बुधवार, 20 मार्च 2019

अज्ञानता का अंधकारयुग !

साथियों !
हम जिस दौर से गुज़र रहे हैं वह आपके सामने है हालात यह है कि वे जातियॉ जो मुट्ठी भर है सजग हैं और अफवाहबाज हैं । साथ ही साथ यैसे आर्गूमेण्ट करती है जो बहुजन जातियों को केवल गुमराह ही नहीं करती हैं बल्कि उन्हें भक्त और अपने असत्य की मुखबिर बना लेती हैं । यही कारण है कि उनके जीवन में सत्य और असत्य के मायने ही बदल जाते हैं ।

बुधवार, 19 सितंबर 2018

बहुजन नेताओं को द्विज प्रवक्ता ही रास आते हैं।

भाई दिलीप जी!
दुर्भाग्य ही है कि बहुजन नेताओं को द्विज प्रवक्ता ही रास आते हैं।
जबकि जिस लड़ाई की उपज यह लोग हैं वह लड़ाई ही द्विज विरोध की रही है। कितना बड़ा दुर्भाग्य है कि जो छिनरा वही डोली के संग।
बिहार में लालू ने यह असावधानी की थी और आज वह जिस जगह हैं वास्तव में उनकी वह जगह नहीं है । लेकिन ऐसी ही कुसंगति के लोगों के कारण उनकी दुर्दशा हो रही है।
जो समाज बाहुबली हो जनबली हो उस समाज को किस तरह से ऐसे अपराधीनुमा लोग घेरकर के उसका सत्यानाश कर देते हैं ।
ऐसा वातावरण सैफई परिवार के इर्द-गिर्द नजर आने लगा है। रही बात नेताजी की तो वह इतने चतुर थे की लंबे समय तक इस तरह के लंपटों से बचते रहे लेकिन वे नुकसान तो उनका भी नुकसान तो किया ही है।
सारी पिछड़ी जातियों को अलग-थलग करके सब लोग इस परिवार को इस तरह से घेर लिया कि जैसे यहीं से ब्राह्मण विनाश का रास्ता यहीँ से निकलता हो ।
अब तो ऐसा लगने लगा है कि बहुजन विनाश के सारे रास्ते इन परिवारों की ही देन है।जबतक बहुजन इनका सहारा नहीं छोड़ेंगे तब तक बहुजन विनाश रूकने वाला नहीं है।
जैसा भाई दिलीप कह रहे हैं उसके अनुसार तो पवन पांडेय और दीपक मिश्रा ने BJP का रास्ता बहुत आसान कर दिया है और इन दोनों लोगों को लालू जैसा बनाने में इनका बहुत बड़ा योगदान होगा और जिसके लिए BJP इन्हें पुरस्कृत भी करेगी।
डा.लाल रत्नाकर


शुक्रवार, 24 अगस्त 2018

धर्म की आलोचना की आलोचना → राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ : बीस प्रश्न

