रविवार, 16 अप्रैल 2023

अहीर वंश की शाखा है मुस्लिम गद्दी और घोसी.......

 अहीर वंश की शाखा है मुस्लिम गद्दी और घोसी.......

शोधपरक।

(यह आलेख फेसबुक पर पोस्ट किया गया है जिस पोस्ट को नीचे भी शेयर किया गया है; मेरा आशय केवल इसकी स्पष्ट पठनियत्ता के लिए किया जा रहा है जबकि ऐसा बहुत सारे इलाकों में देखा जाता है कि अलग-अलग मुस्लिम समाज के लोग अलग-अलग जातियों से कन्वर्ट हो गए हैं, जिनमें राजपूत जाट गुर्जर अहीर एवं दलित समाज से बहुत सारे ऐसे लोग हैं जो अपने को आज भी उन परंपराओं से जोड़कर देखते हैं। सामाजिक और सांस्कृतिक रूप से यह विभाजन हो सकता है जैसे बहुत सारे जैन सीख या ईसाई समाज में वह लोग जो भारतीय परंपरा की धारा रही है उससे निकल निकल करके गए हुए हैं।
यह सब तो इतिहास के जानकारों का क्षेत्र है लेकिन सामान्य तौर पर जिस तरह के संघर्ष और विश्वास अविश्वास का दौर चल रहा है, इस पर जुबान खोलना खतरे से खाली नहीं लगता।
अभी एक पोस्ट श्री राजकुमार भाटी साहब ने शेयर किया है जिसमें आजादी की मिठाई खाने से वह लोग मना कर रहे हैं जो आज बताते हैं कि देश 2014 में आजाद हुआ है।
ऐसे में इस पोस्ट की प्रासंगिकता और बढ़ जाती है जिस पर सुधी साथियों को गंभीरता से विचार करना चाहिए।
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अहीर वंश की शाखा है मुस्लिम गद्दी और घोसी.......
(NEPAL YADAV SAMAJ
February 10, 2019 at 8:50 PM)
अहीर वंश की शाखा है मुस्लिम गद्दी और घोसी समाज ?
गद्दी समाज एक पशुपालक और किसान के रूप में जानी जाती है। लेकिन गद्दी मुस्लिम मुस्लिम क्या हैं और इनका इतिहास क्या है, इस पर बहुत कम साहित्य उपल्ब्ध है। कुछ साहित्य मिलता भी है तो आसानी से उपलब्ध नहीं है। मुस्लिम गद्दी और घोसी समाज के बारे में तकरीबन दो मत है।
हिमांचल क्षेत्र में एक जनजाति गड़रिया नाम से रहती है। धर्म से हिंदू है। वह अपने को राजस्थान के क्षत्रियों से जोड़ती है। कुछ समाज वैज्ञानिकों के अनुसार मुस्लिम गद्दी और घोसी इसी जनजाति से कनवर्ट होकर मुस्लिम बने। लेकिन समाज वैज्ञानिक इवेट सोन और सेवेको इसको खारिज करके मुस्लिम गद्दी और घोसी को अहीर वंश से जोड़ते हैं। कतिपय दक्षिणपंथी इतिहासकार इन्हें हिमांचल का गड़रिया बताते हैं।
उनका दावा है कि राजस्थान से मुगलों के अक्रमण के कारण जो राजपूत वहां से भागे वह पहाड़ों पर चरवाहे के रूप में स्थापित होकर गड़रिया बन गये। लेकिन उनका तर्क बिलकुल गलत और गले से न नीचे नहीं उतरने वाला है, क्योंकि भारतीय समाज में गद्दी मुगलों के आगमन से पहले पाये जाते रहे हैं।
अनेक इतिहासकार व समाज विज्ञानी मुस्लिम गद्दी को अहीर वंश से निकला बताते है, जो तर्कों के आधार पर सत्य के करीब दिखता है। प्रसिद्ध समाज विज्ञानी व इतिहासकार विलियम क्रुक कहते है कि घोसी का अर्थ चिल्लाना होता है। अहीर अपने बड़े जानवर यथा गाय भैंस को हांकने या काबू में करने के लिए चिल्लाते थे, जबकि गड़रिये भेड़ बकरियों को हांकने के लिए थोड़ा जोर की आवाज लगाते थे, जिसे चिल्लाना नही कहा जा सकता।
यह बात आज भी पशुपालक अहीर व गड़रिया समाज को देख कर समझी जा सकती है। इन बातों को क्रुक ने अपनी किताब " दी ट्राइब्स एंड कास्ट" में विस्तार से लिखा है। इतिहासकार अल्बर्ट भी इस मत का पुरजोर समर्थन करते हुए घोसी व गद्दी को मुस्लिम अहीर ही मानते हैं।
अहीर वंश की शाखा है मुस्लिम गद्दी और घोसी......
इन इतिहासकारों ने घोसी गद्दी को अहीर मानते हुए कहा है कि कई शताब्दी बाद भी अहीर और गद्दी समुदाय में कई परम्परायें आज भी साझा हैं। जिनका बारीकी से अध्ययन करने पर बात साफ हो जाती है, कि वह अहीर वंश से निकली एक शाखा है, जो धर्म से मुस्लिम है। कई इतिहासकार लिखते हैं कि संभावतः भारत में सूफी मत का प्रभाव बढ़ने से अहीर समुदाय के एक छोटे से गुट ने इस्लाम स्वीकार किया। उन्होंने धर्म तो बदला मगर कुछ परम्पराये नहीं बदलीं उनमें से कुछ आज भी साझा तौर पर कायम हैं।
वर्तमान में गद्दी समाज अहीर समाज बड़ी राजनीतिक भागीदारी के `चलते भारत में काफी उन्नति पर है लेकिन पूरे उत्तर भारत में फैले गद्दी समाज को उतना लाभ नहीं मिल पाया। वर्तमान में उनकी राजनीतिक भागीदारी कम है। केवल मेरे जिले (सिद्धार्थनगर) के निवर्तमान सांसद मुहम्मद मुकीम, फूलपुर, इलाहाबाद के पूर्व सांसद बाहुबली अतीक अहमद व शाहाबाद के पूर्व सांसद दाऊद अहमद के साथ राजस्थान के पूर्व विधायक अलाउद्दीन आजाद ही गद्दी समाज के नेता के तौर पर पहचाने जाते हैं।
नोट - तीनों पूर्व सांसदों व ऐ पूर्व विधायक अलाउद्दीन आजाद का फोटो संलग्न है।










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