गुरुवार, 22 अगस्त 2013
बुधवार, 14 अगस्त 2013
संघर्ष के परिणाम -
साथियों ;
संघर्ष के परिणाम -
अभी दो दिन पहले ही राजनारायण जी ने इस पोस्ट को तैयार किया है और उन्होंने माननीय सर्वोच्च न्यायालय के जजों का उल्लेख किये हैं उन जजों पर देशद्रोह का मुकदमा चलाया जाना चाहिए जिन्होंने इतना घटिया बयान दिया है !
परन्तु उम्मीद बंधी है की संसद इसे गंभीरता से ली है तमाम पिछड़े दलित सांसदों ने इस मसले को गंभीरता से उठाया है जिससे यह बयान आया है .
पर अभी इसकी गंभीरता को न्यालय की मानसिकता पर इंतज़ार करने की वजाय संसद संबिधान संसोधन लाये जो ज्यादा उपयुक्त होगा अन्यथा न्यालय इसे लटका कर रखेगा ऐसा संदेह स्वाभाविक है -
संघर्ष के परिणाम -
अभी दो दिन पहले ही राजनारायण जी ने इस पोस्ट को तैयार किया है और उन्होंने माननीय सर्वोच्च न्यायालय के जजों का उल्लेख किये हैं उन जजों पर देशद्रोह का मुकदमा चलाया जाना चाहिए जिन्होंने इतना घटिया बयान दिया है !
परन्तु उम्मीद बंधी है की संसद इसे गंभीरता से ली है तमाम पिछड़े दलित सांसदों ने इस मसले को गंभीरता से उठाया है जिससे यह बयान आया है .
पर अभी इसकी गंभीरता को न्यालय की मानसिकता पर इंतज़ार करने की वजाय संसद संबिधान संसोधन लाये जो ज्यादा उपयुक्त होगा अन्यथा न्यालय इसे लटका कर रखेगा ऐसा संदेह स्वाभाविक है -
पिछड़ी जातियों के आरक्षण के लिए : अनशन
सामजिक न्याय के लिए संघर्ष ;
"हमें खाद्य सुरक्षा कानून और लैप-टॉप नहीं चाहिये। देना है तो हमारा संवैधानिक हक-अधिकार, भेदभाव रहित न्याय व्यवस्था और दलित-आदिवासी-पसमांदा और समस्त पिछड़ी जातियों को जीवन के सभी क्षेत्रों में आबादी के हिसाब से हिस्सेदारी दे दो। हम अपने भोजन और लैप-टॉप का इंतजाम खुद कर लेंगे।" - अनुप्रिया पटेल।
उत्तर प्रदेश सरकार चाहे तो सौ फर्जी मुकदमे लाद दे पर आरक्षण समर्थकोँ के लिये हमेशा लड़ूगी। दलित- आदिवासी- पसमांदा और समस्त पिछड़ी जातियों के लिये आरक्षण की लड़ाई कोई नौकरी लेने और पैसा कमाने की लड़ाई नहीं है बल्कि समाज और जीवन के सभी क्षेत्रों में न्याय- भागीदारी-बराबरी स्वाभिमान और सम्मान की लड़ाई है। आरक्षण समर्थकों को बदनाम करने की साजिश बंद हो। उत्तर प्रदेश सरकार की पुलिस- प्रशासन आरक्षण समर्थक छात्रों को बदनाम कर रही है। प्रदेश भर में दर्ज आरक्षण समर्थक छात्रों पर से मुकदमा वापस लिया जाय और उन्हें परेशान- प्रताड़ित न किया जाय। आरक्षण समर्थक सभी क्रांतिकारी छात्र-युवाओं का सम्मान की इस लड़ाई में साथ देने के लिये शुक्रिया।
पिछड़ी जातियों के आरक्षण के लिए सुश्री अनुप्रिया पटेल ने अपना दल की ओर से 12-13-14 अगस्त, 2013
