सोमवार, 5 जनवरी 2015

जिस मिशन के तहत ये नेता पैदा हुए थे

अभी एक खबर आयी है की ; (निचे के लिंक पर देख सकते हैं)
http://www.bhaskar.com/news-htup/UP-LUCK-rebellion-bahujan-samaj-party-imposed-mayawati-take-money-party-denies-4862866-PHO.html
"बगावत: सांसद के बाद विधायक ने भी माया पर लगाया पैसे लेने का आरोप, बसपा ने किया खारिज"
 जिस मिशन के तहत ये नेता पैदा हुए थे
अब सवाल इस बात का नहीं है बल्कि इस बात का है कि जिस मिशन के तहत ये नेता पैदा हुए थे उनमें क्या  इस तरह के प्रतिनिधियों की कोई जगह थी, लेकिन किसी न किसी कारण ये लोग आये, जब ये आये थे तो क्या उसी मिशन के लिए आये थे, जिसको लेकर बाबा साहब, राम मनोहर लोहिया, फुले या मान्यवर कांशी राम राजनैतिक चेतना की कड़ी खड़ी की थी या जोड़ी थी ! हम अभी भूले नहीं है ! बल्कि हमें याद  रखना  भी चाहिए हम उसी पीढ़ी के हैं जिस पीढ़ी ने मान्यवर कांशी राम को देखा है, और उनका अंत देखा है, अब उनकी सोच और मान्यताओं के विनाश की लीला देख, पढ़ और सुन रहे हैं। यह तथ्य सही हैं की दलित और पिछड़े एक साथ आते और उनके प्रबुद्ध लोग राज्य की नीति तय करते तो सदियों के लड़े आंदोलन को नई दिशा मिलती लेकिन हुआ इसके उलट. जिनको जनता ने दूर किया था उनको इन्होने सत्ता मद में गले लगाया। ये ! ये भूल गए की इनका आरोहण किस कार्य के  लिए हुआ है। 
दलितों और पिछड़ों का दुर्भाग्य यही है जितना उन्हें औरों ने बर्बाद किया था उससे ज्यादा कहीं न कहीं उनके अपनों ने नाश किया है। चिंतकों विचारकों और बुद्धजीवियों की तो इन्होने इस कदर अनदेखी की है कि वे कभी सर न उठा सकें। घटिया से घटिया इनका "सर्वजन" इनके सामजिक व् राजनैतिक हितों का समायोजन इनके विनाश का कारण बना है और अभी भी इनका मोह नहीं छूट रहा है। 
(आपको याद होगा मैंने मायावती जी की उत्तर प्रदेश में स्थापत्य कला के उत्थान के लिए प्रशंसा की थी लेकिन ये आशंका भी की कहीं यह इनके विनाश का कारण न बन जाय और नव पाखंडवाद इन्हे अपनी देवी बना ले "दौलत की देवी") सामाजिक सरोकारों में संघ ने मोदी को उतार कर सारे सामाजिक ढांचे के आंदोलन को ध्वस्त कर दिया है, जिसके प्रतिरोध के लिए जो गठजोड़ बन रहा है (मुलायम सिंह, लालू प्रसाद यादव, शरद यादव, नितीश कुमार एवं देवे गौड़ा व् अन्य कौन है ये आप इन्हे जानते हैं पहले ये सारे ताने बाने को तोड़ने वाले और सॅकट में एक साथ होने के लिए अभिशप्त) जो मोदी की आंधी को रोकने में कितना कामयाब होगा उसका परिणाम तो जनता को भी पता है ? मुझे तो यह भी लगता है की उक्त गठवन्धन कहीं मोदी के उत्थान के लिए सहायक न हो जाय ! 
यदि ऐसे ही सब कुछ बढ़ता रहा तो कल मायावती को भी इनके साथ आना होगा जिससे इनके "सामजिक शकल" की चुटकी लेते हुए " मोदी जी " घूम घूम कर यही कहेंगे कि  जब हम पिछडो दलितों के उत्थान के लिए काम करने की योजनाएं तैयार कर रहे हैं तो ये सब उसे रोकने के लिए "एकजुट" हो रहे है. इसपर दलित पिछड़े सब हिन्दू होते नज़र आएंगे और 'गठबंधन' के 'सर्वजन' घुन की तरह इन्हे और खोखला बना रहे होंगे ?    
-डॉ लाल रत्नाकर 
चिंतक, प्राध्यापक, चित्रकार, मूर्तिकार, कवि, राजनीतविद  और सामजिक कार्यकर्ता।
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अब देखिये न क्या कर रहे हैं लोग ;
http://www.lucknow.amarujala.com/feature/politics-lkw/ex-dgp-brijlal-joins-bjp-shocks-mayawati-hindi-news/

निर्मल जी की चिंता बृजलाल जी के बीजेपी में जाने पर ।
डा.लाल रत्नाकर 
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भाई निर्मल जी कौन कहां जा रहा है यह देखने की वजाय यह देखिये क्यों जा रहा है ।
क्या वास्तव में आप जहां भी हैं सन्तुष्ट हैं ।
यदि नहीं तो कारण नहीं पूछूंगा ?
वास्तव मे हम जिसके लिये संघर्ष कर रहे है वह कितना तैयार हो रहा है।
यही चिन्ता हमें दलित्व और नपुंसकत्व पिछडेंपन और पीछे रहने को बाध्य करती है।
फिर आपकी व्यथा वाजिब नहीं लगती ।
आज तक हमने जितनों को खडा किया सब विरोध में खडे हैं। उनका स्वार्थ जो है ।
अत: राजनेतावों को तो आप देखते तो है कि बीजेपी,कांगेर्सी, कम्युनिस्ट कैसे घेर लेते हैं तब भी मुखर होकर कहते नहीं हम क्योंकि भय लगता है ।
यही कारण है हम डरते हैं और वे नहीं ।
आपको कभी वे स्वीकृति नहीं देते आप धन्य हो जाते हो उनके आने से ।
हम नित्य भोगते हैं सद्दकर्म के विचार से वे हमें अविश्वसनीय बनाते हैं अपनों से ।
शायद इसी भोग के लिये गये हों।
  

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