सोमवार, 16 सितंबर 2013

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री को निवेदित पत्र

मेरा मानना है की बिना परिश्रम के प्राप्त मूल्य /सम्मान संपदा सत्ता की कोई परवाह नहीं होती, माया मुलायम और उनके पुत्र के साथ कुछ ऐसा ही है -

बुधवार, 14 अगस्त 2013

संघर्ष के परिणाम -

साथियों ;
संघर्ष के परिणाम -
अभी दो दिन पहले ही राजनारायण जी ने इस पोस्ट को तैयार किया है और उन्होंने माननीय सर्वोच्च न्यायालय के जजों का उल्लेख किये हैं उन जजों पर देशद्रोह का मुकदमा चलाया जाना चाहिए जिन्होंने इतना घटिया बयान दिया है !
परन्तु उम्मीद बंधी है की संसद इसे गंभीरता से ली है तमाम पिछड़े दलित सांसदों ने इस मसले को गंभीरता से उठाया है जिससे यह बयान आया है .
पर अभी इसकी गंभीरता को न्यालय की मानसिकता पर इंतज़ार करने की वजाय संसद संबिधान संसोधन लाये जो ज्यादा उपयुक्त होगा अन्यथा न्यालय इसे लटका कर रखेगा ऐसा संदेह स्वाभाविक है -


पिछड़ी जातियों के आरक्षण के लिए : अनशन

सामजिक न्याय के लिए संघर्ष ;
 "हमें खाद्य सुरक्षा कानून और लैप-टॉप नहीं चाहिये। देना है तो हमारा संवैधानिक हक-अधिकार, भेदभाव रहित न्याय व्यवस्था और दलित-आदिवासी-पसमांदा और समस्त पिछड़ी जातियों को जीवन के सभी क्षेत्रों में आबादी के हिसाब से हिस्सेदारी दे दो। हम अपने भोजन और लैप-टॉप का इंतजाम खुद कर लेंगे।" - अनुप्रिया पटेल।
उत्तर प्रदेश सरकार चाहे तो सौ फर्जी मुकदमे लाद दे पर आरक्षण समर्थकोँ के लिये हमेशा लड़ूगी। दलित- आदिवासी- पसमांदा और समस्त पिछड़ी जातियों के लिये आरक्षण की लड़ाई कोई नौकरी लेने और पैसा कमाने की लड़ाई नहीं है बल्कि समाज और जीवन के सभी क्षेत्रों में न्याय- भागीदारी-बराबरी स्वाभिमान और सम्मान की लड़ाई है। आरक्षण समर्थकों को बदनाम करने की साजिश बंद हो। उत्तर प्रदेश सरकार की पुलिस- प्रशासन आरक्षण समर्थक छात्रों को बदनाम कर रही है। प्रदेश भर में दर्ज आरक्षण समर्थक छात्रों पर से मुकदमा वापस लिया जाय और उन्हें परेशान- प्रताड़ित न किया जाय। आरक्षण समर्थक सभी क्रांतिकारी छात्र-युवाओं का सम्मान की इस लड़ाई में साथ देने के लिये शुक्रिया।
अनुप्रिया जी ..आज पिछड़ा वर्ग कराह रहा है जहाँ ज़रा भी सम्बेदना है. पर तथाकथित पिछड़े समर्थक राज्नीतिज्ञों ने जितना धोखा दिया है उतना तो सवर्ण भी न देता. जिस मंडल कमीशन को आज भी कई प्रदेश पूर्ण रुपेंन लागू भी नहीं कर पाए हैं वहीँ उत्तर प्रदेश में लोक सेवा आयोग के फैसले को जिस तरह से निरस्त किया गया है, वह बहुत ही गंभीर मसला है. यदि इसी समय इस लड़ाई को न लड़ा गया तो आने वाले दिनों में यह लटक जाएगा और द्विजों की भेंट चढ़ जाएगा. वर्तमान/निवर्तमान शासक जिस तरह से उत्तर प्रदेश में भी द्वीज बंदना में लगे हैं लगता है सब कुछ उन्हें "भेंट" स्वरुप समर्पित कर देंगे. मुझे लगता है आप साहस और हिम्मत की सोच समृद्ध लगती हैं जिसकी वजह से इमानदार तरीके से लड़ सकती हैं. आप आगे बढेंगी तो लोग आ जायेंगे. हम लोगों के पास जीतनी क्षमता है उसका भी उपयोग कर सकती हैं. 

