मंगलवार, 8 फ़रवरी 2011

सामंतवादी मानसिकता का प्रतीक : विपक्ष

उत्तर प्रदेश के अफसरों स्वाभिमान और  ईमानदारी के साथ खेल बंद करो तुम्हारी करतूतें जनता देख रही है , कहीं तुम्हारी भी यही दशा न हो जाय कि 'फलाँ का तहरीर चौक पर होस्नी मुबारक हो गया' यह याद रहे ?
(डॉ.लाल रत्नाकर)
एक छोटा सा विवाद सत्ता नहीं बदला करता, भाजपा, कांग्रेस और सपा के लोगों को एक डी वाई एस पी के मुख्यमंत्री के सैंडल (जूता) साफ करने पर उन्हें उखड फेंकने का मुद्दा पा लिए हैं अगर इनसे कोई पूंछे की यही काम कर कर के आप की जगह अपने अपने दलों में है. जो भी हुआ है उसमे बेइज्जती मुख्यमंत्री की तो है नहीं यदि डी वाई एस पी श्री पदम् सिंह एसा 'न' करते तो उनकी नौकरी वहां रहती क्या ? अब पूरे सचिवों को सफाई देनी पड़ रही है की मुख्यमंत्री का जूता साफ करना भी सुरक्षा का हिस्सा ही है,"कैबिनेट सचिव शशांक शेखर सिंह, प्रमुख सचिव सूचना विजय शंकर पांडे, गृह सचिव दीपक कुमार, लखनऊ के आईजी सुबेश कुमार के साथ मीडिया से रूबरू हुए। प्रेस कांफ्रेंस में मौजूद रहने के लिए पद्म सिंह को भी बुलाया गया। कैबिनेट सचिव ने कहा, 'सैंडिल साफ करके पद्म सिंह ने कुछ भी गलत नहीं किया किया है।'
सचिव शशांक शेखर सिंह ने कहा है कि मुख्यमंत्री की सैंडिल में कीचड़ लगा था, जिससे वह फिसल सकती थी। इसे ध्यान में रखते हुए पद्म सिंह ने रुमाल से उनकी सैंडिल मे लगे कीचड़ को साफ किया था। पद्म सिंह का यह कृत्य मुख्यमंत्री की सुरक्षा के लिहाज से उचित था और यह उनकी जिम्मेदारी भी थी।" सो पदम् सिंह क्या कोई भी होगा तो वही करता यानि खुद ये भी -
पर अब कहाँ गया पाण्डेय जी का स्वाभिमान ईमानदार अफसर होने का गुरुर .


