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आइये लखनऊ के जनेश्वर मिश्र पार्क चले..👢👢👢👢
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मुख्यमन्त्री श्री अखिलेश यादव जी को इस खूबसूरत पार्क को बनाने के लिए बधाई!
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उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में हरियाली से युक्त एशिया का सबसे बड़ा पार्क "जनेश्वर मिश्र पार्क।"
आज खाली समय में गोमती नगर में बने जनेश्वर मिश्र पार्क में घूमा।मेरे ठहरने के स्थान के बगल में स्थित पार्क में घण्टों लगा आधा-अधूरा घूमने में।आज ही अख़बारों में छपा था कि सरकार ने इस पार्क को खूबसूरत व हरियाली युक्त बनाने के लिए अतिरिक्त धन मुहैया कराया है।
फ़ब्बारो,झील,पेड़-पौधों-फूल-पत्तियों-घास🌳🌴🌲🌱🌿🌾🌹🌸🌷,बच्चों के झूले🎠🎢🎡 तथा जिम सामग्री💪 से लैश हो रहे इस पार्क में अभी काम युद्ध स्तर पर जारी है।समाजवादी पार्टी के सरकार की मंशा है कि पार्क खूबसूरत बने,इसके लिए अनवरत प्रयत्न चल रहा है।
मुख्यमन्त्री श्री अखिलेश यादव जी का प्रयास है कि एशिया के इस सबसे बड़े पार्क में कोई कमी न रह जाय।पत्थरो की गर्मी कुछ कम करने के लिए वनस्पतियो से युक्त पार्क भी आवश्यक है।इसी उद्देश्य से इस पार्क में नीम,आंवला,बरगद,पीपल,खजूर,पाम आदि के पेड़ सघन रूप से लगाये जा रहे हैं।
पार्क को बेहतर बनाने का प्रयत्न जारी है जिसमे कुछ चीजें यदि जोड़ दी जांय तो यह पार्क खूबसूरत भी हो जाएगा और ऐतिहादिक भी,जो निम्नवत है-
(1)जनेश्वर मिश्र जी समाजवादी राजनीति के बड़े नेताओं में थे।मेरी एक बार चित्रकूट में मुलाक़ात हुयी तो मैंने पंचायत चुनाव में महिला आरक्षण से जीती प्रतिनिधियों के पतियो के हस्तक्षेप पर श्री मुलायम सिंह यादव जी द्वारा इसके समीक्षा की बात कहने पर जब पूछा था कि गुरूजी महिलाएं हजार वर्ष से घूंघट में कैद रही हैं,क्या वे दस-बीस साल में ही मर्दों की तरह हो जाएंगी?जनेश्वर जी ने मेरी बात का सीधे जबाब देने की बजाय कहा था कि मर्द बड़ा क्रूर होता है,वह चौके(रसोई) तक में अन्याय करता है।खाने बैठ जाता है और गर्म तवे की रोटियां मांगता है।नारी मुक्ति के प्रबल समर्थक थे जनेश्वर जी।
जनेश्वर जी ने कई सभाओं में कहा कि मैंने एक बार बारात में शौच हेतु सिंगा बजाने वाले भँगी के लोटे का इस्तेमाल क्या कर दिया था ,पूरे बारात के ब्राह्मणों पर जैसे आसमान टूट पड़ा था।भँगी के लोटे से पाखाना धोने में भी छूत,ऐसी क्रूर है जाति व्यवस्था।उन्होंने एक जगह यह भी कहा था कि गांवों में अछूत बस्तियां दक्षिण तरफ बसाई गयी हैं, इसमें भी जातिगत क्रूरता है?उन्होंने कहा था कि हवा पूरूवा,पछुआ और उत्तरही बहती है,दक्षिणही हवा न के बराबर बहती है।सवर्ण हिन्दुओ ने हवा के छूत को भी बचाने की नियत से sc/st की बस्तियां दक्षिण तरफ बसाई थीं।
जनेश्वर जी पिछड़े पावे सौ में साठ,जमींदारी उन्मूलन,अंग्रेजी हटाओ आदि के लिए जीवन भर संघर्षरत रहे पर उनके नाम के इस पार्क में उनकी मूर्ति के नीचे या कहीं भी उनके बारे में कुछ लिखा नही है।ऐसे में नई पीढ़ी को क्या पता कि ये जनेश्वर मिश्र किस बला का नाम है?