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आरक्षण समर्थकों पर से मुकदमा हटाने की मांग
लखनऊ। आरक्षण के समर्थन में अपना दल के कार्यकर्ताओं ने सोमवार को विधान भवन के सामने तीन दिवसीय क्रमिक अनशन शुरू किया। उन्होंने मांग की है कि लोक सेवा आयोग की प्रतियोगी परीक्षाओं में त्रिस्तरीय आरक्षण फार्मूला लागू किया जाए। पार्टी की विधायक अनुप्रिया पटेल और आरक्षण समर्थकों के खिलाफ इलाहाबाद के जार्जटाउन थाने में दर्ज मुकदमों को शीघ्र वापस लिया जाए। अपना दल के पूर्व विधायक ज्वाला प्रसाद यादव के नेतृत्व में प्रदेश और जिला स्तर के पदाधिकारी क्रमिक अनशन में शमिल हुए।
उन्होंने आरोप लगाया कि केन्द्र व राज्य में बैठी पूर्व और वर्तमान सरकारों ने हमेशा ओबीसी और एससीएसटी का हक मारा है। वोट की राजनीति के कारण उक्त वर्ग का हक मारने का काम किया जा रहा है। अब इसे बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। नसिं।
(हिंदुस्तान)

13 अगस्त, 2013 को आरक्षण के समर्थन में लखनऊ स्थित उत्तर प्रदेश विधान भवन के सामने चल रहे क्रमिक अनशन के दूसरे दिन अपना दल की राष्ट्रीय महासचिव व विधायक अनुप्रिया पटेल ने देश और प्रदेश की सरकारों से दलित-आदिवासी-पसमांदा और समस्त पिछड़ों को ठगने का धंधा छोड़कर आबादी के अनुपात में हिस्सेदारी की वकालत की। सत्ता के केन्द्रों- मीडिया,ब्यूरोक्रैसी,जुडीशियरी आदि में बैठे मठाधीशों के द्वारा आरक्षण के खिलाफ किये जा रहे साजिश को खत्म करने के लिये राष्ट्रीय स्तर पर आन्दोलन की जरूरत पर बल दिया। अनुप्रिया पटेल ने आरक्षण समर्थकों पर थोपे गये मामले को फर्जी बताते हुये राज्य सरकार से मुकदमें वापस लेने की अपील की और कहा कि इन्हे परेशान-प्रताड़ित करने का अंजाम बुरा होगा।

पिछड़ी जातियों के आरक्षण के लिए सुश्री अनुप्रिया पटेल ने अपना दल की ओर से 12-13-14 अगस्त, 2013 
को तीन दिवसीय क्रमिक अनशन का कार्यक्रम उत्तर प्रदेश विधानसभा के सामने रखा गया था। हमारी प्रमुख 
माँगे थी कि- UPPSC में त्रिस्तरीय आरक्षण फॉर्मूला लागू हो। आरक्षण समर्थकों पर से मुकदमा वापस हो और पुलिस-प्रशासन आरक्षण समर्थकों को परेशान-प्रताड़ित करना बंद करे। साथ ही उत्तर प्रदेश में 2007-2012 और 2012 से अबतक दलित-आदिवासी-पसमांदा- समस्त पिछड़ी जातियों को मिले सभी स्तरों की नौकरियों के बारे में राज्य सरकार श्वेत पत्र जारी करे। इस आंदोलन को लेकर बड़े भाई डॉ.लाल रत्नाकर ने पोस्टर बनाकर समर्थन किया जिसके लिये धन्यवाद। आप सभी शुभचिंतकों, समर्थकों, विचारकों को भी विचार-भावनात्मक समर्थन के लिये धन्यवाद। हमारा संघर्ष जारी रहे यही अपील है।



सोमवार, 1 जुलाई 2013

छत्तीसगढ़ का पिछड़ा आन्दोलन !