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ : बीस प्रश्न

संघ के बारे में कई ऐसे प्रश्न हैं, जिनके उत्तर हम सब ढूंढेंगे तो सच का पता चल सकता है कि आरएसएस की हकीकत क्या है?
1. संघ परिवार के संगठन ईसाई या इस्लाम विरोधी प्रचार-प्रसार करते रहते हैं, तो संघ की स्थापना मुस्लिम शासन के दौरान क्यों नहीं हुई? अंग्रेजी शासन मे क्यों हुई?
2. 1817 मे पेशवा शासन की समाप्ति और ईस्ट इंडिया कंपनी के शासन के प्रारम्भ से ले कर 19वीं सदी तक ईसाई धर्मान्तरण होते रहे फिर भी संघ की स्थापना क्यों नहीं हुई? 1925 से 1947 तक ईसाई धर्मान्तरण पर संघ ने आवाज क्यों नहीं उठाया ?
3. 1925 से 1947 तक ब्रिटिशकाल में ईसाई धर्मांतरण के विरूद्ध कोई आंदोलन संघ ने क्यों नहीं किया ? 
4. आरएसएस की स्थापना महाराष्ट्र में ही क्यों हुई ? संघ का उदेश्य मुस्लिम या अंग्रेजी शासन का विरोध क्यों नहीं था ?
5. 1925 से 1947 तक चलते रहे आजादी के आंदोलन में संघ या संघ के किसी स्वयंसेवक ने भाग क्यों नहीं लिया ?
6. 1925 से 1947 तक गौहत्या बंद कराने का कोई आंदोलन संघ ने क्यों नहीं चलाया ?
7. हिन्दुओ में 96 फ़ीसदी गैरब्राह्मण हैं. संघ के अब तक हुए सरसंघचालकों में से कितने ब्राह्मण और कितने गैरब्राह्मण सरसंघचालक हुए हैं ?
8. संघ के राजकीय संगठन जनसंघ के प्रथम अध्यक्ष से लेकर वर्तमान में भाजपा तक कितने अध्यक्ष किस जाति के हुए हैं ?
9. संघ शूद्र अर्थात् ओबीसी और अतिशूद्र-अवर्ण अर्थात् एससी-एसटी को क्या हिंदू मानता है ? अगर मानता है तो संघ के राष्ट्रीय नेताओं में इनमें से किसी एक को भी स्थान क्यों नहीं मिला है ?
10. 1925 में महाराष्ट्र में ब्राह्मणों के दो गुट थे, एक उदारवादी और दूसरा कट्टर जातिवादी. उदारवादी ब्राह्मण तब भी संघ से नहीं जुड़े और आज भी नहीं जुडते हैं, सिर्फ कट्टर जातिवादी ब्राह्मण ही संघ से क्यों जुडते रहे हैं ?
11. संघ में और संघ परिवार के संगठनों के नेताओ में ब्राह्मण और गैरब्राह्मण की भागीदारी का प्रतिशत क्या है ?
12. संघ के प्रथम सर संघचालक, विहिप के प्रथम अध्यक्ष, एबीवीपी के प्रथम अध्यक्ष, भारतीय मज़दूर संघ के प्रथम अध्यक्ष और राष्ट्रीय स्वयंसेविका संघ की प्रथम अध्यक्षा कौन सी जाति की थीं और आज इन पदों पर कौन सी जाति के लोग हैं?
13. 20वीं सदी के श्रेष्ठ हिंदू महात्मा गाँधी की हत्या, संघ-हिंदू महासभा से जुड़े महाराष्ट्र के ब्राह्मणों ने क्यों की ?
14. अछूत माना गया समुदाय अगर हिंदू है और संघ भी हिन्दूवादी संगठन है, तो नासिक के कालाराम मंदिर-प्रवेश के डॉ.बाबासाहेब आम्बेडकर के आंदोलन को संघ ने समर्थन क्यों नहीं किया?
15. 1925 से 1947 तक अछूत समुदाय या आदिवासी समुदाय के सामाजिक अधिकार के लिए या असमानता के विरुद्ध संघ ने कोई आंदोलन चलाया क्या ?
16. संघ के नेता या स्वयंसेवकों में से किसी ने 1925-1947 के दरम्यान क्या ‘वन्देमातरम’ का नारा लगाया था ? 1925 से 1950 तक लिखे गए संघ के किसी साहित्य में ‘वंदेमातरम’ का कोई उल्लेख क्यों नहीं मिलता है ?
17. 1925 से 1947 तक क्या संघ को पता था कि बाबरी मस्जिद ही राम की जन्मभूमि है ? अगर हाँ तो आंदोलन क्यों नहीं चलाया ? क्या 1947 से 1984 तक संघ को पता था कि बाबरी मस्जिद ही राम जन्मभूमि है ? अगर हाँ तो कोई आंदोलन क्यों नहीं चलाया ?
18. 1980 मे देश के 52% ओबीसी समुदाय के संवैधानिक अधिकारो के दस्तावेज मंडल कमीशन की रिपोर्ट आने के बाद और 1981-84 तक मंडल रिपोर्ट को लागू करने के लिए आवाज उठनी शुरू होने के बाद संघ ने बाबरी मस्जिद के विवाद को हवा क्यों दी ?
19. संघ ने अंग्रेजी शासन में 1925-47 तक गौहत्या के लिए कोई आंदोलन क्यों नहीं चलाया ? स्वदेशी शासन में 1950 के बाद गौहत्या की बात क्यों उठाई गई ?
20. संघ राष्ट्रवादी और हिन्दूवादी संगठन है या जातिवादी संगठन है ? संघ भारतीय राष्ट्र का समर्थक या विरोधी संगठन है ?
उपर्युक्त प्रश्नों के उत्तर जानने वालों को संघ के बारे में कभी भ्रम नहीं हो सकता.
-जयंतीभाई मनानी
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बहुजन पर हमला

कब्जा हो गया विदेशी गद्दार चितपावन ब्राह्मणों का भारत पर : इस देश का दुर्भाग्य देखो हमेशा विदेशी आक्रमणकारी प्रजातियो ने शासन किया ।
19 Mar 2017



















जन उदय : आज से सौ दो सौ साल बाद जब भारत एक बार फिर विश्व पटल पर अपने आपको प्रस्तुत करेगा और
उस वक्त की पीडी जब अपने आपको एक अच्छे देश का निवासी होने की घोषणा करेंगे तो उस वक्त दुसरे देशो के
नागरिक हमारे देश के युवा को फटकारेंगे और कहेंगे की तुम्हारे बुजुर्ग कैसे लोग थे , ?? कितने निकम्मे और धूर्त होंगे
तुम्हारे पूर्वज , कितने मुर्ख और कितने निष्क्रिय होंगे तुम्हारे पूर्वज ,

की जब तुम्हारे देश में भगवा आतंक बढ़ रहा था , जब तुम्हारे देश में धर्म के नाम पर आतंकवादियो का एक समूह दंगे
करा करा कर राजनीती करते थे और लोगो की हत्याए करा कर अपने आपको देशभक्त कहते थे , उस वक्त तुम लोगो
के पूर्वज खामोश बैठे रहते थे , उस वक्त तुम्हारे पूर्वज चंद सिक्को की खातिर अपने देश की इज्जत से कैसा सौदा करते थे ..

