शुक्रवार, 15 नवंबर 2013

समाजवाद के ये चहरे !

समाजवाद के ये चहरे ! डॉ.लाल रत्नाकर 

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अमर सिंह और नरेश अग्रवाल में क्या फर्क है !

समाजवादी पार्टी को बर्बाद करने में इन दोनों के बयान बहुत ही महत्वपूर्ण हैं ! आपको याद होगा जबतक अमर सिंह सपा में थे इसी तरह बडबोलापना करते करते कांग्रेस के 'दलाल' के रूप में काम करते रहे जो जग जाहिर है, उसकी उन्हें उनकी कीमत मिलाती थी जिसमें इजाफा भले ही हुआ पर उन दिनों माननीय नेताजी का गंभीर और महत्त्व पूर्ण कद बौना होने लगा था. जिसे किसी तरह रोका गया पर अब ये नए विचारवान श्री नरेश अग्रवाल कहाँ से अवतरित हो गए हैं.आश्चर्य होता है की इन दलालों को समाजवाद से क्या लेना देना ! क्या भाजपा से वास्तव में कोई इनकी बड़ी डील है जो ये अपने मुह से उस बात को जिसे भाजपा चाहती है, चाय बेचने वाले को प्रधानमंत्री न बनाने की (बनने) बात कर रहे हैं यह स्टेटमेंट देखें ; दैनिक भास्कर से साभार -

''चाय बेचने वाला नहीं बन सकता पीएम''