प्रेस विज्ञप्ति            
 दिनांक 30/06/2013

बस्तर से भी बड़ी पिछड़ा वर्ग अधिकार यात्रा सरगुजा संभाग से आएगी।

     रायपुर, आज राज्य पिछड़ा वर्ग समाज समन्वय समिति, के प्रदेश समन्वयक सदस्यो की महत्वपूर्ण बैठक, न्यू सर्किट हाउस मे आहूत की गई। बैठक मे सरगुजा संभाग के समस्त जिलो के प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया । बैठक मे अन्य पिछड़ा वर्ग के प्रमुख मांगो के संबद्ध मे विस्तार पूर्वक चर्चा हुई जिसमे प्रमुख रूप से नौकरी, प्रमोशन,शैक्षणिक संस्थायों मे जनसंख्या के आधार पर या कम से कम 27% आरक्षण सहित अन्य प्रमुख मांग शामिल है। समन्वय समिति के कोर कमेटी के सदस्यों के साथ बैठक मे सरगुजा संभाग के प्रतिनिधियों ने सरगुजा संभाग मे आंदोलन करने की रूप रेखा बनाई।
     इस कड़ी मे आगामी 7 जुलाई को राज्य पिछड़ा वर्ग समाज समन्वय समिति की प्रदेश स्तरीय बैठक चंद्राकर छात्रावास, महादेव घाट रोड, रायपुर मे आयोजित की गई है। बैठक मे छत्तीसगढ़ के चारो संभागों के समस्त जिलो के प्रतिनिधि उपस्थित हो कर भावी कार्यकर्मों के आयोजन तथा सरगुजा से आने वाली पिछड़ा वर्ग अधिकार यात्रा जो की चारामा  से निकली  अधिकार रैली से  बड़ी रैली की वयवस्था के संदर्भ मे विस्तृत चर्चा की जाएगी ।
         समन्वय समिति के प्रवक्ता मोहन चंद्राकर एवं शांतनु साहू ने बताया के आज के इस बैठक मे प्रमुख रूप से शांतनु साहू, मोहन चंद्राकर, माधव यादव, इं. नारायण साहू, जी. एल. बीजोरा, महेश देवांगन, बसंत तारक, लीलाधार चंद्राकर, प्रहलाद रजक, कैलाश गुप्ता, मुरारी लाल गुप्ता, बंटी कश्यप, हीरा देवांगन, नन्द किशोर गुप्ता,पुष्कर कहार, विनय कुमार, सुरेश गुप्ता आदि गणमान्य समाज के प्रमुख लोग उपस्थित थे।
                                       मोहन चंद्राकर  / शांतनु साहू,
                                  9977002275 / 9425208

बुधवार, 5 जून 2013

वाह नेता जी ;

"प्रदेश की नौकरशाही में बड़ा फेरबदल हो सकता है। इसके संकेत प्रदेश के लोक निर्माण मंत्री शिवपाल सिंह यादव ने बुधवार को बृजेंद्र स्वरूप पार्क में आयोजित पिछड़ा वर्ग सम्मेलन में दिए।"

संभवतः कुछ लोग इस पर विश्वास भी कर रहे होंगे, पर ऐसा है नहीं अभी पिछले दिनों संज्ञान में आया था की 'नोएडा' में उन्ही अधिकारियों को लोट (बड़ी संख्या) में पोस्ट किया गया है जो पिछली सरकार में यहाँ पोस्ट थे, यह खेल कितनी आसानी से समझ में आता है, नेताजी लोग किसको उल्लू बना रहे हैं, पिछले दिनों ही एक 'पिछड़ों के एक ईमानदार अफसर को इन्होने ही बदलकर एक सवर्ण अफसर को अपने यहाँ पोस्ट किया है, वर्ग चेतना की इससे बड़ी मिशाल तो कभी मिलेगी ही नहीं.
हो सकता है ये नेता हम लोगों की बातों को मजाक में लें 'हसी में टाल दें' पर इनका ख्याल आते ही दिल दिमाग बैठने लगता है की ये सामाजिक न्याय के आन्दोलनों की देन हैं या 'विरासत' के राज्याधिकारी हो गए हैं और सहनशाह भी। इसीलिए इनसे डर लगता है कहीं ये इतने गहरे तक सारे सिस्टम को न ले जाएँ की दुबारा मौका ही न मिले सुधार और बदलाव की बात करने का। 
डॉ . लाल रत्नाकर  

