के साथ ही इसे कराने का पक्षधर था। इस वर्ग को यह भी आशंका है कि अलग से जातीय गणना के फैसले से इसमें अनावश्यक देर होगी। इसके बावजूद, गृह मंत्रालय जनगणना के साथ जातीय गणना कराने पर तैयार नहीं है। उसने इस प्रक्रिया को लेकर हाथ खड़े कर दिए हैं। गृह मंत्रालय का साफ कहना था कि एक साथ ये दोनों काम नहीं हो सकते, इससे जनगणना का काम काफी पीछे चला जाएगा। इसके बाद प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को दखल देना पड़ा।
चूंकि, पिछड़ा वर्ग लॉबी और भाजपा समेत ज्यादातर राजनीतिक दल अब जातीय जनगणना के पक्ष में मत दे चुके थे, लिहाजा इससे पीछे हटने का सरकार के पास कोई रास्ता नहीं बचा था। लिहाजा, जनगणना में देरी न हो, इसके मद्देनजर अब सरकार ने तय किया है कि ये दोनों काम अलग-अलग हों। वर्ष 2011 से पहले जनगणना का काम पहले से नियत कार्यक्रम पर किया जाएगा। इसमें एक चरण का काम यानी घरों के सर्वेक्षण सरकार कर चुकी है। अब लोगों की शिक्षा और अन्य अहम जानकारियां ली जाएंगीं लेकिन, इसमें जो जाति का कॉलम जोड़ा जा रहा था, वह नहीं होगा। अब जनगणना का काम खत्म होने के बाद जातीय गणना के लिए अलग से अभियान चलाया जाएगा। ऐसे में, जातीय आंकड़े 2013 से पहले आने की उम्मीद कम ही है।

Sep 08, 11:03 pm
नई दिल्ली। केंद्रीय सतर्कता आयुक्त [सीवीसी] के पद से पिछले सप्ताह सेवानिवृत्त हुए प्रत्यूष सिन्हा ने कहा है कि हम भारतीयों में से एक-तिहाई निहायत ही भ्रष्ट हैं जबकि आधे ऐसा बनने की कगार पर खड़े हैं।
सिन्हा के मुताबिक, उनके काम का सबसे खराब पहलू यही रहा कि वह भ्रष्टाचार को फलते-फूलते देखते रहे। उन्हें लगता है कि लोग अब ज्यादा भौतिकतावादी हो गए हैं। उन्होंने कहा, 'जहां तक मुझे याद है, जब हम छोटे थे तब यदि कोई भ्रष्टाचार में शामिल पाया जाता था तो हम उसे बड़ी हिकारत से देखते थे। उसके साथ सामाजिक कलंक जुड़ जाता था। आज इसके उल्टा हो गया है। भ्रष्टाचार को सामाजिक स्वीकृति मिल चुकी है।'
सिन्हा ने बताया कि हमारे देश में 20 प्रतिशत लोग अभी भी ईमानदार हैं। ऐसा नहीं है कि उन्हें लालच नहीं दिया जाता है लेकिन वे उससे विचलित नहीं होते। वहीं, तीस प्रतिशत लोग ऐसे हैं जो निहायत ही भ्रष्ट हैं। इनके अलावा जो लोग बच गए, वे बिल्कुल कगार पर खड़े हैं। उन्हें मौका मिलने की देर है।
उन्होंने कहा, 'आज देश की स्थिति यह हो गई है कि जिसके पास ज्यादा पैसा है, उसे बड़ा सम्मान मिलता है। इस पर कोई न तो सवाल करता है, न ही जानने की कोशिश करता है कि उसने वह पैसा कहां से और किस तरीके से कमाया।'
हाल ही में भ्रष्टाचार के कई मामले सामने आए हैं। इनमें राष्ट्रमंडल खेलों के निर्माण कार्यो में हुई अनियमितता, इंडियन प्रीमियर लीग में कर चोरी जैसे मामले शामिल हैं। भारत को संट्टेबाजों का अड्डा भी कहा जाता है। पाकिस्तानी क्रिकेट टीम के स्पॉट फिक्सिंग में फंसने के मामले में भारतीयों के भी शामिल होने की बात सामने आई है। भ्रष्टाचार के गहरे पैठने का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि प्रधानमंत्री ने भी जीवन के हर स्तर पर फैली रिश्वत, उगाही और धोखाधड़ी के कारण अर्थव्यवस्था पर नकारात्मक असर पड़ने की बात कही है।
शुभकामनाएं
जवाब देंहटाएंहिंदी ब्लाग लेखन के लिए स्वागत और बधाई
जवाब देंहटाएंकृपया अन्य ब्लॉगों को भी पढें और अपनी बहुमूल्य टिप्पणियां देनें का कष्ट करें
दोनों खबरें पसंद आई
जवाब देंहटाएंआपके द्वारा उन्हें रखने का तरीका अच्छा लगा
ईद की हार्दिक शुभकामनाएं
इस नए सुंदर से चिट्ठे के साथ हिंदी ब्लॉग जगत में आपका स्वागत है .. नियमित लेखन के लिए शुभकामनाएं !!
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