Jul 04, 09:44 pm
नई दिल्ली [जागरण ब्यूरो]। केंद्रीय सेवाओं में आरक्षण के मुद्दे पर जाट राजनीति को एक बार फिर गरमाने की कोशिश शुरू कर दी गई है। आरक्षण आंदोलन की आगामी रणनीति बनाने के लिए सोमवार को आयोजित बैठक में राष्ट्रीय लोकदल के अध्यक्ष अजित सिंह और कांग्रेस के सांसद शीश राम ओला भी पहुंचे। बैठक में सभी ने एकजुटता की बात दोहराई, लेकिन बैठक से आरक्षण संघर्ष समिति का दूसरा गुट नदारद रहा।
बैठक का आयोजन संयुक्त जाट संघर्ष समिति ने किया था, जिसके अध्यक्ष एचपी सिंह परिहार हैं। जबकि यशपाल मलिक के नेतृत्व वाले अखिल भारतीय जाट आरक्षण संघर्ष समिति के नेता इस बैठक से दूर रहे। गुटबाजी की शिकार संघर्ष समिति के नेता राजनीतिक दलों से दूरी बनाए रखने और एकजुटता की अपील करते रहे। तभी रालोद नेता अजित सिंह ने कहा कि आंदोलन की सफलता के लिए एकजुटता जरूरी है।
जाट आरक्षण के लिए संघर्ष की प्रभावी रणनीति बनाने के लिए जिन बड़े नेताओं को मंच पर बुलाया गया था, वे बहुत जल्दी में थे। राष्ट्रीय लोकदल के नेता अजित सिंह सबसे पहले बोले और यह कहकर चले गए कि उन्हें तेलंगाना के लोगों के कार्यक्रम में जाना है। हालांकि वह जाट नेताओं को यह जरूर बता गए कि आंदोलन के लिए राजनीतिक परिस्थितियां अनुकूल होनी चाहिए जो इस समय हैं। उन्होंने यह भी जोड़ा कि नेताओं के मुकाबले जनता का दबाब ज्यादा कारगर होता है।
अजित सिंह ने आंदोलन चलाने वाले नेताओं को चेताया भी कि आंदोलन की एक हद होती है, जिसके भीतर रहकर ही सरकार पर दबाव बनाया जा सकता है। इसे पार करने से आंदोलन बेकाबू हो जाता है और दूसरे समाज के लोग आपके खिलाफ हो जाते हैं। इससे समस्या और जटिल हो जाती है।
कांग्रेस के सांसद शीश राम ओला ने कहा कि इच्छा शक्ति, प्रतिबद्धता और विश्वास के साथ आंदोलन करेंगे तो सफलता मिलेगी। लेकिन आपको यह सोचना होगा कि कौन आरक्षण दिला सकता है और कौन आरक्षण दे सकता है। राजस्थान में आरक्षण से पूर्व कोई जाट भारतीय प्रशासनिक सेवा में नहीं था, लेकिन आरक्षण के बाद से 140 जाट युवक आईएएस और आईपीएस बन चुके हैं।
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