डिप्टी एसपी ने साफ की मायावती की सैंडिल

 
लखनऊ [जागरण ब्यूरो]। रविवार को मुख्यमंत्री मायावती जिस वक्त औरैया में विकास कार्यो के निरीक्षण में मशगूल थी, डिप्टी एसपी स्तर के उनके प्रमुख सुरक्षा अधिकारी अधिकारी पद्म सिंह ने जेब से रूमाल निकाल कर उनकी सैंडिल साफ करनी शुरू कर दी। यह दृश्य मंगलवार को टीवी चैनलों पर चला तो राजनीतिक मुद्दा बन गया। विपक्ष के लोग मैदान में कूद पड़े।
कई रिटायर्ड अधिकारियों ने भी इस मुद्दे पर खूब लानत-मलानत की तो कैबिनेट सचिव को रात साढ़े नौ बजे प्रेस कांफ्रेंस करने को मजबूर होना पड़ा। कैबिनेट सचिव शशांक शेखर सिंह, प्रमुख सचिव सूचना विजय शंकर पांडे, गृह सचिव दीपक कुमार, लखनऊ के आईजी सुबेश कुमार के साथ मीडिया से रूबरू हुए। प्रेस कांफ्रेंस में मौजूद रहने के लिए पद्म सिंह को भी बुलाया गया। कैबिनेट सचिव ने कहा, 'सैंडिल साफ करके पद्म सिंह ने कुछ भी गलत नहीं किया किया है।'
सचिव शशांक शेखर सिंह ने कहा है कि मुख्यमंत्री की सैंडिल में कीचड़ लगा था, जिससे वह फिसल सकती थी। इसे ध्यान में रखते हुए पद्म सिंह ने रुमाल से उनकी सैंडिल मे लगे कीचड़ को साफ किया था। पद्म सिंह का यह कृत्य मुख्यमंत्री की सुरक्षा के लिहाज से उचित था और यह उनकी जिम्मेदारी भी थी।
कैबिनेट सचिव ने कहा कि वर्ष 2003 में मुख्यमंत्री मायावती के साथ कांशीराम भी विदेश दौरे पर गए थे। प्रमुख सचिव मुख्यमंत्री के रूप पीएल पुनिया भी दौरे में उनके साथ थे। कांशीराम को जूते पहनने में दिक्कत हो रही थी, तो पीएल पुनिया ने उन्हें जूता पहनाया था। कैबिनेट सचिव ने कहा जब मानवता के नाते जब पीएल पुनिया का कांशीराम को जूतें पहनाने में मदद करना उचित था, तो पद्म सिंह का ऐसा ही कृत्य अनुचित कैसे हो सकता है, जबकि मुख्यमंत्री का पीएसओ होने के नाते पदम सिंह की यह जिम्मेदारी है कि वह मुख्यमंत्री की सुरक्षा का पूरा ख्याल रखे।
कैबिनेट सचिव का कहना है कि पदम सिंह से सैंडिल साफ करने के लिए मुख्यमंत्री ने नहीं कहा था। उन्होंने खुद ही मुख्यमंत्री की सैड़िल में कीचड़ लगा देख उसके साफ किया था।
सामंतवादी मानसिकता का प्रतीक : विपक्ष
सुरक्षा अधिकारी द्वारा मुख्यमंत्री के जूते साफ करने को लेकर विपक्ष को सरकार पर हमला बोलने का एक और मौका मिल गया है। विपक्षी दलों ने इस घटना को शर्मनाक तथा मुख्यमंत्री की सामंतवादी सोच का नतीजा बताया है।
समाजवादी पार्टी उत्तर प्रदेश के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने कहा है कि एक सुरक्षाकर्मी द्वारा मुख्यमंत्री के जूते साफ करना दुखद है और यह उनकी सामंती सोच को प्रदर्शित करता है। उन्होंने सवाल उठाया कि जिस व्यक्ति पर सुरक्षा की जिम्मेदारी है, वह जूते साफ कर रहा है? इससे पूरी व्यवस्था प्रभावित हो रही है। अगर यह सरकार चलती रही तो वरिष्ठ अधिकारियों को भी मायावती के जूते साफ करने पड़ सकते है। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री मायावती की यह शर्मनाक हरकत उजागर होने से सरकार कठघरे में खड़ी हो गयी है। उत्तर प्रदेश काग्रेस के प्रवक्ता अखिलेश प्रताप सिंह ने कहा कि मायावती गाव-गरीबी और गुरबत से ऊपर उठकर और सामंती व्यवस्था के खिलाफ आवाज उठाकर सत्ताशीर्ष तक पहुंची हैं लेकिन सत्ता में आने के बाद उन्होंने खुद उसी व्यवस्था को अपना लिया है। उन्होंने कहा कि इस घटना से ही अंदाज लगाया जा सकता है कि सत्ता के मद में चूर मायावती किस कदर बदल गई हैं। मुख्यमंत्री को अब गरीब और असहाय लोगों का दर्द नजर नहीं आता।

भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता विजय बहादुर पाठक ने भी इस घटना को शर्मनाक करार देते हुए कहा कि मुख्यमंत्री को अपने कृत्यों की खुद समीक्षा करनी चाहिये। इस घटना से उनकी सामंती सोच से जन जन वाकिफ हुआ है।
(दैनिक जागरण से साभार)

पीएसओ ने साफ किए मायावती के जूते
औरैया।
Story Update : Wednesday, February 09, 2011    12:45 AM
एक निजी सुरक्षा अधिकारी (पीएसओ) द्वारा उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री मायावती के जूते साफ करने की घटना की विपक्षी दलों ने तीखी आलोचना की है। यह घटना रविवार को हुई, जब मायावती औरैया जिले में नौनीपुर गांव के दौरे पर थीं। विपक्षी आलोचना को हालांकि बसपा ने खारिज कर दिया है। पार्टी का कहना है कि जूते साफ करने की घटना कोई मुद्दा नहीं है।

घटना की विपक्षी दलों ने की तीखी आलोचना
टीवी चैनलों पर एक फुटेज में दिखाया जा रहा है कि बसपा सुप्रीमो के एक हेलीकॉप्टर से उतरने के बाद उनके पीएसओ ने तुरंत अपनी जेब से रुमाल निकाला और नीचे बैठकर उनके जूतों पर लगी धूल साफ की। मुख्यमंत्री इस दौरान अधिकारियों से बातचीत में मशगूल दिख रही हैं। अधिकारी उनके स्वागत के लिए हेलीपैड पर जुटे थे। सूत्रों के मुताबिक यह पीएसओ पदम सिंह कई साल से मायावती के साथ ही है और वह बसपा संस्थापक कांशीराम का भी करीबी था। सेवानिवृत्त पुलिस अधिकारी सिंह फिलहाल सेवा विस्तार पर है। मायावती की निजी सुरक्षा व्यवस्था की जिम्मेदारी उसी के पास है। सिंह ने भी हालांकि आलोचना को दरकिनार करते हुए कहा कि जो उसने किया वह उसके काम का ही हिस्सा है।

