Wednesday, 27 April 2011 08:58 |
दलितों को यकीन था कि गांव में यज्ञ होने के बाद यहां सामाजिक समरसता बढ़ेगी. सो उन्होंने इसमें बढ़-चढ़ कर हिस्सा लिया. दलित महिलाओं ने यज्ञ के भंडारे के लिए सब्जी काटने से लेकर आटा गूथने और रोटी बेलने तक में पूरी मदद की. सब खुश थे कि गांव एक होने को है. लेकिन तभी एक दलित भंडारे में खाना परोसने लगा. फिर बवाल हो गया और 35 लोगों की पंगत में से 20 सवर्ण यह कहते हुए थाली छोड़ कर खड़े हो गए कि इससे पुण्य नष्ट हो जाएगा. घटना उत्तर प्रदेश के महाराजगंज के तहत आने वाले मिठौरा ब्लॉक के खोस्टा गांव की है, जहां 23 अप्रैल को यह घटना घटी. गांव की आबादी 2200 है, जिसमें 1400 दलित हैं. सात साल बाद गांव में शतचंडी यज्ञ का आयोजन किया गया था. परंपरा के मुताबिक नाऊ ने गांव में हर किसी के घर जाकर इसमें शामिल होने का न्यौता दिया. सभी दलितों ने बढ़-चढ़ कर हिस्सा लिया था. लेकिन पंगत से सवर्णों के उठ खड़े होने से अपमानित दलितों ने आपमान का घूंट पी लिया. इसके बाद किसी भी दलित ने यहां भोजन नहीं किया और कार्यक्रम का बहिष्कार कर सभी यज्ञ स्थल से चले गए. उन्होंने भविष्य में सवर्णों के ऐसे किसी भी कार्यक्रम में शामिल नहीं होने का फैसला किया है. दलितों में इस बात को लेकर बेहद गुस्सा है कि शुरू से उन्होंने पूरे यज्ञ में बढ़-चढ़ कर हिस्सा लिया. मेहनत वाले सारे काम किए, यज्ञ के लिए पैसा और चावल दिया, तब किसी ने कोई छुआछूत नहीं दिखाई लेकिन खाने के समय सवर्णों को अचानक अपनी जात याद आ गई. दूसरी ओर गांव के सवर्णों का कहना है कि उन्होंने कुछ भी गलत नहीं किया. पूरे घटनाक्रम में एक दिलचस्प तथ्य यह भी है कि गांव में तकरीबन दो दर्जन दलित राजमिस्त्री का काम करते हैं. जिस मंदिर पर यज्ञ हो रहा था, इसे इन्होंने ही बनाया था. साथ ही आस्था के कारण उन्होंने मंदिर का पूरा निर्माण कार्य मुफ्त में किया. अब वो खुद को ठगा महसूस कर रहे हैं. तो वहीं जिस युवक द्वारा पंगत में खाना परोसने पर 'ढ़कोसलों के रचयिता' लोग पंगत से उठ गए थे, उस युवक का नाम छोटेलाल है और वह मेरठ से बीएड कर रहा है. |
अन्ना हज़ारे यूपी का दौरा करने वाले हैं और भ्रष्टाचार के खिलाफ़ मुहिम चलाना चाहते हैं.
समझा जाता है कि विश्वविद्यालय प्रशासन ने राज्य सरकार के दबाव में यह कदम उठाया है.
लखनऊ विश्विद्यालय शिक्षक और कर्मचारी संघ प्रशासन के फैसले से बहुत नाराज है. दोनों संगठनों ने अपनी नाराजगी व्यक्त करने के लिए एक प्रेस कांफ्रेंस बुलाई.
शिक्षक संघ के अध्यक्ष डाक्टर दिनेश कुमार ने बताया कि वे और उनके साथी कुलपति प्रोफ़ेसर मनोज कुमार मिश्र से मिले थे और उनसे मालवीय सभागार में सभा कर लेने देने का अनुरोध किया. मगर कुलपति नही माने.
प्रशासन द्वारा एस सम्बन्ध में असहमति व्यक्त करने के कारण अतिथि गृह में कक्ष उपलब्ध कराना संभव नही है
मनोज दीक्षित, प्रोफेसर
डाक्टर दिनेश कुमार के अनुसार कुलपति ने कहा कि वह इस तरह का विवादास्पद कार्यक्रम नहीं होने देंगे.