को तीन दिवसीय क्रमिक अनशन का कार्यक्रम उत्तर प्रदेश विधानसभा के सामने रखा गया था। हमारी प्रमुख
माँगे थी कि- UPPSC में त्रिस्तरीय आरक्षण फॉर्मूला लागू हो। आरक्षण समर्थकों पर से मुकदमा वापस हो और पुलिस-प्रशासन आरक्षण समर्थकों को परेशान-प्रताड़ित करना बंद करे। साथ ही उत्तर प्रदेश में 2007-2012 और 2012 से अबतक दलित-आदिवासी-पसमांदा- समस्त पिछड़ी जातियों को मिले सभी स्तरों की नौकरियों के बारे में राज्य सरकार श्वेत पत्र जारी करे। इस आंदोलन को लेकर बड़े भाई डॉ.लाल रत्नाकर ने पोस्टर बनाकर समर्थन किया जिसके लिये धन्यवाद। आप सभी शुभचिंतकों, समर्थकों, विचारकों को भी विचार-भावनात्मक समर्थन के लिये धन्यवाद। हमारा संघर्ष जारी रहे यही अपील है।
"हमें खाद्य सुरक्षा कानून और लैप-टॉप नहीं चाहिये। देना है तो हमारा संवैधानिक हक-अधिकार, भेदभाव रहित न्याय व्यवस्था और दलित-आदिवासी-पसमांदा और समस्त पिछड़ी जातियों को जीवन के सभी क्षेत्रों में आबादी के हिसाब से हिस्सेदारी दे दो। हम अपने भोजन और लैप-टॉप का इंतजाम खुद कर लेंगे।" - अनुप्रिया पटेल।
उत्तर प्रदेश सरकार चाहे तो सौ फर्जी मुकदमे लाद दे पर आरक्षण समर्थकोँ के लिये हमेशा लड़ूगी। दलित- आदिवासी- पसमांदा और समस्त पिछड़ी जातियों के लिये आरक्षण की लड़ाई कोई नौकरी लेने और पैसा कमाने की लड़ाई नहीं है बल्कि समाज और जीवन के सभी क्षेत्रों में न्याय- भागीदारी-बराबरी स्वाभिमान और सम्मान की लड़ाई है। आरक्षण समर्थकों को बदनाम करने की साजिश बंद हो। उत्तर प्रदेश सरकार की पुलिस- प्रशासन आरक्षण समर्थक छात्रों को बदनाम कर रही है। प्रदेश भर में दर्ज आरक्षण समर्थक छात्रों पर से मुकदमा वापस लिया जाय और उन्हें परेशान- प्रताड़ित न किया जाय। आरक्षण समर्थक सभी क्रांतिकारी छात्र-युवाओं का सम्मान की इस लड़ाई में साथ देने के लिये शुक्रिया।
अनुप्रिया जी ..आज पिछड़ा वर्ग कराह रहा है जहाँ ज़रा भी सम्बेदना है. पर तथाकथित पिछड़े समर्थक राज्नीतिज्ञों ने जितना धोखा दिया है उतना तो सवर्ण भी न देता. जिस मंडल कमीशन को आज भी कई प्रदेश पूर्ण रुपेंन लागू भी नहीं कर पाए हैं वहीँ उत्तर प्रदेश में लोक सेवा आयोग के फैसले को जिस तरह से निरस्त किया गया है, वह बहुत ही गंभीर मसला है. यदि इसी समय इस लड़ाई को न लड़ा गया तो आने वाले दिनों में यह लटक जाएगा और द्विजों की भेंट चढ़ जाएगा. वर्तमान/निवर्तमान शासक जिस तरह से उत्तर प्रदेश में भी द्वीज बंदना में लगे हैं लगता है सब कुछ उन्हें "भेंट" स्वरुप समर्पित कर देंगे. मुझे लगता है आप साहस और हिम्मत की सोच समृद्ध लगती हैं जिसकी वजह से इमानदार तरीके से लड़ सकती हैं. आप आगे बढेंगी तो लोग आ जायेंगे. हम लोगों के पास जीतनी क्षमता है उसका भी उपयोग कर सकती हैं.
