गुरुवार, 19 सितंबर 2013

सरोकार

डॉ.लाल रत्नाकर 
उत्तर प्रदेश की सरकार के सरोकार क्या हैं, सवर्णों के हकों की रक्षा करना या सवर्ण बन जाना, इन सब मुद्दों पर विचार करने का वक़्त आ गया है.
पिछली सरकार जितना संबर्धन 'द्वीजों' का की आज़ादी से अब तक किसी भी सरकार में नहीं हुआ रहा होगा, अब लगता है यह समाजवादी सरकार पिछली सरकार के आंकड़े तोड़ने में लगी है.
यही सारे कारण है की आज के लम्बे संघर्षो से प्राप्त पिछड़ों के हक़ को ये सरकार समाप्त कर दी है, यह सवर्ण मानसिकता नहीं तो क्या है, जब स्वर्गीय विश्वनाथ प्रताप सिंह (पूर्व प्रधानमंत्री) ने मंडल कमीशन लागू किया तो सारे सवर्ण उन्हें क्या क्या नहीं कह रहे थे - कुर्मी है ........या क्या ओ बी सी है / और बहुत कुछ यहाँ तक की यह राजपूत ही नहीं है ....
यदि समाजवादी पार्टी के नए लोहिया को अपना ही नारा भूल गया है -
समाजवादियों ने बाधी गाँठ, पिछड़ा पाए सौ में साठ !
अतः अब सरोकार का सवाल है सरकारें तो आती जाती रहती हैं जहाँ चाह वहां राह निकाल ही लेती अवाम !  


बुधवार, 18 सितंबर 2013

उत्तर प्रदेश की सरकार किसके लिए;

लोकसभा में भी सुनाई देगी आरक्षण की गूंज

इलाहाबाद (ब्यूरो)। त्रिस्तरीय आरक्षण को लेकर शुरू हुआ आंदोलन का दायरा बड़ा होता जा रहा है। जनता दल यूनाइटेड के नेता शरद यादव तक पहुंच, अपना दल की अनुप्रिया पटेल का आंदोलन में शामिल होना, इंडियन जस्टिस पार्टी के डॉ. उदित राज का इससे जुड़ना इस बात का संकेत है कि इसकी सियासी गूंज लोकसभा चुनाव में भी सुनाई देगी। अलग-अलग दलों के नेताओं का एक मंच पर आना एक नए सियासी समीकरण का संकेत भी माना जा रहा है। आरक्षण समर्थक पहले ही इस बात की घोषणा कर चुके हैं और छोटी-छोटी सभाओं के जरिए इसका मंच भी तैयार कर चुके हैं। जिस तरह से तमाम पाबंदियों तथा चप्पे-चप्पे पर पुलिस की पहरेदारी के बावजूद पिछड़ी जाति की कई उपजातियों और संगठन के लोग आरक्षण बचाओ महापंचायत के लिए निकले, गिरफ्तारी दी, पुलिस लाइन में फोर्स की मौजूदगी में बेखौफ हो सभा की उससे साफ है कि यह आंदोलन व्यापक होता जा रहा है।
आंदोलन के बाद ही इसका संकेत दे दिया था कि आगामी लोकसभा भी इससे अछूता नहीं रहेगा। आंदोलन की अगुवाई करने वाले अजीत यादव, दिनेश यादव, मनोज समाजसेवी, लालाराम सरोज आदि का साफ तौर पर कहना है कि वे आंदोलन चुनाव तक किसी न किसी रूप में जिंदा रखेंगे। इसके लिए उन्हाेंने पूरे देश में शहर तथा गांवों में नुक्कड़ सभाओं, पर्चे बांटने आदि की घोषणा की है जिसका दौर शुरू हो चुका है। एम्स का मुद्दा संसद में उठाने वाले शरद यादव इस आंदोलन की कमान संभालने के लिए भी तैयार हैं। एक मुद्दे पर ही सही लेकिन इनकी यह एका बड़ी पार्टियों खासतौर, पर पिछड़ों की राजनीति करने वालों, और सरकार की बेचैनी बढ़ा दी है। मुजफ्फरनगर तथा दंगों से संबंधित एक रिपोर्ट को लेकर चौतरफा घिरी प्रदेश सरकार के लिए मंगलवार को प्रस्तावित आरक्षण समर्थकों की महापंचायत की सफलता से परेशानी और बढ़ सकती थी। सामाजिक न्याय मोर्चा की बुधवार को बैठक होगी, जिसमे आगे की रणनीति पर चर्चा होगी।
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महापंचायत को लेकर शहर में दहशत, सैकड़ों गिरफ्तार