हमारा मुख्यमन्त्री जी से अनुरोध है कि जनेश्वर जी की मूर्ति के नीचे उनसे सम्बंधित जानकारी अंकित करायी जाय।
(2)इस पार्क में समाजवादी/बहुजनवादी महापुरुषों की आदम कद मूर्तियां लगवाके उनके बारे में पूर्ण जानकारी जगह-जगह अंकित करायी जाय।पार्क बड़ा है और इसमें जगह-जगह समाजवादी पुरखे जयप्रकाश नारायण,आचार्य नरेंद्र देव,एस एम जोशी,अच्युत पटवर्धन,किशन पटनायक,अरुणा आसफ अली,मधु लिमये,मधु दंडवते,प्रमिला दंडवते,चम्पा लिमये,रवि राय,चौधरी चरण सिंह,राजनारायण,कर्पूरी ठाकुर,रामसेवक यादव,मोहन सिंह,देवीलाल,वी पी सिंह,वी पी मण्डल आदि की तथा बहुजन महापुरुष डा अम्बेडकर,छत्रपति शाहू जी,पेरियार,फुले,गाडगे,सावित्री बाई,रामस्वरूप वर्मा,ललई सिंह यादव आदि की मूर्तियां लगवा देने से इसकी खूबसूरती और ऐतिहासिकता बढ़ जायेगी।यह पार्क सामाजिक न्याय/लोकतन्त्र के लिए संघर्षरत पुरखों का जीवंत तीर्थस्थल हो जाएगा।
(3)पार्क में एक बड़ी सी सर्वसुविधा सम्पन्न लाइब्रेरी बनवायी जाय जिसमे समाजवादी/बहुजन वादी/सामाजिक न्याय की अवधारणा से ओतप्रोत साहित्य के साथ ही समग्र साहित्य रखा जाय।लाइब्रेरी की सदस्यता सशुल्क व निःशुल्क दी जाय।शोध करने वाले छात्रों के लिए यह लाइब्रेरी अचूक हथियार बन सकती है तथा नई पीढ़ी में झुरमुट में बैठकर अश्लील हरकत करने की बजाय पढ़ने की धारणा जगा सकती है।
(4)दूसरे पार्कों की तरह इस पार्क में भी नई उम्र के बहके हुए लड़के-लड़कियां अश्लीलता करते हुए दिख जा रहे हैं।इस पर उन्हें समझाया जाय तथा आवश्यक हो तो सख्ती से प्रतिबन्ध लगाया जाय।
यदि उपरोक्त सुझावों में कुछ अच्छा लगे तो मुख्यमन्त्री जी से अनुरोध है कि अभी दो वर्ष है,इस अवधि में पार्क इन चीजो से लैश होकर जीवंत और ऐतिहासिक हो सकता है।
जनेश्वर मिश्र पार्क को घूमते-घूमते थक गया पर अच्छा लगा।
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मुख्यमन्त्री श्री अखिलेश यादव जी को इस खूबसूरत पार्क को बनाने के लिए बधाई!
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उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में हरियाली से युक्त एशिया का सबसे बड़ा पार्क "जनेश्वर मिश्र पार्क।"
आज खाली समय में गोमती नगर में बने जनेश्वर मिश्र पार्क में घूमा।मेरे ठहरने के स्थान के बगल में स्थित पार्क में घण्टों लगा आधा-अधूरा घूमने में।आज ही अख़बारों में छपा था कि सरकार ने इस पार्क को खूबसूरत व हरियाली युक्त बनाने के लिए अतिरिक्त धन मुहैया कराया है।
फ़ब्बारो,झील,पेड़-पौधों-फूल-पत्तियों-घास🌳🌴🌲🌱🌿🌾🌹🌸🌷,बच्चों के झूले🎠🎢🎡 तथा जिम सामग्री💪 से लैश हो रहे इस पार्क में अभी काम युद्ध स्तर पर जारी है।समाजवादी पार्टी के सरकार की मंशा है कि पार्क खूबसूरत बने,इसके लिए अनवरत प्रयत्न चल रहा है।
मुख्यमन्त्री श्री अखिलेश यादव जी का प्रयास है कि एशिया के इस सबसे बड़े पार्क में कोई कमी न रह जाय।पत्थरो की गर्मी कुछ कम करने के लिए वनस्पतियो से युक्त पार्क भी आवश्यक है।इसी उद्देश्य से इस पार्क में नीम,आंवला,बरगद,पीपल,खजूर,पाम आदि के पेड़ सघन रूप से लगाये जा रहे हैं।
पार्क को बेहतर बनाने का प्रयत्न जारी है जिसमे कुछ चीजें यदि जोड़ दी जांय तो यह पार्क खूबसूरत भी हो जाएगा और ऐतिहादिक भी,जो निम्नवत है-
