बुधवार, 19 सितंबर 2018

बहुजन नेताओं को द्विज प्रवक्ता ही रास आते हैं।

भाई दिलीप जी!
दुर्भाग्य ही है कि बहुजन नेताओं को द्विज प्रवक्ता ही रास आते हैं।
जबकि जिस लड़ाई की उपज यह लोग हैं वह लड़ाई ही द्विज विरोध की रही है। कितना बड़ा दुर्भाग्य है कि जो छिनरा वही डोली के संग।
बिहार में लालू ने यह असावधानी की थी और आज वह जिस जगह हैं वास्तव में उनकी वह जगह नहीं है । लेकिन ऐसी ही कुसंगति के लोगों के कारण उनकी दुर्दशा हो रही है।
जो समाज बाहुबली हो जनबली हो उस समाज को किस तरह से ऐसे अपराधीनुमा लोग घेरकर के उसका सत्यानाश कर देते हैं ।
ऐसा वातावरण सैफई परिवार के इर्द-गिर्द नजर आने लगा है। रही बात नेताजी की तो वह इतने चतुर थे की लंबे समय तक इस तरह के लंपटों से बचते रहे लेकिन वे नुकसान तो उनका भी नुकसान तो किया ही है।
सारी पिछड़ी जातियों को अलग-थलग करके सब लोग इस परिवार को इस तरह से घेर लिया कि जैसे यहीं से ब्राह्मण विनाश का रास्ता यहीँ से निकलता हो ।
अब तो ऐसा लगने लगा है कि बहुजन विनाश के सारे रास्ते इन परिवारों की ही देन है।जबतक बहुजन इनका सहारा नहीं छोड़ेंगे तब तक बहुजन विनाश रूकने वाला नहीं है।
जैसा भाई दिलीप कह रहे हैं उसके अनुसार तो पवन पांडेय और दीपक मिश्रा ने BJP का रास्ता बहुत आसान कर दिया है और इन दोनों लोगों को लालू जैसा बनाने में इनका बहुत बड़ा योगदान होगा और जिसके लिए BJP इन्हें पुरस्कृत भी करेगी।
डा.लाल रत्नाकर


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