इलाहाबाद (ब्यूरो)। रोक के बावजूद त्रिस्तरीय आरक्षण व्यवस्था के हजारों समर्थक मंगलवार को सड़कों पर निकले और गिरफ्तारी दी। उन्होंने फोर्स की मौजूदगी में पुलिस लाइन में महापंचायत भी आयोजित की। बालसन चौराहा पर छोटे-छोटे समूह में पहुंचे आरक्षण समर्थकों को पुलिस लाइन लाया गया। ग्रामीण क्षेत्र के प्रमुख बाजारों और मार्गों पर भी सैकड़ों समर्थकों ने गिरफ्तारी दी। इंडियन जस्टिस पार्टी के डॉ. उदित राज को बमरौली एयरपोर्ट, इंडियन नेशनल लीग के अध्यक्ष राघवेंद्र प्रताप सिंह समेत अन्य नेताओं को जंक्शन तथा शहर से बाहर ही रोक लिया गया। पुलिस के अनुसार बालसन चौराहा पर 540 तथा कुल तकरीबन सात सौ लोगों ने गिरफ्तारी दी। इसके विपरीत आरक्षण समर्थकों ने हजारों की संख्या में गिरफ्तारी दिए जाने का दावा किया है। शाम को सभी को छोड़ दिया गया। अंतिम समय में कहीं बवाल न हो जाए इसलिए उन्हें बसों से अलग-अलग मुहल्लों में छोड़ा गया। पूरे आंदोलन के दौरान राहत की बात यह रही कि कहीं से उपद्रव की सूचना नहीं है। हालांकि आंदोलन के मद्देनजर बैरिकेडिंग, जांच के कारण घरों से निकले लोगों को कुछ परेशानी जरूर हुई। बालसन चौराहा समेत कुछ स्थानों पर पुलिस को लाठी भी पटकनी पड़ी।
पूर्व की घटनाओं को देखते हुए सामाजिक न्याय मोर्चा की ओर से घोषित ‘आरक्षण बचाओ महापंचायत’ को लेकर पूरे शहर में दहशत और तनाव का माहौल रहा। जिला प्रशासन के रोक के बाद भी समर्थक इसके लिए अड़े रहे। इसको लेकर प्रदेश सरकार भी पूरी तरह से सतर्क रही। महापंचायत में शामिल होने के लिए दूरंतों ट्रेन से आ रहे जनता दल यूनाइटेड के अध्यक्ष शरद यादव को गाजियाबाद तथा अपना दल की अनुप्रिया पटेल को रायबरेली में ही सोमवार देर रात को गिरफ्तार कर लिया गया। शहर तथा दूसरे जिलों से जोड़ने वाले मार्गों पर चप्पे-चप्पे पर फोर्स तैनात रही। छात्रों तथा प्रतियोगियों के बहुलता वाले इलाकों में काफी सख्ती थी। इसकी वजह से कहीं भी युवाओं का जमावड़ा नहीं हो पाया। जहां भी दो-चार लोग इकट्ठा हुए पुलिस ने उन्हें हटा दिया। इसके बाद भी आरक्षण समर्थक बालसन चौराहा पहुंचने में सफल हुए। गलियों में एकत्रित प्रतियोगी छोटे-छोटे समूह में आनंद भवन, हासिमपुर रोड, जीटी रोड हर तरफ से बालसन चौराहा पहुंचे, जिन्हें वहीं गिरफ्तार कर लिया गया। खास यह कि समर्थकों ने इसका कोई प्रतिरोध नहीं किया और नारेबाजी करते हुए पुलिस की बस, वैन में चढ़ गए। इसके बाद उन्हें पुलिस लाइन ले जाया गया। इस दौरान वे प्रदेश सरकार और जिला प्रशासन के खिलाफ नारेबाजी करते हुए चल रहे थे। पुलिस और आरक्षण समर्थकों के बीच लुका-छिपी का यह खेल दिन भर चला।