www.obcofindia.blogspot.com
आरक्षण समर्थकों पर से मुकदमा हटाने की मांग
लखनऊ। आरक्षण के समर्थन में अपना दल के कार्यकर्ताओं ने सोमवार को विधान भवन के सामने तीन दिवसीय क्रमिक अनशन शुरू किया। उन्होंने मांग की है कि लोक सेवा आयोग की प्रतियोगी परीक्षाओं में त्रिस्तरीय आरक्षण फार्मूला लागू किया जाए। पार्टी की विधायक अनुप्रिया पटेल और आरक्षण समर्थकों के खिलाफ इलाहाबाद के जार्जटाउन थाने में दर्ज मुकदमों को शीघ्र वापस लिया जाए। अपना दल के पूर्व विधायक ज्वाला प्रसाद यादव के नेतृत्व में प्रदेश और जिला स्तर के पदाधिकारी क्रमिक अनशन में शमिल हुए।
उन्होंने आरोप लगाया कि केन्द्र व राज्य में बैठी पूर्व और वर्तमान सरकारों ने हमेशा ओबीसी और एससीएसटी का हक मारा है। वोट की राजनीति के कारण उक्त वर्ग का हक मारने का काम किया जा रहा है। अब इसे बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। नसिं।
(हिंदुस्तान)
13 अगस्त, 2013 को आरक्षण के समर्थन में लखनऊ स्थित उत्तर प्रदेश विधान भवन के सामने चल रहे क्रमिक अनशन के दूसरे दिन अपना दल की राष्ट्रीय महासचिव व विधायक अनुप्रिया पटेल ने देश और प्रदेश की सरकारों से दलित-आदिवासी-पसमांदा और समस्त पिछड़ों को ठगने का धंधा छोड़कर आबादी के अनुपात में हिस्सेदारी की वकालत की। सत्ता के केन्द्रों- मीडिया,ब्यूरोक्रैसी,जुडीशियरी आदि में बैठे मठाधीशों के द्वारा आरक्षण के खिलाफ किये जा रहे साजिश को खत्म करने के लिये राष्ट्रीय स्तर पर आन्दोलन की जरूरत पर बल दिया। अनुप्रिया पटेल ने आरक्षण समर्थकों पर थोपे गये मामले को फर्जी बताते हुये राज्य सरकार से मुकदमें वापस लेने की अपील की और कहा कि इन्हे परेशान-प्रताड़ित करने का अंजाम बुरा होगा।
को तीन दिवसीय क्रमिक अनशन का कार्यक्रम उत्तर प्रदेश विधानसभा के सामने रखा गया था। हमारी प्रमुख
माँगे थी कि- UPPSC में त्रिस्तरीय आरक्षण फॉर्मूला लागू हो। आरक्षण समर्थकों पर से मुकदमा वापस हो और पुलिस-प्रशासन आरक्षण समर्थकों को परेशान-प्रताड़ित करना बंद करे। साथ ही उत्तर प्रदेश में 2007-2012 और 2012 से अबतक दलित-आदिवासी-पसमांदा- समस्त पिछड़ी जातियों को मिले सभी स्तरों की नौकरियों के बारे में राज्य सरकार श्वेत पत्र जारी करे। इस आंदोलन को लेकर बड़े भाई डॉ.लाल रत्नाकर ने पोस्टर बनाकर समर्थन किया जिसके लिये धन्यवाद। आप सभी शुभचिंतकों, समर्थकों, विचारकों को भी विचार-भावनात्मक समर्थन के लिये धन्यवाद। हमारा संघर्ष जारी रहे यही अपील है।
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