रविवार, 8 मई 2011

वाह शशांक शेखर जी - अंग्रेजों के पास भी आप जैसे ही नौकरशाह रहे होंगे |

वो क्या करते हैं अहले सियासत जाने 
अपना पैगाम तो मोहब्बत है जहाँ तक पहुंचे 
बड़े मर्हुलियत आगेज़ होते हैं सियासत के कदम 
तू न समझेगा सियासत तू इन्सान है अभी 
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जागरण की यह खबर यही कहती है. 

भूमि अधिग्रहण हिंसा का कारण नहीं: शशांक

May 09, 01:30 am
लखनऊ। राज्य सरकार ने रविवार को फिर दोहराया कि नोएडा के भट्ठा गांव में शनिवार को हुई हिंसा का कारण भूमि अधिग्रहण नहीं है। किसानों को भूमि अधिग्रहण से कोई शिकायत नहीं है। इस बीच प्रदेश की मुख्यमंत्री मायावती ने घटना को लेकर विरोधी दलों की बयानबाजी को राजनीति से प्रेरित और दुर्भाग्यपूर्ण बताया है।
मुख्यमंत्री की ओर से कैबिनेट सचिव शशांक शेखर सिंह ने रविवार को उनके वक्तव्य की जानकारी दी। मुख्यमंत्री ने कहा है कि राज्य में सभी को शांतिपूर्ण ढंग से अपनी बात रखने का अधिकार है लेकिन इसका मतलब यह नहीं कानून हाथ में लेकर लोक संपत्तिको क्षति पहुंचाई जाए। उन्होंने कांग्रेस पर तीखे आरोप लगाते हुए कहा बयान देने से पहले रीता जोशी को तथ्यों की पूरी जानकारी लेनी चाहिए थी। इसी तरह अजित सिंह को भी सोच-विचार कर बयान देना चाहिए। कैबिनेट सचिव ने साफ किया कि भट्टा गांव में जमीन अधिग्रहण की कार्रवाई भूमि करार नियमावली के तहत काफी पहले की जा चुकी थी। किसी भी परियोजना के लिए गांव में भूमि अधिग्रहण करने संबंधी कोई कार्रवाई नहीं हो रही थी। गांव में विकास कार्य कराने की मांग को लेकर वहां किसान धरना दे रहे थे, जिन्हें बुलंदशहर के मनवीर तेवतिया ने निजी स्वार्थ के लिए भड़काया और रोडवेज के तीन कर्मचारियों को बंधक बना लिया। उन्हें छुड़ाने के दौरान ग्रामीणों व पुलिस के बीच संघर्ष में चार लोगों की मृत्यु हुई। भट्ठा गांव में मार्च 2009 से अगस्त 2009 के बीच 178 हेक्टेयर भूमि अधिगृहीत की गई थी जिसका 170 करोड़ रुपये मुआवजा किसानों के बीच वितरित किया जा चुका है। इसी प्रकार परसौल गांव में 260 हेक्टेयर जमीन अधिगृहीत की गई जिसका 180 करोड़ मुआवजा वितरित किया जा चुका है। राज्य सरकार ने जो मुआवजा नीति घोषित की है, वह अन्य राज्यों से अधिक है।
कैबिनेट सचिव ने कहा कि भट्टा गांव में अब पूरी तरह से स्थिति नियंत्रण में है और कही पर भी कोई समस्या नहीं है। आगरा, अलीगढ़ और मथुरा में भी स्थिति सामान्य है।
तेवतिया सहित छह लोगों की गिरफ्तारी पर ईनाम
लखनऊ। भट्टा गांव में पुलिस व ग्रामीणों के बीच हुए हिंसक संघर्ष के लिए मनवीर सिंह तेवतिया सहित 22 व्यक्तियों के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज करायी गयी है। इनमें तेवतिया व अन्य पांच लोगों की गिरफ्तारी के लिए ईनाम भी घोषित किया गया है।

