शुक्रवार, 24 अगस्त 2018

बहुजन पर हमला

कब्जा हो गया विदेशी गद्दार चितपावन ब्राह्मणों का भारत पर : इस देश का दुर्भाग्य देखो हमेशा विदेशी आक्रमणकारी प्रजातियो ने शासन किया ।
19 Mar 2017



















जन उदय : आज से सौ दो सौ साल बाद जब भारत एक बार फिर विश्व पटल पर अपने आपको प्रस्तुत करेगा और
उस वक्त की पीडी जब अपने आपको एक अच्छे देश का निवासी होने की घोषणा करेंगे तो उस वक्त दुसरे देशो के
नागरिक हमारे देश के युवा को फटकारेंगे और कहेंगे की तुम्हारे बुजुर्ग कैसे लोग थे , ?? कितने निकम्मे और धूर्त होंगे
तुम्हारे पूर्वज , कितने मुर्ख और कितने निष्क्रिय होंगे तुम्हारे पूर्वज ,

की जब तुम्हारे देश में भगवा आतंक बढ़ रहा था , जब तुम्हारे देश में धर्म के नाम पर आतंकवादियो का एक समूह दंगे
करा करा कर राजनीती करते थे और लोगो की हत्याए करा कर अपने आपको देशभक्त कहते थे , उस वक्त तुम लोगो
के पूर्वज खामोश बैठे रहते थे , उस वक्त तुम्हारे पूर्वज चंद सिक्को की खातिर अपने देश की इज्जत से कैसा सौदा करते थे ..

ओ तुम्हारे पूर्वज शर्म से क्यों न डूब मरे जब जाति और धर्म विशेष के लोगो को सडको पर मारा जाता था , कैसे उनके
दिल में ज़रा भी मानवता का मान रखने का ख्याल न आया ??? कैसे कपटी रहे होंगे तुम लोगो के पूर्वज ???

यह सब सुन कर भारत की आगामी पीडिया कितनी शमिन्दा होंगी , उनके चेहरे ऐसे पीले पढ़ जाएंगे की जैसे शरीर में
खून ही न हो , अपने चेहरे को जमीन में गाड़ दे बस ये ही सोचा करेंगे ,
कैसे इस देश के युवा दुसरे देशो के युवाओं से आँखे मिलायंगे ??

आज देशभक्ति के नाम पर चैनल चलाने वाले , पत्रकार , बुद्धिजीवी इस देश को अपमानित करते जा रहे है इन गद्दारों
के हाथ देश को बेचने में लेगे है ये देश के गद्दार अरब देशो से आये यहूदी जो अपने आपको चितपावन ब्राह्मण कहते
है और आर एस एस नाम की शाखा चलाते है , देश में आतंकवाद ये लोग देशभक्ति के नाम से चलाते है

इस देश के इज्जतदार नागरिक को दो शर्मिंदा होना चाहिए

कुछ नुपुन्स्क्ता मानसिकता के लोग मोदी और योगी जैसे लोगो को भारत का रक्षक मानते है अरे कोई इनसे पूछे
आतंकवाद फैलाने वाले , दंगा करवाने वाले गरीबो से शिक्षा स्वास्थ छिन्न्ने वाले देशभक्त कैसे हो सकते है ??? 

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

अस्पृश्यता उसका स्रोत ; बाबा साहेब डा. अम्बेडकर संपूर्ण वाड्मय

अस्पृश्यता-उसका स्रोत  ऐसे लोगों की कमी नहीं है जो अस्पृश्यों की दयनीय स्थिति से दुखी हो यह चिल्लाकर अपना जी हल्का करते फिरते हैं कि हमें अस...