(1)जनेश्वर मिश्र जी समाजवादी राजनीति के बड़े नेताओं में थे।मेरी एक बार चित्रकूट में मुलाक़ात हुयी तो मैंने पंचायत चुनाव में महिला आरक्षण से जीती प्रतिनिधियों के पतियो के हस्तक्षेप पर श्री मुलायम सिंह यादव जी द्वारा इसके समीक्षा की बात कहने पर जब पूछा था कि गुरूजी महिलाएं हजार वर्ष से घूंघट में कैद रही हैं,क्या वे दस-बीस साल में ही मर्दों की तरह हो जाएंगी?जनेश्वर जी ने मेरी बात का सीधे जबाब देने की बजाय कहा था कि मर्द बड़ा क्रूर होता है,वह चौके(रसोई) तक में अन्याय करता है।खाने बैठ जाता है और गर्म तवे की रोटियां मांगता है।नारी मुक्ति के प्रबल समर्थक थे जनेश्वर जी।
जनेश्वर जी ने कई सभाओं में कहा कि मैंने एक बार बारात में शौच हेतु सिंगा बजाने वाले भँगी के लोटे का इस्तेमाल क्या कर दिया था ,पूरे बारात के ब्राह्मणों पर जैसे आसमान टूट पड़ा था।भँगी के लोटे से पाखाना धोने में भी छूत,ऐसी क्रूर है जाति व्यवस्था।उन्होंने एक जगह यह भी कहा था कि गांवों में अछूत बस्तियां दक्षिण तरफ बसाई गयी हैं, इसमें भी जातिगत क्रूरता है?उन्होंने कहा था कि हवा पूरूवा,पछुआ और उत्तरही बहती है,दक्षिणही हवा न के बराबर बहती है।सवर्ण हिन्दुओ ने हवा के छूत को भी बचाने की नियत से sc/st की बस्तियां दक्षिण तरफ बसाई थीं।
जनेश्वर जी पिछड़े पावे सौ में साठ,जमींदारी उन्मूलन,अंग्रेजी हटाओ आदि के लिए जीवन भर संघर्षरत रहे पर उनके नाम के इस पार्क में उनकी मूर्ति के नीचे या कहीं भी उनके बारे में कुछ लिखा नही है।ऐसे में नई पीढ़ी को क्या पता कि ये जनेश्वर मिश्र किस बला का नाम है?
हमारा मुख्यमन्त्री जी से अनुरोध है कि जनेश्वर जी की मूर्ति के नीचे उनसे सम्बंधित जानकारी अंकित करायी जाय।
(2)इस पार्क में समाजवादी/बहुजनवादी महापुरुषों की आदम कद मूर्तियां लगवाके उनके बारे में पूर्ण जानकारी जगह-जगह अंकित करायी जाय।पार्क बड़ा है और इसमें जगह-जगह समाजवादी पुरखे जयप्रकाश नारायण,आचार्य नरेंद्र देव,एस एम जोशी,अच्युत पटवर्धन,किशन पटनायक,अरुणा आसफ अली,मधु लिमये,मधु दंडवते,प्रमिला दंडवते,चम्पा लिमये,रवि राय,चौधरी चरण सिंह,राजनारायण,कर्पूरी ठाकुर,रामसेवक यादव,मोहन सिंह,देवीलाल,वी पी सिंह,वी पी मण्डल आदि की तथा बहुजन महापुरुष डा अम्बेडकर,छत्रपति शाहू जी,पेरियार,फुले,गाडगे,सावित्री बाई,रामस्वरूप वर्मा,ललई सिंह यादव आदि की मूर्तियां लगवा देने से इसकी खूबसूरती और ऐतिहासिकता बढ़ जायेगी।यह पार्क सामाजिक न्याय/लोकतन्त्र के लिए संघर्षरत पुरखों का जीवंत तीर्थस्थल हो जाएगा।
(3)पार्क में एक बड़ी सी सर्वसुविधा सम्पन्न लाइब्रेरी बनवायी जाय जिसमे समाजवादी/बहुजन वादी/सामाजिक न्याय की अवधारणा से ओतप्रोत साहित्य के साथ ही समग्र साहित्य रखा जाय।लाइब्रेरी की सदस्यता सशुल्क व निःशुल्क दी जाय।शोध करने वाले छात्रों के लिए यह लाइब्रेरी अचूक हथियार बन सकती है तथा नई पीढ़ी में झुरमुट में बैठकर अश्लील हरकत करने की बजाय पढ़ने की धारणा जगा सकती है।
(4)दूसरे पार्कों की तरह इस पार्क में भी नई उम्र के बहके हुए लड़के-लड़कियां अश्लीलता करते हुए दिख जा रहे हैं।इस पर उन्हें समझाया जाय तथा आवश्यक हो तो सख्ती से प्रतिबन्ध लगाया जाय।
यदि उपरोक्त सुझावों में कुछ अच्छा लगे तो मुख्यमन्त्री जी से अनुरोध है कि अभी दो वर्ष है,इस अवधि में पार्क इन चीजो से लैश होकर जीवंत और ऐतिहासिक हो सकता है।
जनेश्वर मिश्र पार्क को घूमते-घूमते थक गया पर अच्छा लगा।