Nov 15, 01:43 am
मेरठ। अन्य पिछड़ा वर्ग आरक्षण सूची में शामिल जातियों की जनसंख्या बहुतायत में है। उनके उत्थान को जरूरी है कि ओबीसी आरक्षण 27 प्रतिशत से बढ़ाकर 54 प्रतिशत किया जाये।
रविवार को बच्चा पार्क स्थित प्यारे लाल शर्मा स्मारक में हुए अखिल भारतीय पिछड़ा वर्ग सम्मेलन में महाराष्ट्र के सांसद राजीव सेठी ने वकालत की। कहा कि इस बार जाति आधार पर जनगणना होगी तो जनगणना आंकड़ों से यह बात साबित हो जायेगी कि ओबीसी आरक्षण सूची में शामिल जातियों की जनसंख्या अन्य जातियों की तुलना में 64 प्रतिशत है। ऐसे में उनके उत्थान के लिए 54 प्रतिशत आरक्षण होना चाहिए।
नगीना सांसद यशवीर सिंह ने महिलाओं के उत्थान को मध्यप्रदेश व झारखंड की तरह सरकारी नौकारियों में उन्हें आरक्षण देने की वकालत उप्र के लिए की। कहा कि महिलाओं को अलग से आरक्षण देने के लिए विधेयक भी पारित होना चाहिए। ऑल इंडिया बैकवर्ड एम्पलाइज फैडरेशन के तत्वावधान में आयोजित इस कार्यक्रम में संगठन के प्रदेश अध्यक्ष कौशलेन्द्र प्रसाद यादव ने कहा कि अपने अधिकार के लिए अन्य पिछड़ा वर्ग में शामिल सभी जातियों को संगठित होना होगा। यदि वह संगठित होती है तो उनका समस्याओं का समाधान तेजी से होगा। जरूरी यह भी है कि ओबीसी व दलित का आपस में संगम हो। अध्यक्षता करते हुए हाईकोर्ट के सेवानिवृत न्यायमूर्ति सखाराम सिंह ने संगठन की स्मारिका सोशल ब्रेनवास का विमोचन किया। एमएलए डी पी यादव, कांता यादव, डा. राजेन्द्र यादव, पूर्व मंत्री प्रभु वाल्मिीकि आदि ने सम्बोधित किया।
(दैनिक जागरण से साभार)
सामाजिक सरोकारों और केंद्र के मंत्री एंधिमुत्त्तु राजा चूँकि दलित समाज से आते है अतः इन पर भ्रष्टाचार को लेकर जो हमला किया गया है वह सामाजिक सरोकारों से भी कहीं न कहीं जुड़ता है . (डॉ.लाल रत्नाकर)
झुकना ही पड़ा डीएमके को
दूरसंचार मंत्री ए राजा के पक्ष में अब तक मजबूती से खड़ी डीएमके को आखिरकार अपने मंत्री को इस्तीफा देने को कहना ही पड़ा। पार्टी मुख्यालय की ओर से जारी बयान के मुताबिक, संसद की कार्यवाही को बाधित होने से बचाने के लिए उसने राजा को इस्तीफे के निर्देश दिए थे। बयान में कहा गया है कि कुछ विपक्षी पार्टियां नियोजित तरीके से राजा के इस्तीफे को लेकर संसद ठप करने की तैयारी में थीं। वैसे, राजा ने स्पेक्ट्रम आवंटन में दूरसंचार मंत्रालय की 1999 से जारी प्रक्रिया का ही पालन किया है।
एंधिमुत्त्तु राजा का सफरनामा
-- तमिलनाडु के नीलगिरि विधानसभा क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करने वाले राजा पेशे से वकील हैं।
-- स्कूल के दिनों से ही डीएमके में अपना भविष्य तैयार करना शुरू कर दिया था।
-- साहित्यिक योग्यता के कारण जल्दी ही पार्टी अध्यक्ष एम. करुणानिधि के बेहद करीब हो गए।
-- 1996 में पहली बार लोकसभा में चुने गए।
-- पहला मंत्रालय केंद्रीय ग्रामीण विकास राज्य मंत्री के रूप में 1999 में अटल बिहारी वाजपेयी के प्रधानमंत्रित्वकाल में मिला।
-- 2004 में पेरांबलूर में चुने जाने के बाद कैबिनेट मिनिस्टर बने। उन्हें पर्यावरण एवं वन मंत्रालय दिया गया।
-- दयानिधि मारन के अपने पद से इस्तीफा देने के बाद वर्ष 2007 में पहली बार दूरसंचार मंत्री बने।
-- 17 अक्तूबर 2008 को श्रीलंका में तमिल नागरिकों की हत्या को लेकर पद से इस्तीफा दिया।
-- वर्ष 2009 में दोबारा इस पद की जिम्मेदारी सौंपी गई।
दूरसंचार मंत्री ए राजा के पक्ष में अब तक मजबूती से खड़ी डीएमके को आखिरकार अपने मंत्री को इस्तीफा देने को कहना ही पड़ा। पार्टी मुख्यालय की ओर से जारी बयान के मुताबिक, संसद की कार्यवाही को बाधित होने से बचाने के लिए उसने राजा को इस्तीफे के निर्देश दिए थे। बयान में कहा गया है कि कुछ विपक्षी पार्टियां नियोजित तरीके से राजा के इस्तीफे को लेकर संसद ठप करने की तैयारी में थीं। वैसे, राजा ने स्पेक्ट्रम आवंटन में दूरसंचार मंत्रालय की 1999 से जारी प्रक्रिया का ही पालन किया है।
एंधिमुत्त्तु राजा का सफरनामा
-- तमिलनाडु के नीलगिरि विधानसभा क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करने वाले राजा पेशे से वकील हैं।
-- स्कूल के दिनों से ही डीएमके में अपना भविष्य तैयार करना शुरू कर दिया था।
-- साहित्यिक योग्यता के कारण जल्दी ही पार्टी अध्यक्ष एम. करुणानिधि के बेहद करीब हो गए।
-- 1996 में पहली बार लोकसभा में चुने गए।
-- पहला मंत्रालय केंद्रीय ग्रामीण विकास राज्य मंत्री के रूप में 1999 में अटल बिहारी वाजपेयी के प्रधानमंत्रित्वकाल में मिला।
-- 2004 में पेरांबलूर में चुने जाने के बाद कैबिनेट मिनिस्टर बने। उन्हें पर्यावरण एवं वन मंत्रालय दिया गया।
-- दयानिधि मारन के अपने पद से इस्तीफा देने के बाद वर्ष 2007 में पहली बार दूरसंचार मंत्री बने।
-- 17 अक्तूबर 2008 को श्रीलंका में तमिल नागरिकों की हत्या को लेकर पद से इस्तीफा दिया।
-- वर्ष 2009 में दोबारा इस पद की जिम्मेदारी सौंपी गई।