रविवार, 26 अगस्त 2012

नेता जी के नाम खुला पत्र

माननीय श्री मुलायम सिंह यादव जी
राष्ट्रीय  अध्यक्ष
समाजवादी पार्टी

महोदय,
अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति का पदोन्नतियों में आरक्षण का मुद्दा काफी गरम है तथा संविधान में संषोधन न करके पुनः पदोन्नतियों में आरक्षण की व्यवस्था करने का प्रयास किया जा रहा है तथा पूर्ण संम्भावना है कि संविधान में संषोधन कर पदोन्नतियों में आरक्षण की व्यवस्था पुनः कर दी जायेगी।
अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति को नियुक्तियों व पदोन्नतियों में आरक्षण प्रारम्भ से ही है ये व्यवस्था प्रथमवार दस वर्ष के लिये की गयी थी परन्तु प्रति दस वर्ष पुनः दस-दस वर्ष करके बढाया जाता रहा है। अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति की पदोन्नति में आरक्षण पर किसी को आपत्ति नहीं रही, पदोन्नति मंे आरक्षण के बावजूद निष्चित अनुपात में उच्च पदों पर अब भी कोटा पूरा नहीं है। पदोन्नतियांे में आरक्षण निष्चित ही होना चाहिए। इसमें किसी को आपत्ति नहीं थी।
समस्या तब उत्पन्न हुई जब कुछ अति महत्वाकांक्षी अधिकारियों ने गलत सलाह देकर पदोन्नतियों में परिणामी लाभ देने का आदेष करा दिया तथा पदोन्नतियों में परिणामी लाभ की व्यवस्था कर दी गयी इसका दुष्परिणाम यह हुआ कि जूनियर अधिकारी भी कई-कई बैच सीनियर से भी आगे जाने लगे तब जाकर पदोन्नतियों में आरक्षण पर भी प्रष्न चिन्ह लग गया जिसको माननीय उच्च न्यायालय ने अवैध ठहराया। बाद में माननीय सर्वोच्च न्यायालय ने भी पदोन्नतियों में आरक्षण को माननीय उच्च न्यायालय द्वारा अवैध ठहराने की पुष्टि कर दी।
अब संविधान में संषोधन करके पुनः पदोन्नतियों में आरक्षण की व्यवस्था अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति के लिए की जा रही है।
पिछड़े वर्गों को नियुक्तियों में भी आरक्षण नहीं था जबकि काका कालेकर आयोग एवं मण्डल आयोग द्वारा पिछड़े वर्गों की नियुक्तियों में आरक्षण की व्यवस्था करने की संस्तुति बहुत पहले की गयी थी। सर्वप्रथम उत्तर प्रदेष में वर्ष 1977 में माननीय श्री रामनरेष यादव जी के नेतृत्व में बनी सरकार में 15 प्रतिशत नियुक्तियों में आरक्षण की व्यवस्था की गयी थी। बाद में भारत सरकार ने 27 प्रतिशत नियुक्तियों में आरक्षण की व्यवस्था की। पिछड़े वर्गों के लिए पदोन्नतियों में आरक्षण की कोई व्यवस्था न उत्तर प्रदेष में है और न भारत सरकार में हंै।
अब क्योंकि अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति के लिए संविधान में संषोधन करके पदोन्नतियों में आरक्षण की व्यवस्था की जा रही है। इसी के साथ पिछड़े वर्गों के लिए भी पदोन्नतियों में आरक्षण की व्यवस्था का प्रष्न उठाया जाना आवष्यक हो गया है। क्योंकि पिछड़े वर्गों की आबादी 55 प्रतिषत से अधिक है परन्तु आरक्षण 27 प्रतिषत ही दिया गया है इस तरह पिछड़ों का राजकीय सेवाओं में प्रतिनिधित्व बहुत कम है। उच्च पदों पर सीधी भर्ती नहीं होती तथा पदोन्नतियोें में पिछड़े वर्गों का प्रतिनिधित्व अत्यंन्त ही कम है। ऐसी परिस्थिति में पिछडे वर्गों का उच्च पदों पर प्रतिनिधित्व कैसे पूरा हो सकता है। इस बिन्दु पर विचार किया जाना अत्यंन्त आवश्यक है। क्योंकि नये सिरे से पदोन्नतियों में अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति के आरक्षण की व्यवस्था हो