बुधवार, 16 नवंबर 2022

भारत जोड़ो यात्रा : श्री राहुल गांधी

 



भारत जोड़ो यात्रा : श्री राहुल गांधी 

(इस आलेख के लिखने के पीछे मेरे उस चित्र का बहुत योगदान है जिसको मैंने यहां पर संलग्न किया है जब मैं इस तरह का स्केच कर रहा था तो एक आकृति के पीछे और उसके आगे के संदर्भ मुझे द्रवित कर दिए और शब्दों के माध्यम से जो बन पड़ा उसे तो लिखा ही हूं लेकिन चित्र में अंतर्निहित भाव निश्चित रूप से शब्दों के माध्यम से नहीं व्यक्त हो सकते)

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आज मैं राहुल गांधी को इलस्ट्रेट कर रहा था जिसमें उनकी भारत यात्रा की पोजीशन और उनके पीछे खड़े उनकी नानी माननीय श्रीमती इंदिरा गांधी जी और उनके आगे उन्हें लाड और प्यार से दुलारते हुए उनके पिता माननीय राजीव गांधी जी जो अपनी मां की हत्या के उपरांत देश के प्रधानमंत्री बने थे और दक्षिण भारत में उनके साथ इतना बड़ा हादसा हुआ था। जिसमें उनकी जान चली गयी थी। 

राहुल जी दक्षिण भारत के केरल से कश्मीर तक की भारत जोड़ो यात्रा पर निकले हैं। स्वाभाविक है कि इस विचार के पीछे कांग्रेस का  देश के शासन और आजादी का एक लंबा इतिहास है। तब जरूरी है कि हम सब लोग इस को गंभीरता से लें और इस पर अपने अपने तरह से काम करने की कोशिश करें। हमारे बहुत सारे साथी इस यात्रा में शरीक हैं और समय पर मुझे भी इस यात्रा में जुड़ना है।

यकायक मेरे मन में आया की राहुल के पिताजी को मैंने देखा था ऐसा व्यक्तित्व जो निहायत सरल और सादगी से भरा हुआ जिसको भारत की चिंता थी और उन्होंने न जाने कितने आधुनिक वैज्ञानिकों की मदद से भारत को आधुनिक बनाने का सपना देखा था। वहीं पर श्रीमती इंदिरा गांधी ने तमाम पूंजीपतियों को राष्ट्र से जोड़ करके देखा था और तमाम संस्थाओं का राष्ट्रीयकरण करके एक मजबूत भारत बनाने का काम किया था। आधी आबादी का प्रतिनिधित्व करते हुए पूरी दुनिया के सामने श्रीमती इंदिरा गांधी जी ने यह साबित किया था कि एक महिला देश को कितने सशक्त तरीके से चला सकती है। उनका संबल भी राहुल गांधी के साथ है और एक ऐसे पिता का लॉड और प्यार भी जो उन्हें बचपन में छोड़कर चला गया हो।

सारे संसाधनों के बाद पिता का जो प्रेम और संरक्षण एक पुत्र के लिए जरूरी होता है, जब उस पर हम गौर करते हैं तब समझ में आता है कि यह कितना बड़ा संकट का दौर होता है। यह सवाल इसलिए भी खड़ा होता है कि एक देश जहां माता-पिता और परिवार का स्थान हमेशा सम्माननीय होता है और उसके अच्छे रास्ते पर चलने की सीख हर व्यक्ति को मिलती है जो उसके भविष्य की दिशा तय करता है। स्वाभाविक है इन हादसों के पीछे गांधी परिवार में राहुल जी की मां श्रीमती सोनिया गांधी जब निहायत अकेली हो गयी थीं उनका जिस तरह का सम्मान और विरोध राष्ट्र में खड़ा किया गया था वह किसी से छुपा नहीं था। वहीं से एक षडयंत्र की शुरुआत दिखाई देने लगी थी। जो लोग देश को आज विश्व गुरु बनाने की बात करते हैं उन लोगों ने उस परिवार के एक ऐसे बालक को जिसके पिता राष्ट्र की सेवा करते हुए शहीद हो गए हो और उनकी मां जिनको इस देश की माटी के गंध की वह खुशबू श्रीमती इंदिरा गांधी की पुत्र वधू होने के नाते मिली हुई हो पर अपार संकट का बादल घेर लेता है। जिसपर विदेशी का फतवा देने वाले यही लोग थे। ऐसे में उनके दोनों बच्चे छोटे थे जो तत्कालीन राजनीति को, शिक्षा को, समाज को, धर्म को, व्यापार को समझने की प्रक्रिया में थे। ऐसे में उनके ऊपर से पिता का साया टूट गया था पूरा देश इस घड़ी में इस परिवार को बहुत ही उदारता से देख रहा था। और यही कारण था कि इनकी पार्टी को देश ने सिर आंखों पर बैठाया और ऐसे में संरक्षण मिला देश के ही नहीं दुयि में जाने जाने वाले बहुत ही बुद्धिमान और अंतरराष्ट्रीय स्तर के अर्थशास्त्री मां.मनमोहन सिंह जी का जिन्होंने प्रधानमंत्री के रूप में देश को ही नहीं इस परिवार को भी संरक्षित करने का कार्य किया।

