सोमवार, 10 मार्च 2025

डॉ अनिल जयहिंद का डॉ लाल रत्नाकर से व्हाट्सएप्प संवाद : 10 ;03 ;2025

  डॉ अनिल जयहिंद का डॉ लाल रत्नाकर से व्हाट्सएप्प संवाद :

10 ;03 ;2025 
(श्री राहुल गांधी जी ने इनको (डॉ अनिल जैहिन्द यादव को) संविधान बचाने की जिम्मेदारी दे रखी है और उनकी समझ कितनी है इस संवाद में समझ में आ जाएगी।)


अज : तेरी समझ की दाद देनी पडेगी। treasurer बन कर लोकतांत्रिक जनता दल को भाजप से जादा चंदा दिला दिया। और उत्तर प्रदेश की 80 सीट जीता दी। वाह।
रत्नाकर ; ठीक समझा।

अज : मुझे अच्छा लगा कि दिन रात तेरे जहन में मैं रहता हूँ।  रोजाना 4 पोस्ट मेरे नाम की डालता है।
रत्नाकर ; भाषा को ठीक रखा जाए और आपसी मेल मोहब्बत बनी रहे अपना सच सुनने से भागना नहीं चाहिए मेरा ख्याल है कि मैंने उत्तर प्रदेश में 80 नहीं तो 37 से 42 तक पहुंचा तो दिया ही है। लोकतांत्रिक जनता दल में जो कुछ भी था किसी तिकड़म से नहीं था। माननीय शरद जी की ऐसी इच्छा थी उन्होंने मेरे अंदर कुछ देखा होगा इसलिए ऐसा किया था. मुझे अफसोस है कि आप अपने आचरण से हमारे जैसे लोगों को भी बर्दाश्त नहीं कर पा रहे हैं। जबकि शास्त्रों में लिखा है निंदक नियरे राखिए आंगन कुटी छावाए.

अज : निंदक डायरेक्ट बोलता है। सोशल मिडिया पर नहीं।
रत्नाकर ; वैसे हमारे जेहन में बहुत लोग रहते हैं आप अकेले नहीं हो इसलिए मुझे इस बात की फिक्र नहीं होती कि मेरे बारे में कोई क्या कह रहा है।

अज :  मुझे खुशी है कि जो व्यक्ति दिन रात पहले धरतीपुत्र मुलायम सिंह यादव को कोसता था, आज मुझे कोस रहा है। मुलायम को कोसते हुऐ शरद यादव जी के पास मैंने खुद सुना है। मायावती के गुणगान करते हुऐ.
रत्नाकर ;  ऐसा आप जैसा व्यक्ति ही अपने बारे में लिख सकता है मैं तो मुलायम सिंह के इर्द-गिर्द भी आपको नहीं रखता आप न जाने किस जमाने की तोप हो गए हो। बस डर लगता है कि राहुल गांधी का आंदोलन कहीं आपकी भेंट न चढ़ जाए।

अज : निंदक डायरेक्ट बोलता है। सोशल मिडिया पर नहीं।
रत्नाकर ; रही बात सामने कहने की तो कभी मैं सच कहने से पीछे नहीं जाता इस बात से आप अच्छी तरह वाकिफ हो मैं पीछे से किसी के ना ही हथियार चलाता हूं और ना ही चोरी करता हूं और ना ही झूठ बोलता हूं। यह मेरा स्वभाव और मेरा सच है जिसकी वजह से बहुत सारे लोग मेरा नुकसान भी करते हैं मैं ऐसा देखा हूं। शरद जी की बात बीच में मत लाइए मैंने आपको वहां भी देखा और सुना है।

अज : शरद यादव जी ने मुझे महासचिव बनाया था।
रत्नाकर ; मैंने कहां कहा कि नहीं बनाया था। आपके महासचिव रहते हुए पार्टी के उत्थान और पतन दोनों को मैंने देखा।

अज :बिना सोचे बनाया था? पार्टी के पास फंड नहीं हो पाया क्योंकि कोषाध्यक्ष नकारा था।
रत्नाकर ; कोषाध्यक्ष का काम में बखूबी और ईमानदारी से किया हूं महासचिव का काम होता है पार्टी को समृद्ध बनाना और आपका एक पैसे का भी पार्टी में योगदान मुझे नजर नहीं आया। शब्द की गरिमा बनाए रखिए नाकारा शब्द बहुत अच्छा नहीं होता।

अज : अब राजद का बंटाधार कर दिया। 
रत्नाकर ; मुझे अच्छी तरह याद है अंतिम दिनों में आप लोगों ने क्या किया था। राजद बहुत अच्छी स्थिति में है । उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी भी और मेरा मानना है कि इंडिया गठबंधन को मजबूत करने के लिए हमारे जैसे लोगों की बहुत जरूरत है।

अज : जहां जहां पैर पड़े रत्नाकर के, वहीं वहीं बंटाधार।
रत्नाकर ;  बिल्कुल अपने दरवाजे को सुरक्षित रखिए। कहीं मेरे पांव वहां पड़ गए तो विचार करिए कहां जगह बनेगी.....