समाजवादी पार्टी के नेता नरेश अग्रवाल ने नरेंद्र मोदी के साथ ही देश के चाय बेचने वालों और देश-समाज की जी जान से सुरक्षा कर रहे सिपाहियों पर कटाक्ष किया है। उन्होंने बुधवार को कहा कि ऐसा व्यक्ति जो चाय बेचता रहा हो उसका राष्ट्रीय दृष्टिकोण नहीं हो सकता। वह देश का प्रधानमंत्री नहीं बन सकता।
हरदोई से आने वाले असरदार नेता नरेश ने कहा, ‘नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री बनना चाहते हैं। चाय की दुकान से ऊपर उठने वाले का राष्ट्रीय परिप्रेक्ष्य नहीं हो सकता। जैसे अगर आप सिपाही को पुलिस कप्तान बना दें तो उसका कभी नजरिया नहीं बड़ा हो सकता। उसकी सोच सिपाही की ही रहेगी।’ एक सभा में अग्रवाल ने कहा, ‘देश का प्रधानमंत्री राष्ट्रीय व्यक्तित्व वाला समर्थ व्यक्ति होना चाहिए। जहां तक भीड़ का सवाल है वह तो मदारी भी जमा कर लेता है।‘
मोदी अपनी चुनावी सभाओं में गांधी-नेहरू परिवार पर यह कहते हुए निशाना साधते रहे हैं, 'उन्होंने गरीबी नहीं देखी, लेकिन मैंने इसे झेला है। मैं गरीबों का दर्द जानता हूं।' पटना में 27 अक्टूबर को हुई हुंकार रैली में मोदी ने कहा, 'मैं एक गरीब परिवार में पैदा हुआ था। मैं गरीबी में पला बढ़ा हूं। मैंने रेलवे स्टेशनों और ट्रेन में चाय बेची है। जो लोग ट्रेन में चाय बेचते हैं वे रेलमंत्री से ज्यादा रेलवे को जानते हैं।' मोदी के बारे में कहा जाता है कि जब वे महज 6 साल के थे, तभी अपने पिता की मदद वडनगर रेलवे स्टेशन पर चाय बेचने में करते थे। 
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सपा को कोई तो तो बचाए न जाने कहाँ से इन बुद्धि बांकुरों को उठाकर सपा में ला दिया गया है, यदि इनसे कोई पूछे की यदि चाय बेचने वाला प्रधानमंत्री के योग्य नहीं तो "सपा में गाय भैंस चराने वाले" ज्यादा हैं उन्हें तो मुख्यमंत्री भी बनने बनाने के वे हिमायती नहीं होंगे. यह प्रदेश क्या श्री नरेश अग्रवाल की जागीर है !
एक थे अमर सिंह ! दुसरे हैं माननीय नरेश अग्रवाल, नरेश जी हम जिस इलाके से आते हैं हैं वहां एक कहावत है की ' क्या बनिया की छेड़ मरकही' बात ये है की नरेश जी जिस बिरादरी से आते हैं माना जाता है की उनसे तो कोई भी 'दुह' दुहना का मतलब निकालने से है यानी बनिए से तो कोई भी कितना भी निकाल सकता है यानी ऐसा सरल ऐसी बकरी के माफिक होता है, जिसे कहीं भी कोई भी दुह ले, लेकिन इनका रोज़ का बेहूदा बयांन सपा की नीतियों के खिलाफ नहीं जा रहा है क्या ? क्या ये जानते हैं गरीब गुरबे और संघर्षशील जातियां समाजवादी पार्टी में भरोषा रखती हैं विशेषकर दलित और पिछड़े या मुस्लिम पर ये तो पतंग बाज़ी करते होंगे वहां बैठकर की 'सवर्णों' और बनियों ने सरकार बनाई है, (मैंने सूना और देखा है ऐसे तिकडम्बाज़ नेताओं को जो इसी तरह की जुगाली करते नहीं थकते)  इनको पता नहीं समाजवादी और पूंजीवादी में क्या फर्क है ' .
माँ.नरेश अग्रवाल आप 'पूंजीवाद' व्यवस्था के समर्थक सम्प्रदाय के उत्पाद हो मोदी 'मज़दूर' श्रेणी से है आप समाजवादियों के खेमें में हो ! मोदी पुजिवादियों के ! आपकी तुलना मोदी से करना 'बे - मानी' है !(आप गलत फहमी न पालें) पर यह गणित आपको नहीं आती होगी आपको दौलत बनाने का गुना भाग जरूर आता होगा. 
गणित यह है की आपकी वजह (बेहुदे बयानों) से ही गरीब गुरबे सपा से "दूर' होते जायेंगे और आपके भाई बंद तो पहले से ही सपा को गालियाँ देते नहीं थकते, अतः आप सपा के जड़ में गरम गरम मट्ठा डाल रहे हो *****जबकि मोदी भाजपा को (जहाँ आपके सारे बड़े बड़े एवं खाने पीने के (मिलावटी), दवा, दारु, तेल (खाने पिने और पेट्रोल, डीजल, केरोसीन, सुगन्धित और बदबूदार), फल, सब्जी, मांस, लकड़ी, सीमेंट, लोहा,किताब, कापी, डीग्री बेचने की दुकाने खोले बैठे हुए सारे भाई बंद, यथा हर तरह के सामान 'बेचने' वाले यानी जूता, चपपल, साडी, पेटीकोट, चोली, अंडर वीयर, रूमाल , चूड़ी और कंगन, लिपस्टिक, सेविंग क्रीम से लेकर हेयर रेमुवर बनाने वाले और चरणबद्ध तरीके से बेचने वाले, परचून से लेकर माल चलाने वाले हैं ) जहाँ गरीबों और राष्ट्र प्रेमियों के लिए 'वोटों का इंतजाम कर रहा हो, देश की विदेशी महारानी के खिलाफ अभियान चलाया हो ऐसे में आप, सपा के लिए या भाजपा के लिए काम कर रहे हों नरेश जी ! कभी दिल पर हाथ रखकर सोचो. नेता जी समाजवादी और सज्जन और गरीब, मजदूर और किसानों के मसीहा रहे हैं, उन्हें 'पूंजीवादियों की तरफ मत धकेलो ? यह खामियाजा प्रदेश को ले डूबेगा ! (नरेश जी आप जानते हो भाजपा को प्रदेश में कोई शिकस्त दे सकता है तो वह 'नेता जी' आप सपा को अंदर से कमजोर कर रहे हो)
"कुतर्कों की कमी नहीं होती किसी के नाश के लिए वो तो हमलोग भी जानते हैं" पर आप जैसी घटिया राजनीति से तौबा कर ली थी हमने, अब समझ में आता है की ये 'नेताजी' लोग कैसे अपनी नीतियों के खिलाफ हो जाते हैं, उसमें योगदान होता है आप जैसे पूंजीवादियों का. जिसका खामियाजा भोगती हैं बिचारवांन और राष्ट्रप्रेमी कौमें और आप और देश हित के लिए पहुंचती है सिपाही के रूप में आपकी रक्षा के लिए जिन्हें भी आप भ्रष्ट बनाते हो अपने भ्रष्टाचार के लिए, जो नहीं भरती हो पाते हैं पुलिस में वो बेचते हैं चाय या चाय बनाने का दूध .
राज करते है नरेश अग्रवाल और उनके 'सु' या 'कु' पूत !!!
जो इन्हें/उन्हें बोलने की आज़ादी है वो क्या और किसी को उसे विश्लेषित करने की भी नहीं है समाजवाद में . समाजवादी साथियों ; जागो !
(समाजवादियों को इसपर मुहं खोलना होगा अन्यथा ये नए समाजवादी समाजवाद का नामों निशान मिटा देंगें।)
क्रमशः। ...................... 

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