सोमवार, 1 नवंबर 2010

मगरमच्छों व शार्को का भ्रष्ट नापाक गठजोड़

 दैनिक भाष्कर से साभार 
जनता के मन में जो बात वर्षो से रह-रहकर उठती रही है, उसे सर्वोच्च न्यायालय ने अपनी महत्वपूर्ण टिप्पणी के जरिए रिकॉर्ड पर ला दिया है। आय से अधिक संपत्ति अर्जित करने के आरोपी एक सरकारी अधिकारी को निरपराध मानते हुए न्यायमूर्ति मरकडेय काटजू और ज्ञानसुधा मिश्रा की बेंच ने जो निर्णय दिया, उससे निश्चित रूप से एक अलग संदेश समाज में गया है।

आंध्रप्रदेश के सहकारिता विभाग के एक जूनियर इंस्पेक्टर के पास सिर्फ 2.63 लाख रुपए मूल्य की आय से अधिक संपत्ति निकली, जिस पर निचली अदालत ने 1996 में उसे सश्रम कारावास की सजा सुना दी थी। इस बीच पिछले करीब 14 वर्षो में न जाने कितनी तारीखें उच्च न्यायालय और फिर सर्वोच्च न्यायालय में लगी होंगी। वकीलों की फीस, यात्राओं, फोटो कॉपी, कोर्ट फी आदि में निश्चित ही 2.63 लाख से ज्यादा रुपए खर्च हुए होंगे। लेकिन मूल मुद्दा न्यायालय की उस मौजू टिप्पणी का है, जिससे सरकार को सीख लेनी चाहिए।

सरकार मगरमच्छों और शार्को को तो छोड़ देती है और छोटे अफसरों को प्रताड़ित करती है। यह कहा है सुप्रीम कोर्ट ने इस छोटे भ्रष्टाचार के मामले में। यह सर्वविदित है कि बड़े अफसर अक्सर नेताओं आदि से सांठगांठ कर हर तरफ से बच जाते हैं। भ्रष्ट नेता भी कम ही जेल जाते हैं या उनकी कुर्सी खिसकती है। एक बार यदि कुर्सी छिन जाती है तो कुछ दिनों के बाद जोड़-तोड़ और लेन-देन के जरिए फिर मिल जाती है। हमारे देश में सरकारी अफसर, राजनेता और अन्य प्रभावशील लोगों का दृश्य व अदृश्य गठबंधन काफी तगड़ा है। इसे तोड़ना मुश्किल भी है और शायद कोई चाहता भी नहीं कि यह टूटे। साधारण जनमानस इस गठजोड़ के खिलाफ है, पर उसकी सुनता कौन है। इस पृष्ठभूमि में सर्वोच्च न्यायालय की टिप्पणी और सरकार को लगाई गई फटकार का महत्व है।

दुख इस बात का है कि यह फटकार टीवी और अखबारों में दो-चार दिनों तक ‘खबर’ के रूप में रहेगी, फिर स्मृति से ओझल हो जाएगी। सरकार की कार्यप्रणाली इससे बदलेगी और बड़े, प्रभावशाली व ताकतवर सरकारी अफसर (आईएएस, आईपीएस आदि) डरेंगे और सुधरेंगे, यह कम संभव दिखता है। मुश्किल यह भी है कि लोकपाल, लोकायुक्त, सीबीआई, भ्रष्टाचार निवारक अन्य संस्थाओं के बढ़ते अधिकारों के बावजूद देश में अनैतिक दौलत का लोभ व आकर्षण कम होता नहीं दिखता। कॉमनवेल्थ गेम्स इसका ताजा और शर्मनाक उदाहरण हैं।

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