रही है। इस संम्बन्ध में मेरा सुझाव है कि पदोन्नतियों में आरक्षण की व्यवस्था माननीय सर्वोच्च न्यायालय ने अवैध घोषित कर दी है। अतः पदोन्नतियों में आरक्षण की व्यवस्था पुनः न करके अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति तथा पिछड़े वर्गों के लिए जिनको वर्तमान में नियुक्तियों में अर्थात् सीधी भर्ती में आरक्षण की व्यवस्था है इसी आरक्षण का विस्तार करके सभी पदों पर, चाहे वह सीधी भर्ती से भरे जायें या चाहे पदोन्नति से भरे जायें, लम्बवत् (Vertical/Perpendicular) आरक्षण की व्यवस्था कर दी जाये तो इसमें किसी को आपत्ति नहीं होगी इसका लाभ यह होगा कि सीधी भर्ती में तो 27 प्रतिशत, 21 प्रतिषत व 2 प्रतिषत की भर्ती हो जाती है तो पदोन्नतियों में भी 27 प्रतिषत, 21 प्रतिषत व 2 प्रतिषत की व्यवस्था हो जायेगी। इससे कालान्तर में 27 प्रतिषत, 21 प्रतिषत व 2 प्रतिषत पदों पर आरक्षित वर्गों का अनुपात हो जायेगा। इससे उस विसंगति को भी समाप्त किया जा सकेगा जहां 50 प्रतिषत नियुक्ति सीधी भर्ती से होती है एवं 50 प्रतिषत नियक्तियाँ पदोन्नति से होतीं हैं। वहां पिछड़े वर्गों को सीधी भर्ती मंे 27 प्रतिषत का लाभ मिलता है परन्तु पदोन्नतियों में कोई लाभ न मिलने से 27 प्रतिषत का अनुपात कभी पूरा नहीं हो पाता। कुछ पद शत् प्रतिषत पदोन्नति से ही भरे जाते हैं वहां पिछड़े वर्गों को 27 प्रतिषत का अनुपात कभी भी पूरा नहीं हो सकता। सभी नियुक्तियांे पर लम्बवत् (Vertical/Perpendicular) आरक्षण का लाभ होने पर शत्प्रतिशत पदोन्नति से भरे जाने वाले पदों पर भी 27 प्रतिषत, 21 प्रतिषत व 2 प्रतिषत का लाभ स्वतः मिलने लगेगा। 
           यहाँ यह स्पष्ट करना भी उचित होगा कि जहां सीधी भर्ती में पिछड़े वर्गों का आरक्षण है वहां पदोन्नति से नियुक्तियों में आरक्षण नहीं है, नियुक्ति दोनों प्रकार के पदों पर होती है। फिर चाहे सीधी भर्ती से हो या पदोन्नति से। पदोन्नति के बाद उच्च पद पर नियुक्ति की जाती है। अतः सीधी भर्ती या पदोन्नति से भर्ती का विचार किये बिना सभी पदों पर नियुक्तियों में लम्बवत् (Vertical/Perpendicular) आरक्षण की व्यवस्था करने का विचार करना अतिआवश्यक है। क्योंकि नये सिरे से अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति के लिए पदोन्नतियों में आरक्षण की व्यवस्था करने पर विचार किया जाना है उसका विरोध कोई पार्टी नहीं करेगी। परन्तु इसी के साथ पिछड़े वर्गों के लिए सभी स्तर के पदों पर नियुक्तियों में लम्बवत् (Vertical/Perpendicular) आरक्षण की व्यवस्था करने पर गम्भीरतापूर्वक विचार करने की आवश्यकता है।
इस समय हमारा पिछड़ा वर्ग का नेतृत्व पिछड़े वर्ग का समाज चूक गया तो फिर ऐसा समय कभी नहीं मिलेगा तथा भावी पीढियों हमको सदैव कोसेंगीं। अतः समय है हम जागरूक हों तथा सजग होकर मांग करें। हम कुछ मांग नहीं रहे हैं केवल सभी पदों पर नियुक्तियों में तथा पदोन्नतियों में लम्बवत् (Vertical/Perpendicular) आरक्षण की मांग कर रहे हैं जोकि हमारा हक है।
       आज जरूरत अनुसूचित जातियों के प्रमोशन में आरक्षण का विरोध नहीं बल्कि पिछड़ों के प्रमोशन में में भी आरक्षण की मांग की जरूरत है. यदि ऐसा नहीं किया गया तो समता मूलक समाज बनाने के बजे विषमता  रहेगी और द्विज सामराज्य प्रभावी रहेगा .
(डॉ.लाल रत्नाकर)


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