अज :बुदेला को राजद से टिकट न मिलना तुम्हारा फेल्योर है।
रत्नाकर ; मैं आपकी इस बात से पूरा सहमत हूं हमें प्रयास करना चाहिए था जिसको हम लोग नहीं कर पाए।
मुझे पूरा भरोसा है कि आपके प्रयास से इस बार बुलबुल को जरूर पार्लियामेंट में जगह मिलेगी। जिसके लिए आपकी त्याग तपस्या बहुत काम आएगी। 
आमीन।

अज : हम सच्चा प्रयास करते हैं। राजकमल के मामले में थोड़ा देर से शुरू हुए।
रत्नाकर ; विश्राम करिए आगे की रणनीति पर विचार करिए कहां हमारे पीछे पड़ गए हैं हम आपके पीछे नहीं पड़े हैं हम चाहते हैं कि सामाजिक न्याय का भला हो। और सामाजिक न्याय चाहने वाले भी आगे इस ईमानदारी से बढ़ें अगल-बगल न झांके।

अज : Bulbul is doing well in Gujarat as incharge secretary, learning, maturing and growing fast.
रत्नाकर ; ओके।, यह कोई नई बात नहीं है हम इससे वाकिफ हैं।
अज :For your kind information.I take care of Congress, you do your duty in RJD
रत्नाकर ; आपके अंदर हमारे लिए इतना जहर भरा है मुझे मालूम नहीं था।

अज : जहर नहीं अमृत है। आपके जहर को मारेगा
रत्नाकर ;मैं राजद की ओर से आपको कुछ नहीं कह रहा हूं और न हीं कांग्रेस की ओर से आपसे कोई अपेक्षा है। आप तो मेडिकल के विद्यार्थी हो मुझे लगता है कि दोनों की उपयोगिता आपको अच्छी तरह पता होगी। अमृत किस रूप में आप बांट रहे हैं यह तो अभी-अभी हमने देखा है।

अज : 140 करोड बहुजन की जंग लडते हैं।
रत्नाकर ; अभी नई जनगणना के आंकड़े नहीं आए हैं।

अज : हम जहर पीते हैं, और अमृत बांटते हैं, शिव की तरह। 
रत्नाकर ; मोहब्बत खरीदिए।

अज : सच्चे लोग हमें फ्री में मोहब्बत दे देते हैं। हमने आज तक मोहब्बत खरीदी नहीं, सिर्फ अर्जित की है।
रत्नाकर ;  हम तो बिल्कुल देने के मूड में नहीं है।

अज : तुम मोहब्बत की नकली कापी पेंटिंग बेचते हो। लेकिन हम खरीदार नहीं।
रत्नाकर ;  पात्रता होनी चाहिए। पेंटिंग तो पेंटिंग होती है पेंटिंग को समझने के लिए पात्रता होनी चाहिए और पात्रता होगी तो खरीदने का माद्दा भी।

अज : कितनी बिकी आईफेक्स में
रत्नाकर ;  क्या करेंगे जानकर?

अज : खुद मान रहे हो कि तुम्हारी पेंटिंग किसी के पल्ले नहीं पड़ती।
बाजार में एक जन्तु है, जो है तो पीला लेकिन खुद को लाल बताता है। जो है तो कंकर, लेकिन खुद को रत्नाकर बताता है।
रत्नाकर ;बाजार कहां पहुंच गए। कंकड़ पत्थर जोड़कर फलां लिए बनाय । ता पर चढ़कर बाहुबली की तरह चिल्लाय।

अज : सजन रे झूठ मत बोलो
खुदा के पास जाना है न पेंटिंग है, न झोला है न टोपी है वहां पैदल ही जाना है।
रत्नाकर ; लगता है अभी उतरी नहीं है। कल रात के नशे की खुमारी नहीं गई। जालिम तेरा बचन है या गाली है समझ में ना आए। बताते हो 140 करोड़ का मसीहा और अपने एक साथी को माटी में रहे हो मिलाय। अहंकार तो बड़ों का नहीं चला हम लोग तो उसके आगे क्या है।

अज : आपकी कला की यात्रा उस रोज शुरू होगी, जिस रोज कापी छोड़कर ओरिजनल बनाना शुरू करेंगे।
रत्नाकर ; हा हा हा हा हा हा......... वाह कला के भी विशेषज्ञ निकले। डर यही था की ज्यादा चलने में, बोलने में, लिखने में, फोटो खींचाने में कहीं सच न उजागर हो जाए।

अज : खुद को लाल रत्न कहने से कोई कलाकार नहीं बना। स्वयंभु कहते हैं।
रत्नाकर ;मेरा नाम है भाई है। अब आपका नाम का क्या बखान करूं। कहीं उस व्यक्तित्व का अपमान ना हो जाए जिसने यह नारा दिया होगा। 
जयहिंद।।

अज : अमीर के चक्कर काट कर कुछ न प्राप्त होगा।
रत्नाकर ; अमीर और गरीब का संबंध हजारों साल का है कृष्ण को ही देखीए ना सुदामा की कितनी मदद किया।

अज : गरीब की सेवा करें।
रत्नाकर ; आपसे बड़ा तो कोई नजर नहीं आ रहा है।  हो सके तो खुद भी कुछ करें।

अज :अमीर के चक्कर काट कर कुछ न प्राप्त होगा।
रत्नाकर ;  अमीर और गरीब का संबंध हजारों साल का है कृष्ण को ही देखीए ना सुदामा की कितनी मदद किया।

अज : प्रेस क्लब के चक्कर काटने की बजाय गाँव जाऐं। लोगों के पास
रत्नाकर ; आप जीत गए हैं मैं हार गया हूं बाज आईए । आप रणहो - पुतहो पर उतर आए हैं। कहीं कॉल मिलाकर अपनी इतनी सुमधुर सशक्त आवाज में कुछ करना ना शुरू कर दें।
रत्नाकर ; अगली योजना क्या है?  लखनऊ में है कि दिल्ली से ही प्रसारण कर रहे हैं।  आज आप लखनऊ रहने का संदेश अपने फेसबुक पेज पर डालें है।



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