बुधवार, 20 मार्च 2019

होलिका दहन !

*🔥होलिकादहन एक अपराधबोध उत्सव🔥*
- शूद्र यस यस सिंह  यादव 
       ब्राह्मणवादियो की मूर्खतापूर्ण, छल-कपट की हजारो कहानियो मे एक कहानी यह भी है कि ---
   *नास्तिक, महाबली, अनार्य राजा का नालायक पुत्र प्रह्लाद नशेड़ी, गजेडी, भोलेनाथ का भक्त था। स्वभाविक है पिता -पुत्र मे खणयंत्र कर आपसी दुश्मनी पैदा कर दी गई होगी, जो आजकल भी कुछ परिवार मे देखने को मिल रही है।* 
   धोखेबाजी कहावत है, होलिका को बरदान था कि, वह आग से नही जलेगी और यदि प्रह्लाद भगवान् का सच्चा भक्त होगा तो उसे भी कोई नुकसान नही होगा। होलिका प्रह्लाद को गोद मे लेकर बैठ गई, आग लगाई गई, प्रहलाद बच गया और होलिका जल मरी। यहा बरदान को भी गलत साबित किया गया, आखिर क्यो? क्यो नही आजकल होलिका दहन के दिन कोई भगवान् का सच्चा भक्त, किसी नास्तिक को गोदी मे बैठाकर, आग लगाकर सच्चा भक्त होने की हिम्मत करता है? 
   *यह मनगढ़ंत कहानी सिर्फ और सिर्फ भगवान् के अस्तित्व को सही साबित करने के लिए रची गई थी।* 
 क्या हमलोग इस वैज्ञानिक युग मे इतने मूर्ख और जाहिल है कि इस कहानी को सत्य मान बैठे है और एक मां, बहन , बेटी को जिन्दा जलाने का जश्न त्योहार के रूप मे मनाते है।
   *आप पता लगाइए विश्व मे कही भी किसी को भी जिन्दा जलाने का जश्न नही मनाया जाता है। यहा तक की आतंकवादियो के मरने का भी नही। अमेरिका मे भी बिन लादेन के मारे जाने का जश्न नही मनाया जाता है।* 
 ठीक है चलो, होलिका दहन के कारण ही,  कुछ पागल गधो की बात मान लेते है और आज भी देखने को मिल रहा है जैसे - - 
असफल बलात्कार या बलात्कार के बाद सबूत मिटाने के लिए लडक़ी को जिन्दा जला दिया। पति ने पत्नी को जला कर मार डाला - - आदि कई तरह की घटनाए देखने को मिलती है  और अपराध छिपाने के लिए मनगढ़ंत  दुर्घटनाए बता दी जाती है।
  थोड़े समय के लिए मानता हूं कि पागलपन मे जलाने वाला खुशिया मनायेगा, क्या पूरा समाज - - ?
   *अरे लानत है! ऐसे खुशी मनाने और एक-दूसरे को बधाई देने वाले मूर्ख, नासमझ और सम्बेदनहीन समाज पर !* 
  क्या आज भी यदि आप की बहन, बेटी, मां जलाई जाती है तो आप खुशी मनाते है? क्या होलिका किसी की भी मां, बहन, बेटी थी , या नही थी , यदि थी तो ,वह वेशर्म जिसकी थी, वह क्यो , खुशी मना रहा है?
   होलिका दहन के समय मैने किसी, एक को भी, कही भी रोते नही देखा? 
   *कुछ नासमझ, मूर्ख पूछने पर जबाब देते है, यह बुराई पर अच्छाई के जीत का जश्न मनाने का त्योहार है। सबसे पहली बात की तुम्हे नारी होलिका  के अन्दर बुराई देखने का अधिकार किसने दिया? क्या तुमने अपने अन्दर की बुराई को खुद जला दिया है? नही, तो फिर ऐसी सोच क्यो? वही, जब कभी शसुराल वाले तुम्हारी बेटी को बुरा जानकर या बताकर जिन्दा जला देते है, तब तुम्हे बुराई पर अच्छाई की जीत नजर क्यो नही आती है, तब घड़ियाली आसू बहाते हुए पोलिस और कोर्ट का दरवाजा क्यो खटखटाते हो?* 
 अब आप तय कीजिए कि होलिका सच मे एक भारतीय हिन्दू नारी थी या कुछ और ? थोडे समय के लिए मान लीजिए कि यही त्योहार या होलिका दहन  सिर्फ मुसलमान मनाता, तो आप की क्या प्रतिक्रिया होती? गाय (जानवर) को माता मानने वालो की होलिका के बारे मे क्या सोच होती? एक बार आत्म मंथन करे कि सिर्फ परिस्थिति के बदलने से विचार मे बदलाव क्यो और कैसे आता है?
 यदि सच मे होलिका एक हिन्दू मां, बहन,बेटी है तो क्या, हम इतने पागल है कि, अपनी मूर्खता का ऐहसास तक भी नही होता है। 
  *कम से कम, इन्सानियत व मानवता को बचाने के लिए तथा नारी के सम्मान मे, होलिका दहन की बधाई देने वाले मूर्खो के ऊपर थूकने का अधिकार तो बनता ही है।* 
    यह मैसेज मां, बहन, बेटी के मान-सम्मान के लिए हर नागरिक तक होलिका दहन से पहले  पहुंचा कर, एक नेक काम करने मे सहयोग करे तथा आप से तहे दिल से उम्मीद की जाती है कि होलिका दहन मे सहयोग न करते हुए बिरोध के लिए भी साहस करे। धन्यवाद।
  आप का! होलिका का दुखी भाई!

अज्ञानता का अंधकारयुग !

साथियों !
हम जिस दौर से गुज़र रहे हैं वह आपके सामने है हालात यह है कि वे जातियॉ जो मुट्ठी भर है सजग हैं और अफवाहबाज हैं । साथ ही साथ यैसे आर्गूमेण्ट करती है जो बहुजन जातियों को केवल गुमराह ही नहीं करती हैं बल्कि उन्हें भक्त और अपने असत्य की मुखबिर बना लेती हैं । यही कारण है कि उनके जीवन में सत्य और असत्य के मायने ही बदल जाते हैं ।

प्रोफ. ईश्वरी प्रसाद जी का निधन

प्रोफ. ईश्वरी प्रसाद जी का निधन  दिनांक 28 दिसम्बर 2023 (पटना) अभी-अभी सूचना मिली है कि प्रोफेसर ईश्वरी प्रसाद जी का निधन कल 28 दिसंबर 2023 ...