लेकिन इसी बीच उन लोगों की दृष्टि जिनका जिक्र मैंने ऊपर किया है इस परिवार के बड़े होते हुए पुत्र पर गई जो उनकी आंखों का कांटा ही बनने वाला था। उन्हे यह समय उपयुक्त लगा और यह प्रौढ़ होते उससे पहले ही उन्होंने इनकी छवि धूमिल करने के प्रचार प्रसार में अपार धन झोंक कर इतने षड्यंत्र किए कि एकदम से कैसे इन्हें पप्पू घोषित करके एक ऐसी इमेज बना दी जाय जिससे लोग यह मानने लगे कि यह सचमुच में पप्पू ही हैं।

यहां पर यह विचारणीय है कि समाज सदियों से पाखंड और अंधविश्वास के माध्यम से तमाम तरह के प्रतीक गढ़ता आया है और प्रतीक स्वयं कहीं पर अपने को उच्चारित नहीं करता बल्कि उसकी छवि ही उसकी पहचान होती है। अब सवाल यह भी है कि जिस छवि को राष्ट्र के ऐसे संगठन ने गढ़ने का पूरा प्रयास किया था। उसके बारे में सर्वविदित है जो हमेशा विवाद में रहा हो ? देश की आजादी में, गांधी जी की हत्या में और संविधान के प्रति उसकी निष्ठा और नियति में पूरे देश ने कभी विश्वास ही नहीं किया था। वह जुमले और झूठ के माध्यम से अपने को राष्ट्रीय प्रतिबद्धता का दल साबित करने का जिस तरह का प्रचार प्रसार किया और उसके परिणाम विगत 8 वर्षों में देश के सामने हैं। जिस गति से शिक्षा, विज्ञान, स्वास्थ्य, राजनीति, अर्थ, जो विकास की ओर अग्रसर थे सबको उन्होंने अपने पूंजीपतियों को पहाड़ की तरह उनके ऊपर थोप करके पूरे देश की व्यवस्था को चकनाचूर कर दिया है। न जाने कितने ऐसे भक्त उन्होंने गढ़े, जो अब अवैज्ञानिक और अज्ञानी तौर तरीकों से नंगा नाच करते हुए हजारों हजार दलितों और अल्पसंख्यकों के हत्यारों के रूप में अपने हाथ काले किए हुए हैं। लेकिन उन्हें खुल्लम खुल्ला छूट देकर के जिस व्यवस्था को और आतंक को परोसा गया है उसका दुष्परिणाम आज पूरा देश भोग रहा है।

विपक्ष चुप है प्रदेशों में बहुत सारे नेताओं को सरकारी मशीनरी का उपयोग करके फंसाया जा रहा है और उन्हें जेल तक में डालकर रखा तो जा ही रहा है साथ ही साथ कितने बुद्धिजीवियों पत्रकारों और समाजसेवियों की हत्या की जा चुकी है। जब भ्रष्टाचार और अन्याय के खिलाफ लड़ाई लड़ी जानी थी। यही उद्घोष करके जुमलों और आश्वासनों की झड़ी लगाकर जनमानस को गुमराह कर देश की कमान संभालते हुए देश के प्रमुख प्रधान सेवक ने यह उद्घोषणा की थी कि ना खाऊंगा ना खाने दूंगा। आज हालात यह है कि देश की वह हर संस्थाएं जो मुनाफे की हैं वह इनके पूंजीपति मित्रों की संपत्ति हैं। रेल वायुयान और वह सारी संस्थाएं उनके अपने लोगों के झोली में चली गई हैं जो संघ की अवधारणा की पूर्ति करते हैं और देश के चंद पू़ंजीपतियों के कब्जे में हैं।

ऐसे में कांग्रेस पार्टी के तमाम सुविधा भोगी जिनके ऊपर जांच और भ्रष्टाचार के आरोप थे वह सब उनके साथ जाकर पवित्र और हरिशचंद हो गए हैं। ऐसे समय में किसी भी व्यक्ति में उनका विरोध करने का साहस लगभग न के बराबर रह गया है। हां कुछ प्रदेश की सरकारों ने इनके खिलाफ अपनी आवाज बुलंद की है जहां-तहां से उनका प्रतिकार हो रहा है। लेकिन केंद्र की सारी संस्थाओं को उन्होंने पंगु बनाकर अपनी उंगलियों पर नचाना आरंभ कर दिया है। यह सब बहुत कम समय में हुआ है।

