मंगलवार, 22 मार्च 2011

जाटों को आरक्षण दिया जाय तो पिछड़ों में नहीं उनका कोटा अलग हो .

डॉ.लाल रत्नाकर 
जाट आन्दोलन का उद्येश्य मूलतः आधारहीन है क्योंकि मंडल आयोग ने इन्हें पिछड़ी जाती में नहीं माना है और न ही यह मंडल आयोग की शर्तों के अनुसार पिछड़े हैं . इनका आन्दोलन दबाव की राजनीती के तहत बेवकूफी भरा है ,पिछड़ी जातियों के उत्थान हेतु दिए जा रहे अवसरों पर 'मनुवादियों' की राय पर यह इनका बेवकूफी भरा कदम है . यदि इनकी बात पर सरकार इन्हें पिछड़ों में शरीक कराती है तो मंडल का उद्येश्य ही समाप्त हो जायेगा.
आईये हम पिछड़े एकजुट होकर 'इनकी नाजायज़ मांग का विरोध करें'
और जाटों को आरक्षण दिया जाय तो पिछड़ों में नहीं उनका कोटा अलग हो .
















टिप्पड़ियाँ-
जाटों को आरक्षण अवश्य दिया जाय लेकिन पिछड़ों में नहीं उनका कोटा अलग हो तथा उसके बाद आवाहन है बनिया और कायस्थों/खत्रियों को कि वे भी अपने लिए आरक्षण मांगे लेकिन उनका कोटा भी जाटों से अलग से मिले।
-उमराव सिंह जाटव

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