सोमवार, 16 सितंबर 2013

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री को निवेदित पत्र

मेरा मानना है की बिना परिश्रम के प्राप्त मूल्य /सम्मान संपदा सत्ता की कोई परवाह नहीं होती, माया मुलायम और उनके पुत्र के साथ कुछ ऐसा ही है -

बुधवार, 14 अगस्त 2013

संघर्ष के परिणाम -

साथियों ;
संघर्ष के परिणाम -
अभी दो दिन पहले ही राजनारायण जी ने इस पोस्ट को तैयार किया है और उन्होंने माननीय सर्वोच्च न्यायालय के जजों का उल्लेख किये हैं उन जजों पर देशद्रोह का मुकदमा चलाया जाना चाहिए जिन्होंने इतना घटिया बयान दिया है !
परन्तु उम्मीद बंधी है की संसद इसे गंभीरता से ली है तमाम पिछड़े दलित सांसदों ने इस मसले को गंभीरता से उठाया है जिससे यह बयान आया है .
पर अभी इसकी गंभीरता को न्यालय की मानसिकता पर इंतज़ार करने की वजाय संसद संबिधान संसोधन लाये जो ज्यादा उपयुक्त होगा अन्यथा न्यालय इसे लटका कर रखेगा ऐसा संदेह स्वाभाविक है -


पिछड़ी जातियों के आरक्षण के लिए : अनशन

सामजिक न्याय के लिए संघर्ष ;
 "हमें खाद्य सुरक्षा कानून और लैप-टॉप नहीं चाहिये। देना है तो हमारा संवैधानिक हक-अधिकार, भेदभाव रहित न्याय व्यवस्था और दलित-आदिवासी-पसमांदा और समस्त पिछड़ी जातियों को जीवन के सभी क्षेत्रों में आबादी के हिसाब से हिस्सेदारी दे दो। हम अपने भोजन और लैप-टॉप का इंतजाम खुद कर लेंगे।" - अनुप्रिया पटेल।
उत्तर प्रदेश सरकार चाहे तो सौ फर्जी मुकदमे लाद दे पर आरक्षण समर्थकोँ के लिये हमेशा लड़ूगी। दलित- आदिवासी- पसमांदा और समस्त पिछड़ी जातियों के लिये आरक्षण की लड़ाई कोई नौकरी लेने और पैसा कमाने की लड़ाई नहीं है बल्कि समाज और जीवन के सभी क्षेत्रों में न्याय- भागीदारी-बराबरी स्वाभिमान और सम्मान की लड़ाई है। आरक्षण समर्थकों को बदनाम करने की साजिश बंद हो। उत्तर प्रदेश सरकार की पुलिस- प्रशासन आरक्षण समर्थक छात्रों को बदनाम कर रही है। प्रदेश भर में दर्ज आरक्षण समर्थक छात्रों पर से मुकदमा वापस लिया जाय और उन्हें परेशान- प्रताड़ित न किया जाय। आरक्षण समर्थक सभी क्रांतिकारी छात्र-युवाओं का सम्मान की इस लड़ाई में साथ देने के लिये शुक्रिया।
अनुप्रिया जी ..आज पिछड़ा वर्ग कराह रहा है जहाँ ज़रा भी सम्बेदना है. पर तथाकथित पिछड़े समर्थक राज्नीतिज्ञों ने जितना धोखा दिया है उतना तो सवर्ण भी न देता. जिस मंडल कमीशन को आज भी कई प्रदेश पूर्ण रुपेंन लागू भी नहीं कर पाए हैं वहीँ उत्तर प्रदेश में लोक सेवा आयोग के फैसले को जिस तरह से निरस्त किया गया है, वह बहुत ही गंभीर मसला है. यदि इसी समय इस लड़ाई को न लड़ा गया तो आने वाले दिनों में यह लटक जाएगा और द्विजों की भेंट चढ़ जाएगा. वर्तमान/निवर्तमान शासक जिस तरह से उत्तर प्रदेश में भी द्वीज बंदना में लगे हैं लगता है सब कुछ उन्हें "भेंट" स्वरुप समर्पित कर देंगे. मुझे लगता है आप साहस और हिम्मत की सोच समृद्ध लगती हैं जिसकी वजह से इमानदार तरीके से लड़ सकती हैं. आप आगे बढेंगी तो लोग आ जायेंगे. हम लोगों के पास जीतनी क्षमता है उसका भी उपयोग कर सकती हैं. 