अब अगर हम राहुल गांधी की बात करें तो निश्चित रूप से भावनात्मक रूप से हमें उनके उद्भव और विकास पर गौर करना होगा ऐसा व्यक्ति जिसके पीछे राजनीति समाज और भारतीय इतिहास का गौरवशाली अतीत मौजूद है का दायित्व और बढ़ जाता है। और इस दायित्व पर जब हम विचार करते हैं तो हमें लगता है कि नेहरू गांधी और राजीव जी की परंपरा जो देश के वैज्ञानिक और वैश्विक विकास में देश को निरंतर आगे ले जाने का प्रयत्न कर रही थी। उस विचारधारा को कैसे इस बाजारू और व्यवसायिक कालाबाजारी के मर्मज्ञ जो गलती से राजनीतिज्ञ बन गए हैं। उन लोगों के हाथ से बाहर लाया जाए। इस पर निरंतर विचार करते हुए भारत जोड़ो यात्रा का संकल्प लेकर हमारे अतीत को बचाने और संविधान की रक्षा के लिए जिस तरह की यात्रा पर राहुल गांधी निकले हैं उस पर हमें नए सिरे से विचार करने की जरूरत है और यही एक रास्ता है जहां से हम इस देश और संविधान को बचा सकते हैं।

मेरे ख्याल से यही कारण है कि देश की वह आवाम जिसे बुद्धिजीवी कहा जाता है वह श्री राहुल गांधी की इस यात्रा में कंधे से कंधा मिलाकर उनके साथ चल रही है और स्वतः स्फूर्त जनमानस इस यात्रा को बहुत सफल यात्रा के रूप में आगे ले जाने का काम कर रहा है। अब तो तमाम सोशल मीडिया की बहस में भी यह बात निकलकर आगे आने लगी है कि इस समय जो लोग देश की सत्ता पर बैठे हुए हैं। उनमें बेचैनी बढ़ गई है और पिछले दिनों हमने देखा कि प्रधान सेवक और उनके मुख्य साथी किस तरह से प्रदेशों में अपने को यह साबित करने में भी नाकाम हो रहे हैं कि उन्होंने जनहित का कोई काम किया है। कहते हैं कि काठ की हंड़िया बार-बार नहीं चढ़ा करती। इसी तरह से अब इनके जुमलेबाजी से जनता वाकिफ हो गई है और देश के प्रधानमंत्री जैसे व्यक्ति को वह संदेह की नजर से देखने लगी है। जिसकी बातों का कोई भरोसा नहीं, विश्वास नहीं और कह क्या रहा है करेगा क्या ऐसे ही व्यक्तियों के लिए हमारे यहां कहावत है मुंह में राम बगल में छुरी। ऐसे आचरण करते हुए जब देश बर्बाद करने की पूरी साजिश जिनके मन में बैठी हुई हो और यह अपने उस राष्ट्रवादी संगठन जिसका राष्ट्र निर्माण में कोई योगदान नहीं है कि सौंवी वर्षगांठ मनाने का सपना संजोए हुए हैं। 2024 में फिर से देश को गुमराह करने की हर योजना पर काम कर रहे हैं।


राहुल गांधी जी भारत जोड़ो यात्रा में इसी बात से लोगों को आगाह कर रहे हैं कि यदि हमारी विचारधारा चली गई तो जिसे हमारे बुजुर्गों ने इस देश को इतना मजबूत एक सुंदर संविधान दिया है न्याय व्यवस्था दी है तमाम ऐसी संस्थाएं दी हैं जिससे देश निरंतर प्रगति कर रहा था। आज उनका दुरुपयोग करके यह अपनी सत्ता को बचाए रखने का षड्यंत्र कर रहे हैं। उन्हें पहचानने की जरूरत है और देश को अपने देश को बचाने के लिए मजबूती के साथ खड़ा होना है।

मैंने बात शुरू की थी अपने स्केच से तो बात वहीं पर खत्म करता हूं चित्र अभिव्यक्ति के सबसे सरल माध्यम होते हैं मैंने इस चित्र के माध्यम से राहुल गांधी के लिए उनके भावनात्मक पृष्ठभूमि पर जो चित्र बनाया है उसमें जो संबल है उनके पास, वो केवल नेहरू का नहीं है इंदिरा और राजीव गांधी के साथ-साथ उनकी मां और उनकी बहन का भी है। जिसके साथ देश की आशाएं जुड़ी हुई हैं। पूरी उम्मीद है कि भारत यात्रा से जो नए राहुल गांधी निकलेंगे वह देश को निराश नहीं करेंगे जब देश उनके साथ मजबूती से खड़ा होगा।

जय हिंद

डॉ लाल रत्नाकर 

(नोट : आज की तारीख में समाजवादी विचारधारा के एक स्तंभ के रूप में कांग्रेस के साथ भी सभी विपक्षी दलों का गठबंधन कई बार हुआ है और जरूरी है कि हमें सजगता के साथ वर्तमान राजनीतिक संकट से निकलने के लिए आगे आना चाहिए।)



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