शनिवार, 13 नवंबर 2010

भाजपा में फिर साधू संतों की भर्ती .

डॉ.लाल रत्नाकर
उमा भारती भाजपा के असली चहरे को उजागर करने वाली कोई पहली महिला नहीं रही है बल्कि इन्होने भाजपा के सांगठनिक व्यवस्थाओं को जिस तरह समाज के सामने ला चुकी है,उसके बाद भाजपा में उनकी वापसी न तो उनके लिए शोभनीय है और न ही भाजपा के लिए -(अमर उजाला से साभार)

उमा ने वापसी पर वक्त मांगा
नई दिल्ली।
Story Update : Sunday, November 14, 2010    12:31 AM
भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष नितिन गडकरी ने शनिवार को कहा कि वह निष्कासित नेता उमा भारती को पार्टी में वापस लाना चाहते हैं, लेकिन इस मुद्दे को अभी ठंडे बस्ते में डाल दिया गया है क्योंकि साध्वी ने चिंतन एवं स्वास्थ्य लाभ के लिए कुछ और वक्त मांगा है।
गडकरी ने बताया ‘भारती से मुलाकात के दौरान इस मुद्दे पर चर्चा हुई, लेकिन पूर्व भाजपा नेत्री ने कहा कि उनकी सेहत ठीक नहीं है। उन्होंने चिंतन एवं शांति के लिए कुछ वक्त की मांग की। वह फिर मुझसे मिलेंगी।’ इस साल जून महीने में नौ महीने निष्कासित रहने के बाद जब जसवंत सिंह को पार्टी में वापस लिया गया था, उसी समय से पार्टी में भारती की वापसी की अटकलें लगाई जा रही हैं। बहरहाल, भाजपा के कई नेता उमा की वापसी को लेकर सशंकित हैं क्योंकि इन नेताओं को डर है कि इससे पार्टी में उनकी स्थिति कमजोर होगी।

गडकरी ने कहा ‘जब मैं भाजपा का अध्यक्ष बना तभी मैंने कहा था कि मैं उन सभी को पार्टी में लाना चाहूंगा जो पार्टी छोड़ गए हैं। इसके तुरंत बाद मैंने भारती से मुलाकात की। भाजपा में उनकी वापसी के मुद्दे पर पार्टी के अन्य नेताओं के साथ भी विचार-विमर्श जारी है।’ यह पूछे जाने पर कि पार्टी में उमा को वापसी के बाद उन्हें क्या जिम्मेदारी दी जाएगी, गडकरी ने कहा कि यह सवाल प्रासंगिक नहीं है क्योंकि साध्वी ने खुद ही पार्टी में शामिल होने के लिए कुछ वक्त मांगा है। इस बीच, भविष्य की योजनाओं के बाबत पूछे जाने पर उमा भारती ने बताया ‘‘कुछ समय के लिए मैं इस अध्याय को बंद रखना चाहती हूं.।’ यह पूछने पर कि क्या उन्हें पता है कि कुछ नेता पार्टी में उनकी वापसी के खिलाफ हैं, उमा ने कहा कि इस मुद्दे पर टिप्पणी के लिए मैं उपयुक्त व्यक्ति नहीं हूं।

वोट बैंक की राजनीति बड़ी बाधाः आडवाणी
पूर्व उपप्रधानमंत्री एवं भाजपा के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी ने कहा है कि देश की आंतरिक सुरक्षा से निपटने में सबसे बड़ी बाधा वोट बैंक की राजनीति है। आडवाणी ने शुक्रवार रात यहां पूर्व विधानसभा अध्यक्ष प्रो. बृजमोहन मिश्र की स्मृति में ‘देश की सुरक्षा के लिए चुनौतियां’ विषय पर आयोजित संगोष्ठी में आतंकी हमले की जड़ में कश्मीर के मुद्दे को अहम बताया। उन्होंने कहा कि इस मुद्दे पर कई भूलें भारत ने की हैं। आजादी के समय देश की 354 रियासतों के विलय के दौरान यदि जम्मू-कश्मीर को अलग नही छोड़ा जाता तो यह संकट बनकर कभी सामने नहीं होता। यह जरूरी है कि कश्मीर समस्या को लेकर ढुलमुल बयान देने की बजाय संकल्पित होकर सख्त रवैया रखा जाए। उन्होंने आतंकवाद, नक्सलवाद और बांग्लादेश की घुसपैठ की समस्या को देश की सुरक्षा के लिए बड़ी चुनौती माना। आडवाणी ने जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला के इस बयान को सिरे से खारिज किया कि जम्मू-कश्मीर का भारत में विलय नहीं हुआ है। उन्होंने कहा कि जम्मू-कश्मीर भारत का अविभाज्य अंग है।

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