दिनेश कुमार के मुताबिक़ इससे पहले उन्हें मालवीय सभागार में सभा की अनुमति दी गयी थी और उन्होंने उसके लिए आवश्यक धन राशि भी जमा कर दी थी.
शिक्षक संघ के अनुसार मालवीय सभागार के अलावा अन्ना हजारे तथा उनके साथियों किरण बेदी, स्वामी अग्निवेश और अरविन्द केजरीवाल आदि के रुकने के लिए विश्वविद्यालय गेस्ट हाउस देने से भी मना कर दिया गया है. गेस्ट हाउस के इंचार्ज प्रोफेसर मनोज दीक्षित ने इसकी पुष्टि की है.
मनोज दीक्षित ने शिक्षक संघ को लिखे एक पत्र में बताया है कि, ''प्रशासन द्वारा एस सम्बन्ध में असहमति व्यक्त करने के कारण अतिथि गृह में कक्ष उपलब्ध कराना संभव नही है.''
विश्वविद्यालय कर्मचारी परिषद के अध्यक्ष जगदीश सिंह और महामंत्री राकेश यादव भी अपना विरोध दर्ज कराने के लिए प्रेस कांफ्रेंस में उपस्थित थे.
लखनऊ विश्विद्यालय परिसर गोमती नदी के किनारे झूले लाल मैदान के पास है , जहां पहली मई को अन्ना हजारे की जन सभा होनी है.
विश्वविद्यालय शिक्षक संघ ने इस आम सभा से पहले मालवीय सभागार में स्वागत कार्यक्रम रखा था. इसके बाद विश्वविद्यालय के शिक्षक, कर्मचारी और छात्र अन्ना हजारे की रैली में भी शामिल होने वाले थे.
इस घटना से मै बहुत आहत हूँ. आपने कार्य परिषद को भी विशवास में लेना उचित नही समझा. आपका यह कृत्य विश्विद्यालय की स्वायत्तता व् अभिव्यक्ति के मौलिक अधिकार के विरुद्ध है.
अनिल सिंह, प्रोफेसर
विश्विद्यालय कार्यपरिषद के सदस्य अनिल कुमार सिंह ने कुलपति के फैसले की निंदा की है.
अनिल कुमार सिंह ने कुलपति को लिखे एक पत्र में कहा कि, ‘‘इस घटना से मै बहुत आहत हूँ. आपने कार्य परिषद को भी विशवास में लेना उचित नही समझा. आपका यह कृत्य विश्विद्यालय की स्वायत्तता व् अभिव्यक्ति के मौलिक अधिकार के विरुद्ध है. आपके निर्णय से विश्विद्यालय की गरिमा को अपार क्षति हुई है.’’
अनिल कुमार सिंह ने याद दिलाया है कि इसके पहले जय प्रकाश नारायण , वीपी सिंह एवं अन्य सामाजिक राजनीतिक नेताओं की सभाएं विश्विद्यालय परिसर में होती रही हैं.
शिक्षक संघ के महासचिव डाक्टर आरबी सिंह का कहना है कि कुलपति के इस निर्णय को एक चुनौती के रूप में लिया गया है.
अब शिक्षक और छात्र भ्रष्टाचार के खिलाफ अन्ना हजारे के आन्दोलन में ज्यादा सक्रियता से काम करेंगे. उनका कहना है अन्ना हजारे के जाने के बाद शिक्षक संघ इस मसले पर अपनी आम सभा की बैठक बुलाएगा.
कुलपति प्रोफ़ेसर मनोज कुमार ने फोन नहीं उठाया लेकिन गेस्ट हॉउस के इंचार्ज प्रोफ़ेसर मनोज दीक्षित ने सभागार और गेस्ट हॉउस का आरक्षण रद्द करने के निर्णय की पुष्टि की है
प्रेक्षकों का कहना है कि लखनऊ विश्विद्यालय के इस निर्णय से साफ़ है कि मायावती सरकार अन्ना हजारे के उत्तर प्रदेश दौरे से काफी असहज महसूस कर रही है.