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आरक्षण समर्थकों पर से मुकदमा हटाने की मांग
लखनऊ। आरक्षण के समर्थन में अपना दल के कार्यकर्ताओं ने सोमवार को विधान भवन के सामने तीन दिवसीय क्रमिक अनशन शुरू किया। उन्होंने मांग की है कि लोक सेवा आयोग की प्रतियोगी परीक्षाओं में त्रिस्तरीय आरक्षण फार्मूला लागू किया जाए। पार्टी की विधायक अनुप्रिया पटेल और आरक्षण समर्थकों के खिलाफ इलाहाबाद के जार्जटाउन थाने में दर्ज मुकदमों को शीघ्र वापस लिया जाए। अपना दल के पूर्व विधायक ज्वाला प्रसाद यादव के नेतृत्व में प्रदेश और जिला स्तर के पदाधिकारी क्रमिक अनशन में शमिल हुए।
उन्होंने आरोप लगाया कि केन्द्र व राज्य में बैठी पूर्व और वर्तमान सरकारों ने हमेशा ओबीसी और एससीएसटी का हक मारा है। वोट की राजनीति के कारण उक्त वर्ग का हक मारने का काम किया जा रहा है। अब इसे बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। नसिं।
(हिंदुस्तान)

13 अगस्त, 2013 को आरक्षण के समर्थन में लखनऊ स्थित उत्तर प्रदेश विधान भवन के सामने चल रहे क्रमिक अनशन के दूसरे दिन अपना दल की राष्ट्रीय महासचिव व विधायक अनुप्रिया पटेल ने देश और प्रदेश की सरकारों से दलित-आदिवासी-पसमांदा और समस्त पिछड़ों को ठगने का धंधा छोड़कर आबादी के अनुपात में हिस्सेदारी की वकालत की। सत्ता के केन्द्रों- मीडिया,ब्यूरोक्रैसी,जुडीशियरी आदि में बैठे मठाधीशों के द्वारा आरक्षण के खिलाफ किये जा रहे साजिश को खत्म करने के लिये राष्ट्रीय स्तर पर आन्दोलन की जरूरत पर बल दिया। अनुप्रिया पटेल ने आरक्षण समर्थकों पर थोपे गये मामले को फर्जी बताते हुये राज्य सरकार से मुकदमें वापस लेने की अपील की और कहा कि इन्हे परेशान-प्रताड़ित करने का अंजाम बुरा होगा।