यूपी: प्रदेश में बड़े फेरबदल के संकेत दिए शिवपाल ने

कानपुर/ब्यूरो | अंतिम अपडेट 6 जून 2013 12:39 AM IST पर
system in up is not good
प्रदेश की नौकरशाही में बड़ा फेरबदल हो सकता है। इसके संकेत प्रदेश के लोक निर्माण मंत्री शिवपाल सिंह यादव ने बुधवार को बृजेंद्र स्वरूप पार्क में आयोजित पिछड़ा वर्ग सम्मेलन में दिए।
उन्होंने मंच से कहा कि प्रदेश की बिगड़ी व्यवस्था को सुधारने की जरूरत है। यह काम जल्द ही किया जाएगा। कहा कि पूर्व सरकार के समय जो अव्यवस्थाएं पैदा की गई थी वे अभी पूरी तरह से ठीक नहीं हो पाई हैं। 
यह भी कहा कि नौकरशाही काम नहीं करना चाहती है। इसे भी ठीक करना होगा। प्रदेश के जनपदों से लगातार अधिकारियों की लापरवाही की शिकायतें आ रही हैं। जिसे गंभीरता से लिया जा रहा है।
कैबिनेट मंत्री ने आरोप लगाया कि पूर्व की बसपा सरकार ने पिछड़ों के साथ काफी अन्याय किया है। नौकरशाही के बल पर और अन्य तरीकों से इन लोगों को प्रताड़ित किया गया।
यही वजह है कि पिछड़े वर्ग के लोगों में काफी गुस्सा है। जिसका असर आगामी लोकसभा चुनाव में दिखेगा। पिछड़ी जाति के लोगों ने खेत खलिहान से लेकर देश को आजादी दिलाने तक विशेष भूमिका निभाई है।
ऐसे कर्मवीरों की कांग्रेस और भाजपा जैसी राष्ट्रीय पार्टियों ने हमेशा उपेक्षा की। इस मौके उन्होंने कानपुर लोकसभा सीट से प्रत्याशी राजू श्रीवास्तव और अकबरपुर सीट से प्रत्याशी लाल सिंह तोमर को भारी बहुमत से जिताने की भी अपील की। कार्यकर्ताओं से उन्होंने लोकसभा चुनाव के लिए तैयार रहने को कहा।
सम्मेलन में कानपुर के अलावा, मेरठ, सहारनपुर और आजमगढ़ मंडल से भी पार्टी से जुड़े पदाधिकारी पहुंचे। सभी अपने साथ समर्थकों की भीड़ भी लेकर आए थे।
सम्मेलन में प्रमुख रूप से कैबिनेट मंत्री बलराम यादव, गायत्री प्रसाद प्रजापति, प्रेमदास कठेरिया, रामआसरे विश्वकर्मा, जयप्रकाश, शिवकुमार बेरिया, अरुणा कोरी, लीलावती कुशवाहा, विद्यावती, पिछड़ा वर्ग के प्रदेश अध्यक्ष नरेश उत्तम, महानगर अध्यक्ष चंद्रेश सिंह, लोहिया वाहिनी के महासचिव अरुण यादव सहित विधायक, सांसद और भारी संख्या में लोग मौजूद रहे।