बसपा बोली, यह कोई मुद्दा नहीं
लेकिन विपक्षी दलों ने मुख्यमंत्री के रुख को सामंतवादी करार दिया। सपा प्रमुख मुलायम सिंह यादव ने कहा कि अधिकारियों को अपना स्तर इस तरह नहीं गिराना चाहिए। यूपी में कोई कानून व्यवस्था नहीं रह गई है। वहीं, सपा प्रदेश अध्यक्ष अखिलेश यादव ने कहा कि जिस तरह मुख्यमंत्री का व्यवहार और काम, दोनों ही शर्मनाक हैं। अगर यह सरकार जारी रहती है तो आने वाले दिनों में अधिकारियों को भी मुख्यमंत्री के जूते साफ करने पड़ सकते हैं। वह राजनीति में नई परंपरा शुरू कर रही हैं। कांग्रेस प्रवक्ता अखिलेश प्रताप सिंह ने कहा कि सामंती प्रथा के खिलाफ लड़ने का दावा कर सत्ता में आईं मायावती अब मुख्यमंत्री बनने के बाद वही संस्कृति अपना रही हैं।
(अमर उजाला से साभार)
डिप्टी एसपी ने साफ की मायावती की सैंडिल
आनन्द कुशवाहा/हिमांशु गुप्ता, औरैया
First Published:08-02-11 10:42 PM
Last Updated:09-02-11 01:02 AM
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डिप्टी एसपी पद्म सिंह ने पद की गरिमा को ताक पर रख अपने रुमाल से मुख्यमंत्री मायावती की जूतियां साफ की। राष्ट्रपति पदक से सम्मानित पद्म सिंह ने यह सेवाभाव रविवार को मायावती के औरैया दौरे के समय प्रदर्शित किया।
हुआ यूं कि अंबेडकर गांव नौनकपुर का निरीक्षण कर वापस लौटते समय मुख्यमंत्री की जूतियों पर धूल की परत चढ़ गई थी। मुख्यमंत्री हेलीपैड पर खड़ीं थी और अधिकारियों से विचार-विमर्श कर रही थीं उसी समय पद्म सिंह ने रूमाल निकाली और जूतियों पर पड़ी धूल साफ की। पद्म सिंह कानपुर में श्यामनगर के निवासी हैं और डिप्टी एसपी पद से रिटायर होने के बाद अपनी कार्यनिष्ठा की बदौलत दो साल के सेवा विस्तार पर हैं। इनकी गिनती शासन सत्ता के कुछ गिने चुने महत्वपूर्ण अफसरों में की जाती है। कानपुर में तो बड़े-बड़े आईएएस-आईपीएस इनकी सेवा में तत्पर नजर आते हैं।
रविवार को मायावती ने इटावा-औरैया का तूफानी दौरा किया था। बिना धूल मिट्टी की परवाह किए वह अछल्दा विकास खंड के अंबेडकर गांव नैनीपुर पहुंच गईं। वहां से उन्हें हेलीकॉप्टर द्वारा औरैया थाना व तहसील का निरीक्षण करने जाना था। ब्लैक कैट से घिरी मुख्यमंत्री वहां रुक कर डीएम से विकास रिपोर्ट पर पूछताछ करने लगीं तभी पद्म सिंह की नजर उनकी जूतियों की तरफ गई।
जूतियां साफ करने के बाद उन्होंने अपने हाथ धोए। खास यह कि मायावती ने उन पर ध्यान भी नहीं दिया, वह डीएम व साथ में खड़े अफसरों से मुखातिब रहीं।
इस वाकये पर विपक्षी दल ने तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की है। सपा के प्रदेश अध्यक्ष व सांसद अखिलेश यादव ने इसे शर्मनाक व राजनीतिक मर्यादाओं के खिलाफ बताते हुए कहा कि बसपा सरकार बनी रही तो सुरक्षा अधिकारी ही नहीं, बल्कि बड़े-बड़े अधिकारी मायावती की जूती साफ करेंगे। अखिलेश यादव ने कहा कि मायावती वैसे तो सामंतवाद के खिलाफ लड़ने की बात करती हैं लेकिन खुद उन्हीं परंपराओं का पालन कर रही हैं। सुरक्षा अधिकारी को भी पद की गरिमा का ध्यान रखना चाहिए था। बसपा विधायक नवाब सैयद काजिम अली ने कहा कि वास्तव में यह कोई मुद्दा नहीं है। मैं नहीं मानता कि मुख्यमंत्री ने सुरक्षा अधिकारी से जूते साफ करने को कहा होगा, मामले को बेवजह तूल देना ठीक नहीं।
इधर, कानपुर में जानने वाले बताते हैं कि मुख्यमंत्री के सुरक्षा अधिकारी होने के नाते पद्म सिंह का प्रताप पूरे सूबे में है। पिछले 17-18 सालों से वह मायवती के सुरक्षा में तैनात हैं। कांसी राम के समय भी सुरक्षा अधिकारी वही थे। श्यामनगर में उनका बंगला है और इलाके के लोग बसपा में उनके प्रभाव के कायल हैं। अभी हाल में उनके परिवार ने शहर में एक बड़ा सौदा किया है।
(हिंदुस्तान से साभार)
  

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