पिछड़ी जातियों के आरक्षण के लिए सुश्री अनुप्रिया पटेल ने अपना दल की ओर से 12-13-14 अगस्त, 2013 
को तीन दिवसीय क्रमिक अनशन का कार्यक्रम उत्तर प्रदेश विधानसभा के सामने रखा गया था। हमारी प्रमुख 
माँगे थी कि- UPPSC में त्रिस्तरीय आरक्षण फॉर्मूला लागू हो। आरक्षण समर्थकों पर से मुकदमा वापस हो और पुलिस-प्रशासन आरक्षण समर्थकों को परेशान-प्रताड़ित करना बंद करे। साथ ही उत्तर प्रदेश में 2007-2012 और 2012 से अबतक दलित-आदिवासी-पसमांदा- समस्त पिछड़ी जातियों को मिले सभी स्तरों की नौकरियों के बारे में राज्य सरकार श्वेत पत्र जारी करे। इस आंदोलन को लेकर बड़े भाई डॉ.लाल रत्नाकर ने पोस्टर बनाकर समर्थन किया जिसके लिये धन्यवाद। आप सभी शुभचिंतकों, समर्थकों, विचारकों को भी विचार-भावनात्मक समर्थन के लिये धन्यवाद। हमारा संघर्ष जारी रहे यही अपील है।



सोमवार, 1 जुलाई 2013

छत्तीसगढ़ का पिछड़ा आन्दोलन !

प्रेस विज्ञप्ति            
 दिनांक 30/06/2013

बस्तर से भी बड़ी पिछड़ा वर्ग अधिकार यात्रा सरगुजा संभाग से आएगी।

     रायपुर, आज राज्य पिछड़ा वर्ग समाज समन्वय समिति, के प्रदेश समन्वयक सदस्यो की महत्वपूर्ण बैठक, न्यू सर्किट हाउस मे आहूत की गई। बैठक मे सरगुजा संभाग के समस्त जिलो के प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया । बैठक मे अन्य पिछड़ा वर्ग के प्रमुख मांगो के संबद्ध मे विस्तार पूर्वक चर्चा हुई जिसमे प्रमुख रूप से नौकरी, प्रमोशन,शैक्षणिक संस्थायों मे जनसंख्या के आधार पर या कम से कम 27% आरक्षण सहित अन्य प्रमुख मांग शामिल है। समन्वय समिति के कोर कमेटी के सदस्यों के साथ बैठक मे सरगुजा संभाग के प्रतिनिधियों ने सरगुजा संभाग मे आंदोलन करने की रूप रेखा बनाई।
     इस कड़ी मे आगामी 7 जुलाई को राज्य पिछड़ा वर्ग समाज समन्वय समिति की प्रदेश स्तरीय बैठक चंद्राकर छात्रावास, महादेव घाट रोड, रायपुर मे आयोजित की गई है। बैठक मे छत्तीसगढ़ के चारो संभागों के समस्त जिलो के प्रतिनिधि उपस्थित हो कर भावी कार्यकर्मों के आयोजन तथा सरगुजा से आने वाली पिछड़ा वर्ग अधिकार यात्रा जो की चारामा  से निकली  अधिकार रैली से  बड़ी रैली की वयवस्था के संदर्भ मे विस्तृत चर्चा की जाएगी ।
         समन्वय समिति के प्रवक्ता मोहन चंद्राकर एवं शांतनु साहू ने बताया के आज के इस बैठक मे प्रमुख रूप से शांतनु साहू, मोहन चंद्राकर, माधव यादव, इं. नारायण साहू, जी. एल. बीजोरा, महेश देवांगन, बसंत तारक, लीलाधार चंद्राकर, प्रहलाद रजक, कैलाश गुप्ता, मुरारी लाल गुप्ता, बंटी कश्यप, हीरा देवांगन, नन्द किशोर गुप्ता,पुष्कर कहार, विनय कुमार, सुरेश गुप्ता आदि गणमान्य समाज के प्रमुख लोग उपस्थित थे।
                                       मोहन चंद्राकर  / शांतनु साहू,
                                  9977002275 / 9425208

अस्पृश्यता उसका स्रोत ; बाबा साहेब डा. अम्बेडकर संपूर्ण वाड्मय

अस्पृश्यता-उसका स्रोत  ऐसे लोगों की कमी नहीं है जो अस्पृश्यों की दयनीय स्थिति से दुखी हो यह चिल्लाकर अपना जी हल्का करते फिरते हैं कि हमें अस...