मंगलवार, 26 मार्च 2013

प्रसंगवश


प्रसंगवश
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इतिहास से -

".............जिन लोगों ने भी नेता जी को जाना है वह इस बात में यकीं रखते हैं की नेताजी जो कहते हैं वो करते भी हैं,देश के तमाम ऐसे लोग प्रधानमंत्री बने जिनकी जमीनी पकड़ नेताजी के मुकाबले कुछ भी नहीं ." जिन कारणों से नेताजी उन राजनीतिक ऊँचाइयों को नहीं छू पाए जिनकी उनमे क्षमता थी, उसमें उनके सहयोगियों की बहुत बड़ी साजिश भी रही है जैसे - बेनी प्रसाद से ही शुरू करता हूँ एक जमाने में नेताजी के सबसे करीबी हुआ करते थे और इस जोड़ी को लोग उम्मीदों के मशाल के रूप में देखते थे, पर बेनी बाबू अपनी कौम में ही अलोकप्रिय होते गए तब वे जिसका गुस्सा नेता जी पर उतारते फिर रहे हैं। 
दूसरे नंबर पर पंडित जनेश्वर मिश्र को लेता हूँ नेता जी ने उन्हें आजीवन सत्ता के करीब रखा पर वे कभी भी नेता जी को अपने से बड़ा नहीं होने दिए, उलटे अकेले में उनकी जीतनी भर्त्सना / निंदा हो सकती थी करते और करवाते रहे (समाजवादियों की जिस फौज का वह प्रतिनिधित्व करते थे उसमें जातिवादियों की जमात का ही बोलबाला था) पर नेताजी उनका आँख मूँद कर समर्थन करते रहे और मिश्र जी  इस संघर्ष पुरुष के श्रम का प्रसाद वैसे ही खाते रहे जैसे मध्यकाल का द्विज/बुद्धि दान के नाम पर शुद्र का माल उडाता रहा हो ! 
तीसरे नंबर पर भाई अमर सिंह सीधे सादे समाजवादी को जिन रंगारंग दुनिया की सैर करवाई कि ओ आम आदमी से दूर ही नहीं गायब ही हो गया - उन दिनों तो बस यही गीत याद आता था - अजीब दास्तान है ..... ! एक धूर समाजवादी को पूंजीपतियों की पंगत में बैठाने का अंजाम तो भाई अमर सिंह को ही दिया जाना चाहिए अन्यथा इस जमीनी जन नायक को धंधे बाजों की तरह संपत्ति बनाने वालों से क्या मोह। 
तीसरा नेत्र अगर किसी ने खोला तो ओ भाई अमर सिंह ही थे। 
भला हो बहन जी का जिन्होंने इस दलाल की और दलाली की औकात समझी और वो भी दगा दे गयी 'धरती पुत्र' को बहाना था की उनके लठैतों ने सर्किट हाउस में उनके साथ ‘लट्ठमार होली खेल ली थी’ फिर क्या था उनका भी विश्वास डगमगाया और चली गयी ‘राम दरबार में’ वहां उनका अभिनन्दन हुआ और इस सर्किट हॉउस कांड की महानायक बनाकर जलते हुए उत्तर प्रदेश की कुर्सीपर उन्हें विराजमान किया गया। तब भी  भाई अमर सिंह पानी डालने के नाम पर समाजवाद का खून पीते रहे और अपनी धमनियों को मोटी करते रहे जिससे समाजवाद का गला घोंट सकें' और गला घोंटते रहे - राज बब्बर, बेनी वर्मा, आजम खान, सिसकते रहे पर अमर भाई ‘कुतरते रहे’ क्या मजाल कोई बोलने की हिम्मत करे नेता से की ये कठफोरवा की तरह कुतर रहा है नेता जी की नियत को। 
छुटभइयों की क्या बिसात परिवार वालों की भी हिम्मत नहीं थी की भाई अमर सिंह के कर्मों पर कोई उंगली उठा सके। नेताजी को कहाँ पहुंचाकर खुद आराम करने उनदिनों स्वदेश त्याग गए थे भाई अमर सिंह ‘दवाई’का बहाना बनाकर । 
कारण पर मत जाइये ? 
कैसे भागे भाई जी आप सब जानते हैं ! 
लोग आते रहे लोग जाते रहे, लम्बी कहानी है कभी फिर लिखेंगे अभी तो (लिखना थोर समझना ढेर) 
भला हो बहन जी का वो सत्ता में आयीं और पूर्ण बहुमत से। भाई अमर सिंह फिर अपने ‘बिल’ में चले गए, समाजवाद - दलित और द्विज के आगे कमजोर पड़ गया। 