कैबिनेट सचिव शशांक शेखर सिंह के अनुसार मनवीर सिंह तेवतिया पर 50 हजार रुपये का ईनाम घोषित किया गया है। परसौल गांव के प्रेमवीर एवं नीरज मलिक पर 15-15 हजार रुपये तथा भट्टा गांव के गजे सिंह एवं किरनपाल और अच्छेपुर गांव के रहने वाले मनोज पर दस-दस हजार रुपये का ईनाम घोषित है। सभी पर आरोप है कि इन लोगों ने रोडवेज कर्मियों को बंधक बनाने के साथ ही पुलिसकर्मियों पर ग्रामीणों को भड़काकर फायर भी किये। कैबिनेट सचिव ने कहा तेवतिया ने टप्पल में भी किसानों को भड़काया था। एक राजनीतिक दल तेवतिया का समर्थन कर रहा है।
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क्या हो गया है सत्ता में बैठे 'मदांध' सत्तानसिनों को- 
क्या ये डकैत हो गए हैं जिन पर इनाम घोषित हो रहा है "जब कि डकैत तो सरकार में बैठे हैं" जो किसानों को लूट रहे हैं उनको कौन सजा देगा लगता है प्रदेश लूटेरों के हाथ में आ गया है.
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हिंसा सोची समझी साजिश : मायावती
लखनऊ।
Story Update : Monday, May 09, 2011    12:45 AM
राज्य सरकार ने कहा है कि भट्टा पारसोल में हुई हिंसा जमीन अधिग्रहण से संबंधित नहीं है। इसे लेकर भ्रांतियां फैलाई जा रही हैं और कुछ राजनीतिक पार्टियां भड़काऊ बयान दे रही हैं। हिंसा फैलाने के आरोप में किसानों के नेता मनवीर सिंह तेवतिया के अलावा पांच और लोगों की गिरफ्तारी पर इनाम घोषित किया गया है।

भट्टा-पारसोल मामले में प्रदेश सरकार का पक्ष रखते हुए कैबिनेट सचिव शशांक शेखर सिंह ने कहा कि दोनों गांव नोएडा व ग्रेटर नोएडा की सीमा में आते हैं और वहां विकास कार्य के लिए जमीन अधिग्रहण की कार्यवाही आपसी समझौते के आधार पर पिछले वर्ष ही पूरी की जा चुकी है। कैबिनेट सचिव ने कहा कि मुख्यमंत्री मायावती ने कहा है कि भोलेभाले किसानों को आंदोलित करने के लिए विपक्षी दल निजी स्वार्थों के लिए उकसा रहे हैं और सरकार के खिलाफ बयानबाजी कर रहे हैं। उन्हें चाहिए कि भड़काऊ बयान देने से पहले वे तथ्यों से सही तौर पर अवगत हो लें। इस मुद्दे पर रविवार शाम कैबिनेट सचिव ने कहा कि यह किसी भी जमीन के अधिग्रहण से संबंधित मामला नहीं है।

दोनों गांवों में विकास के लिए जमीन अधिग्रहण का काम आपसी समझौते की नीति के आधार पर किया गया और मार्च 2009 से प्रक्रिया शुरू की गई थी। अगस्त 2009 में नोटिफिकेशन हुआ था। भट्टा गांव की 178 हेक्टेयर जमीन ली गई थी जिसका 120 करोड़ रुपये किसानों को मुआवजा दिया गया था। समझौते के साधार पर हुई कार्रवाई की वजह से किसानों ने मुआवजा उठाया था। ऐसे ही पारसोल गांव की 260 हेक्टेयर जमीन के लिए 180 करोड़ रुपये का मुआवजा दिया गया।

कैबिनेट सचिव ने सफाई दी कि यह हिंसा कुछ असामाजिक तत्वों ने की। कैबिनेट सचिव ने कहा कि इस मामले में 22 लोगों को गिरफ्तार किया गया है। वहां स्थिति सामान्य है और कानून-व्यवस्था की कोई समस्या नहीं है। कैबिनेट सचिव ने कहा कि आगरा में हुआ संघर्ष भी जमीन अधिग्रहण का मामला नहीं है। उन्होंने कहा कि एतमादपुर गांव में मंदिर के छज्जे को लेकर विवाद हुआ था, जिसे लेकर भ्रांति फैलाई गई। कैबिनेट सचिव ने कहा कि जिस जगह संघर्ष हुआ उसे लोग टप्पल से जोड़ा जा रहा है जबकि टप्पल वहां से तीस किलोमीटर दूर है।

इन पर हुआ इनाम
पारसोल गांव के नीरज मलिक व प्रेमवीर - 15-15 हजार रुपये
भट्टा गांव के गजय सिंह और किरम पाल - 10-10 हजार रुपये
आछेपुर गांव के मनोज पर - 10 हजार रुपये का इनाम घोषित किया गया है।
(मनवीर तेवतिया की गिरफ्तारी पर शनिवार को ही 50 हजार का इनाम घोषित करा गया था )

अमर उजाला ब्यूरो

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