ओ तुम्हारे पूर्वज शर्म से क्यों न डूब मरे जब जाति और धर्म विशेष के लोगो को सडको पर मारा जाता था , कैसे उनके
दिल में ज़रा भी मानवता का मान रखने का ख्याल न आया ??? कैसे कपटी रहे होंगे तुम लोगो के पूर्वज ???

यह सब सुन कर भारत की आगामी पीडिया कितनी शमिन्दा होंगी , उनके चेहरे ऐसे पीले पढ़ जाएंगे की जैसे शरीर में
खून ही न हो , अपने चेहरे को जमीन में गाड़ दे बस ये ही सोचा करेंगे ,
कैसे इस देश के युवा दुसरे देशो के युवाओं से आँखे मिलायंगे ??

आज देशभक्ति के नाम पर चैनल चलाने वाले , पत्रकार , बुद्धिजीवी इस देश को अपमानित करते जा रहे है इन गद्दारों
के हाथ देश को बेचने में लेगे है ये देश के गद्दार अरब देशो से आये यहूदी जो अपने आपको चितपावन ब्राह्मण कहते
है और आर एस एस नाम की शाखा चलाते है , देश में आतंकवाद ये लोग देशभक्ति के नाम से चलाते है

इस देश के इज्जतदार नागरिक को दो शर्मिंदा होना चाहिए

कुछ नुपुन्स्क्ता मानसिकता के लोग मोदी और योगी जैसे लोगो को भारत का रक्षक मानते है अरे कोई इनसे पूछे
आतंकवाद फैलाने वाले , दंगा करवाने वाले गरीबो से शिक्षा स्वास्थ छिन्न्ने वाले देशभक्त कैसे हो सकते है ??? 

बुधवार, 11 जुलाई 2018

जो अब बटबृक्ष बन रहा है।

आपको याद तो होगा !
अखलाक का मारा जाना !
तब के शहंशाह का डर ?
इन आतताइयों के लिए !
हिम्मत और साहस का अंकुरण था।
जो अब बटबृक्ष बन रहा है।

फिर कोई अखलाख ढूढ लिया जाएगा !
किसी न किसी को शहीद बनाया जाएगा !
राज करना है तो किसी को भी जलाया जाएगा !
हिन्दू हिन्दू करके बहुजन पगलाया है !
उसी ने तो आज तक यह धर्म बचाया है !
इसी धर्म ने पी लिया है उसकी रगों का खून!
संविधान से कर रखा है उसको कोसो दूर!
धर्म के नाम पर धोखा देकर !
लुट रहा उसका अभिमान !
अपमान का ज़हर पी रहा अज्ञानता में मूढ़ !
बना रखा है उसने साम्राज्य को इतना गूढ़ !
अगर जाग जाए बचा लेगा बहुतेरे अख़लाक़ !
यही होगा धर्म का असली रूप !
और बंद हो जाएगा पाखंडियों का कूप !

- डा.लाल रत्नाकर



रविवार, 22 अप्रैल 2018

मुठभेड़

समकालीन सामाजिक सरोकारों से आहत मन को सत्य की सियाही से झकझोरने का माद्दा मेरे कवि मित्र परम स्नेही आ. बी.आर. विप्लवी की कलम से-
डॉ.लाल रत्नाकर
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ऑखों में धूल झोंक के बहुजन विकास में 
कातिल ने कहा जान वो डालेगा लाश में
दलितों को घेर लेने को हिन्दू की खोल में
आम्बेडकर को लाए हैं भगवा लिबास में
यजमान पुजारी बने तो दान कौन दे
होती है दोस्ती कहीं घोड़े और घास में
मन मरजी संविधान का होता है मुताला
गिरवी है लोकतन्त्र महाजन के पास में
परजीवियों ने पेय बताया है खून को
कहते हैं सोमरस है धरम की गिलास में
है मीडिया रपट कि वे मुठभेड़ में मरे
निकले थे घर को छोड़ अम्न की तलाश में
बोलो भी विप्लवी कि है पाबन्दी प्यास पे
वर्ना खामोशी मारेगी पानी की आस में ।
मुताला=व्याख्या
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-बी0 आर0 विप्लवी

आम जीवन से जुडी कला

 https://www.forwardpress.in/2016/06/amjivan-se-judi-kala_omprakash-kashyap/ आम जीवन से जुडी कला बहुजन दार्शनिकों और महानायकों के चरित्र को ...