बहन जी ने सदियों की गुलामी का नामों निशाँ मिटाने का संकल्प लिया, पुराने घावों को यादकर इतिहास रचना आरम्भ किया 'राम-मंदिर' के बजाय उन्होंने आंबेडकर,फुले, कांशीराम और अपने स्मारक बनवाने आरम्भ किये जिसे रोकने के लिए देश की सर्वोच्च अदालत तक ने हस्तक्षेप किया पर इतिहास बनता गया और इतिहास की तरह द्विज देखता रहा ‘जिन्हें इतिहास बनाना आता है उन्हें दौलत की कमी नहीं पड़ती’ इस इतिहास रचने की प्रक्रिया में जो भी गलत हुआ उसपर विचार सदियाँ करेंगी अभी तो इतिहास के लिए काम हो रहा था. मिडिया, बुद्धिजीवी, द्विजद्रोह और सामन्तिओ को सत्ता पर कब्जे की प्रक्रिया के डर ने झकझोर दिया। ये जुट गए भाई अमर सिंह की तरह भितरघात में और जैसे उस समय के प्रायोजित  भ्रष्टाचार की आंधी में नेता जी की सरकार चली गयी थी वैसे ही 2012 मे इतिहास रचने की प्रक्रिया रूक गयी। पर अभी खत्म नहीं हुयी है, इतिहास तो इतिहास ही है कभी रूक जाता है कभी बनने लगता है। 
पर नेताजी मान रहे हैं अब सीनियर्स की ही राजनिती नहीं रही तो उन्हें शायद यह याद नहीं है कि जब वे राजनिती में आये थे तब वे भी युवा थे पर आज के जैसे युवा नहीं, इंदिराजी भी महिला थीं और युवा नेत्री भी, उनके विरोध/समर्थन का एक बड़ा कारण यह भी था कि वह नेहरू जी  की पुत्री थीं और बहुत से अनुभवी कांग्रेसियों से उन्हें आगे ले जाया जा रहा था, तब भी इंदिरा जी को बड़ा किया जा रहा था देश को नहीं । संयोग से अब भी वही हो रहा है बिलकुल निराले ढंग से । 
इस होली पर राहुल जी (राहुल सांकृत्यायन) याद आ रहे हैं - उनकी दो पुस्तकें 1. तुम्हारी क्षय हो 2.घुमक्कड शास्त्र . अकारण नहीं याद आ रही हैं उन्होंने उसमें कहा है - पहली किताब में वह लिखते हैं ‘जब जब पिछड़े या शुद्र सत्ता की तरफ बढ़ते नजर आते हैं तब तब ऊँची जातियों के लोग लोग देश बेच देते हैं या विदेशियों को सौंप देते हैं।(कांग्रेसी इस पुस्तक को जरूर पढ़ें) दूसरी में लिखते हैं घर से निकलों जो और मिलेंगे वो भी अपने होते जायेंगे। 
आज हम इन दोनों बातों को यहाँ प्रसंगवश लाये हैं क्योंकि होली के अवसर पर यदि हम इस सच को स्वीकार कर पायेंगे की देश सबका है हमारा ही नहीं तभी हर आदमी इसे बनाने का प्रयास करेगा। 
नेताजी की चिंता कभी यह नहीं रही कि फला ने कितना दगा दिया/किया, पर उन्हें हमेशा यह याद रहता है की किसने क्या किया है। कहते हैं की नेताजी लोग जरा कान के कच्चे होते हैं पर मैं ऐसा नहीं मानता, क्योंकि जब तक नेता जी के कान तक सच जाएगा नहीं तब तक झूठे नाना प्रकार के प्रचार ही करते रहेगें।(कितने लोग है जो सच कहने की हिम्मत करते हैं) उनके इस बयां में भी वही सच्चाई है की ‘अब भविष्य गठबंधन सरकार का ही है-मुलायम। 
पर इस गठबंधन में होगा कौन ? 
दरअसल कितनी बड़ी विडम्बना है कि जब पिछड़ा बन रहा होगा तब दलित अलग हो जाएगा/कर दिया जाएगा, जब दलित बन रहा होगा तब पिछड़ा अलग हो जाएगा/कर दिया जाएगा, --------------- 
जब सपा और बसपा कांग्रेस को समर्थन दे रहे हों चाहे जिन भी कारणों से, ऐसी कौन सी बिडम्बना है जो ये खुद की सरकार गठबंधन से नहीं चला सकते।
इनकी इन हरकतों में गाँवों  के किस्से दृष्टिगोचर होते हैं, जहाँ एक 'लम्पट सा ........' आदमी इन्हें लड़ा रहा होता है।

बुरा न मानें  ‘होली’ है। 

डा. लाल रत्नाकर

प्रोफ. ईश्वरी प्रसाद जी का निधन

प्रोफ. ईश्वरी प्रसाद जी का निधन  दिनांक 28 दिसम्बर 2023 (पटना) अभी-अभी सूचना मिली है कि प्रोफेसर ईश्वरी प्रसाद जी का निधन कल 28 दिसंबर 2023 ...